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आत्मबिस्वास से बड़ी शक्ति कुछ भी नही
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आज का शहरी माहौल ------------------- सीन 1 ---------- सुबह सब्जी मंडी का दृश्य काका आलू कैसे दिए किसान- बाबू जी 15 रुपए किलो व्यक्ति - बड़ी लूट मचा रखी है किसान - नही बाबूजी ये रेट बिलकुल सही है व्यक्ति - अरे 10 के लगाओ और दो किलो दे दो किसान - ठीक है बाबूजी ले लो --------------------------- सीन 2 -------------- शाम का वक्त घर का दृश्य Hello pizza hut Yes sir Please book order One large capsicum paneer pizza with extra cheez and one garlic bread Ok sir ------------------------------- सीन 3 Knock knock..ting tong कौन है? Pizza delivery boy. Pizza hut sir Ohh coming... Thanks... कितना हुआ 570 रुपए सर ये लो 600 and keep the change बहुत मेहनत करते हो, रख लो ! Thanks sir ----------------------------------- सीन 4 कमरे का दृश्य टीवी में समाचार दो किसानों ने और आत्महत्या कर ली Pizza खाते हुए साला ये गवरमेंट किसानों के बारे में बिल्कुल भी नही सोच रही.. बड़े शर्म की बात है! ------------------- अब अपनी बात सिर्फ एक लाइन में " मेरा भारत महान"

आज ख़ुद को गुलाब करते हैं ! ------------------------------------- आज वैलेंटाइन सप्ताह का पहला दिन 'रोज डे' है। भले ही यह दिन मुहब्बत की नहीं बाज़ार की इजाद हो, लेकिन सुनने में बड़ा प्यारा लगता है। काश कि हमारा हर दिन गुलाबों जैसा रंगीन और खुशनुमा हो ! हमारा प्रेम गुलाब के भीतर से उठती खुहरकी मानिन्द पाक़ीज़ा और दिव्य ! मौका विदेशी ही सही, प्रेम की परिभाषा तो सारी दुनिया में एक-सी ही होती है। मुश्किल यह है कि प्रेम को हम स्त्री-पुरूष के बीच के संवेदनात्मक रिश्ते तक सीमित कर देते हैं। चलिए आज के दिन अपने सबसे प्रिय लोगों - मां-पिता, भाई-बहन, पति-पत्नी, बेटे-बेटी, प्रेमी-प्रेमिका और आत्मीय मित्रों को आभार स्वरुप एक-एक गुलाब पेश करें ! मैं तो कहूंगा कि क्यों न आज ख़ुद ही गुलाब बनकर तमाम रिश्तों को प्यार की ख़ुशबू से सराबोर कर दें ? --------------------------------------- दिल का खाना ख़राब करते हैं प्यार यूं बेहिसाब करते हैं सबसे एक फूल मांगते हुए आज ख़ुद को गुलाब करते हैं !! ----------------------------------------

आओ पुण्य कमाते हैं घर में कुम्भ मनाते हैं ! प्रेम अपनत्व आनंद की त्रिवेणी में परिवार संग डूबकी लगाते हैं ! क्या हुआ जो जा न पाए करने कुम्भ स्नान , क्या हुआ जो लेना पाए संतो से आशीर्वाद आओ बुजुर्गों को शीश नवाते हैं घर में कुम्भ मनाते हैं !

100 टका की बात ------------- एक बार किसी ने भगवान से पूछा - प्रभु जब आप कण कण मे ब्याप्त हो, और जन जन की मनोकामना पूर्ण करते हो, तो मेरी मनोकामना पूर्ण क्यों नही करते? प्रभु ने उत्तर दिया - वतस मैं वाई फाई की तरह हु, सबके लिए उपलब्ध हु, मगर मुझसे जुड़ने के लिए सही पासवर्ड लगाना जरूरी है, और वह पासवर्ड है। आस्था और बिस्वास ---------------------

आज वेलेंटाईन पर किसी की बहन को उपहार देकर आओ तो,,,,, अपनी बहन को मिले उपहार पर सवाल मत करना,,,,

