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BISHNU KARMAKAR
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5/29/2025, 12:33:40 AM

कर्मयोग: कर्मयोग का अर्थ है निष्काम कर्म करना। इसका मतलब है कि आपको अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए, न कि उसके फल पर। आपको अपना काम ईमानदारी से करना चाहिए और उसके परिणाम के बारे में सोचने के बजाय, अपने काम पर ध्यान देना चाहिए. ज्ञानयोग: ज्ञानयोग का अर्थ है आत्म-ज्ञान प्राप्त करना। इसका मतलब है कि आपको अपने आप को जानना चाहिए और यह समझना चाहिए कि आप कौन हैं। आपको अपने मन और बुद्धि को नियंत्रित करना चाहिए और भौतिक आकर्षण से दूर रहना चाहिए. भक्तियोग: भक्तियोग का अर्थ है भगवान में भक्ति करना। इसका मतलब है कि आपको भगवान पर भरोसा करना चाहिए और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। आपको भगवान के प्रति समर्पण करना चाहिए और उनकी भक्ति में लीन रहना चाहिए. अन्य महत्वपूर्ण बातें: संयम: गीता में बताया गया है कि आपको अपने क्रोध, लोभ और मोह पर नियंत्रण रखना चाहिए. सहनशीलता: गीता में बताया गया है कि आपको सुख और दुःख, मान और अपमान, जीत और हार को समान रूप से सहन करना चाहिए. सत्य: गीता में बताया गया है कि सत्य ही परम सत्य है और आपको हमेशा सत्य का पालन करना चाहिए. सहानुभूति: गीता में बताया गया है कि आपको दूसरों के प्रति सहान

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BISHNU KARMAKAR
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6/3/2025, 2:06:39 AM

❤️अधूरा प्रेम, नहीं अधूरा रिश्ता:❤️ कुछ लोग राधा और कृष्ण के प्रेम को अधूरा इसलिए कहते हैं क्योंकि वे कभी शादी नहीं कर पाए। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उनका प्रेम एक-दूसरे के लिए बहुत गहरा और निस्वार्थ था, और वे हमेशा एक-दूसरे के साथ जुड़े रहे. ❤️विवाह की आवश्यकता नहीं: कुछ लोगों का मानना है कि विवाह प्रेम का एक आवश्यक हिस्सा नहीं है, और राधा और कृष्ण का प्रेम इस बात का एक उदाहरण है। उनका प्रेम शुद्ध और आध्यात्मिक था, और उन्हें भौतिक विवाह की आवश्यकता नहीं थी. ❤️ आध्यात्मिक प्रेम: राधा और कृष्ण का प्रेम एक आध्यात्मिक प्रेम का उदाहरण है, जहाँ प्रेम एक साथ दो लोगों के बीच गहरा जुड़ाव है, जो भौतिक दुनिया के बंधनों से परे है. भक्ति और प्रेम:❤️ राधा कृष्ण के प्रेम की अवधारणा भक्ति और प्रेम की अवधारणा के साथ भी जुड़ी है। राधा कृष्ण को अपनी भक्ति और प्रेम के लिए जानती थीं, और कृष्ण के लिए उनका प्रेम निस्वार्थ था, जो उनके जीवन को अर्थ देता था. ❤️निष्कर्ष में, राधा और कृष्ण का प्रेम अधूरा नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा प्रेम है जो भौतिक दुनिया के बंधनों से परे है और आध्यात्मिकता और भक्ति की भावना को दर्शाता है.

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BISHNU KARMAKAR
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6/4/2025, 6:27:47 AM

❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ “जो मेरे भक्त हैं, वही मुझे प्रिय हैं। भक्ति का अर्थ केवल पूजा-अर्चना नहीं, बल्कि मन, वचन और कर्म से भगवान के प्रति समर्पण है।” “प्रेम वह सब है जो हमें परमात्मा से जोड़ता हैं।” “जब तक श्रीकृष्ण का प्रेम हृदय में है, तब तक जीवन में कोई भी कठिनाई बड़ी नहीं लगती।”❤️ राधे राधे 🙏🏻

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