सोचिए..… पहले दिन कोई आपके नाखून उखाड़े अगले दिन दाँत तोड़े तीसरे दिन आपकी उंगलियां काटी चौथे दिन आपके कान काटे 5वें दिन आपकी आँख फोड़ी... 6 वे दिन मांस नोचा जाए.. 7 वे दिन और मांस नोचा जाए 8 9 10 वे दिन खाल उतार ली जाए 11...12....13...14.…15...और फिर 39वे दिन गर्दन कटवा ली इतना अत्याचार ... वो भी क्यों...?? क्यों की आप इस्लाम कबूल नही कर रहे थे.. जानते है उसका नाम ? छत्रपति सांभा जी महाराज.... 😭 जिन्हे शिवाजी का पुत्र और उत्तराधिकारी कहते है और ये सब किसने करवाया ..?? औरंगजेब ने कैसी वीरता रही होगी? ऐसे सनातनी योगीयोद्धा की छत्रपति सांभा जी महाराज को नमन🙏 इस देश में अब तक इस अत्याचारी के नाम महाराष्ट्र में शहर था औरंगाबाद, जिसे बदल कर सांभा जी नगर कर दिया... और हा इस नाम बदलने का विरोध किसने किया कांग्रेस एनसीपी और उद्धव ठाकरे ने औरंगजेब की कब्र का रिनोवेशन किसकी सरकार में हुआ उद्धव कांग्रेस एनसीपी धन्य है हमारी कांग्रेस जिसने हमे पढ़ाया कि औरंगजेब बाबर जैसे लुटेरे महान थे


*हमारी सोच बनाम मोदी की सोच : एक आकलन मान लें कि आपके गांव में 100-200 घर हैं, जिसमें से 4-5 घर आपसे अच्छे और खूबसूरत हैं तथा, बाकी के 194 घर आपसे खराब हैं... लेकिन, आप चाहते हैं कि उस गांव का सर्वश्रेष्ठ घर आपका ही हो तो फिर आपके पास दो उपाय है... या तो, आप डायनामाइट लगा कर अपने से अच्छे और खूबसूरत उन चारों-पांचों घरों को ढहा दे... या फिर अपने घर को पुनर्रचना करके सर्वश्रेष्ठ घर बना ले... ☺️ हालांकि लक्ष्य दोनों तरीकों से उपलब्ध हो जाना है. लेकिन, इन दोनों तरीकों में एक तरीका रचनात्मक सोच का तरीका है और, दूसरा विनाशात्मक सोच का अरे हाँ... सोच से याद आया कि मान लें कि किसी होटल के बाहर बोर्ड पर शुद्ध वैष्णव होटल लिखा हो और अंदर टेबल पर मीट- मुर्गा- मछली आदि भी परोसा जाता रहे तो फिर आपकी सोच क्या होगी? या फिर, एक दूसरे होटल में वैष्णव होटल न लिखा रहे लेकिन वो हमेशा शुद्ध और सात्विक भोजन ही खिलाए तो फिर आपकी सोच क्या होगी? जाहिर सी बात है कि आप बाहर लिखे बोर्ड की अपेक्षा खाने की गुणवत्ता पर ज्यादा ध्यान देंगें और अगर आप सात्विक भोजन पसंद करते हैं तो हमेशा दूसरे वाले होटल में ही जाना पसंद करेंगे यही है सोच का अंतर 😊 कुछ लोगों की मान्यता है कि खाना चाहे जैसा भी मिले लेकिन बोर्ड वैष्णव होटल का लगा रहना चाहिए... जबकि, मेरा मानना है कि बोर्ड तो बाद में भी लग जायेगा... पहले खाना पूर्ण सात्विक और शाकाहारी होना चाहिए... जैसे कि हिन्दू राष्ट्र को ही ले लेते हैं... कुछ लोगों की मान्यता है कि मोदी जी अभी तक संविधान में पंथनिरपेक्ष शब्द काट के भारत एक हिन्दू राष्ट्र क्यों नहीं कर रहा है मतलब कि होटल का सिर्फ बोर्ड बदल दो... खाना यही चलता रहेगा 🤔 जबकि मोदी जी होटल के बोर्ड बदलने की जगह खाने को पूर्ण रूपेण सात्विक और शाकाहारी बना रहा है... मतलब कि देश की संस्कार/प्रकृति बदल रही है... याद करके देखें कि भारत में हिंदुओं के बहुसंख्यक होने के बावजूद भी 2014 से पहले हमारे पास क्या था? गंदी एवं बदबूदार गलियों से घिरा हुआ हमारा काशी विश्वनाथ,बुनियादी सुविधाओं को भी तरसता हमारा विश्वप्रसिद्ध महाकाल मंदिर, संगीनों के साये में होती वैष्णोदेवी यात्रा, टेंट में पड़े भगवान राम... जबकि, हर शहर में आधुनिक सुविधाओं से लैस एवं जगमगाता हुआ सा हज हाउस, चमचमाते हुए से मजार और हज के जाने वाले लोगों को दिया जा रहा था VVIP बर्ताव ऐसे में आप संविधान के एक पन्ने में भारत एक हिन्दू राष्ट्र लिख भी देते तो क्या बदल जाना था ?? उल्टे उसकी प्रतिक्रिया में हुए दंगों में हजारों लाखों लोगों की जान चली जाती और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण जीना मुहाल हो जाता इसीलिए मोदी जी ने होटल की बोर्ड बदलने की अपेक्षा पहले खाने की गुणवत्ता को बदलना शुरू किया क्योंकि, अगर एक बार हमने खाने की गुणवत्ता को बदल कर उसे पूर्णतया सात्विक और शाकाहारी कर दिया तो फिर आपको होटल का बोर्ड बदलने की जरूरत ही नहीं पड़नी है. क्योंकि, फिर तो वो होटल खुद ही एक शुद्ध वैष्णव होटल के रूप में प्रसिद्ध हो जाना है. महज 8 सालों के छोटे अंतराल में ही जहाँ पहले हमारे पास भव्यता के नाम पर सिर्फ मीनाक्षी और तिरुपति मंदिर आदि ही थे. अब केदारनाथ से लेकर अयोध्या के राम मंदिर, काशी कॉरिडोर, महाकाल लोक जैसे अनेकों ऐतिहासिक धरोहर बनते जा रहे हैं इन भव्य मंदिरों की महत्ता आप इसी से समझ सकते हैं कि... जो हिंदुस्तान पहले एकमात्र ताजमहल और लालकिला से पहचाना जाता था अब हिंदुस्तान सरदार पटेल की प्रतिमा, भव्य एवं दिव्य अयोध्या का श्री राम मंदिर, भव्य काशी कॉरिडोर, महाकाल लोक, केदारनाथ कॉरिडोर आदि से पहचाना जाएगा इस तरह मोदी जी के द्वारा हिंदुस्तान को भव्य मंदिरों के देश के रूप में पुनर्स्थापित किया जा रहा है. अगर अभी तक आप ये नहीं समझ पाए हैं कि क्या हो रहा है... तो, उसे एक बहुत साधारण भाषा में समझें कि क्या हो रहा है... जब हम मुगल काल से पहले का इतिहास पढ़ते हैं तो हम यही पढ़ते हैं कि गजनवी/गोरी या उन जैसे कोई अन्य जेहादी भारत आए तो वे भारत में मौजूद भव्य मंदिरों को देखकर चकाचौंध रह गए प्राचीन काल में अयोध्या, काशी, मथुरा, सोमनाथ आदि मंदिर इतने भव्य और विशाल थे कि वे आतताई हैरानी से उसे देखते ही रह गए कि... बाप रे... इतना भव्य? बाद में होश में आते ही उन्होंने... हिंदुस्तान की सभ्यता संस्कृति को नष्ट करने हेतु उन भव्य मंदिरों को नष्ट कर दिया और उसके मलबे से वहाँ खुद के लिए एक जीर्ण शीर्ण सा ढांचा खड़ा कर दिया... अब 1000 साल के बाद मोदी जी हमारे उसी प्राचीन काल के हिंदुस्तान के वैभव को वापस ला रहे हैं... तथा, हिंदुस्तान को एक बार फिर से दुनियाँ में उसी शक्तिशाली एवं वैभवपूर्ण देश के रूप में स्थापित कर रहे हैं... जहाँ की पहचान कोई लालकिला, ताजमहल अथवा आलतू-फालतू मजार या हज हाउस नहीं बल्कि, दिव्य एवं भव्य मंदिर एवं कॉरिडोर होगें और यही कारण है कि एक एक करके हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरों का पुनरुद्धार और पुनर्निर्माण हो रहा. क्योंकि, अगर आप नहीं जानते हैं कि ऐसा क्यूँ कर किया जा रहा तो ये जानना आपके लिए दिलचस्प होगा की उज्जैन के "महाकाल लोक" के उद्घाटन समारोह का दुनियाँ के 40 से ज्यादा देशों में लाइव प्रसारण किया गया. उसी तरह अयोध्या के श्रीराम मंदिर के भूमि पूजन एवं काशी कॉरिडोर का भी प्रसारण पूरी दुनियाँ में किया गया था. यही तो है सही मायने में हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का मार्ग. जहाँ सिर्फ होटल का बोर्ड ही शुद्ध वैष्णव होटल नहीं बल्कि खाना भी वैष्णव अनुरूप शुद्ध एवं सात्विक बनाया जा रहा है. अंतर सिर्फ ये है कि कुछ लोग चाहते हैं कि मोदी जी गांव के अपने से सुंदर 4-5 घरों को डाइनामाइट लगा कर उड़ा दें ताकि अपना घर सर्वश्रेष्ठ दिखने लगे. जबकि, मोदी जी दूसरों के घरों से कोई छेड़छाड़ किए बिना अपने घर को इस तरह से पुनरुद्धार कर रहे है कि हमारा घर सिर्फ अपने गांव ही नहीं बल्कि आसपास के 100-50 गांवों में सर्वश्रेष्ठ की गिनती में आ जाए. *इसलिए जरूरी है सोच बदलो समाज बदलेगा* 😊🙏🏻🚩