
Muhammad Rihan Raza Mustafai
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About Muhammad Rihan Raza Mustafai
لبیک یارسول اللهﷺ
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واَسِرُّوْا قَوْلَكُمْ اَوِ اجْهَرُوْا بِهٖؕ-اِنَّهٗ عَلِیْمٌۢ بِذَاتِ الصُّدُوْرِ(13) ترجمۂ کنز الایمان اور تم اپنی بات آہستہ کہو یا آواز سے وہ تو دلوں کی جانتا ہے۔

’’وَ لَوْ یُؤَاخِذُ اللّٰهُ النَّاسَ بِمَا كَسَبُوْا مَا تَرَكَ عَلٰى ظَهْرِهَا مِنْ دَآبَّةٍ وَّ لٰكِنْ یُّؤَخِّرُهُمْ اِلٰۤى اَجَلٍ مُّسَمًّىۚ-فَاِذَا جَآءَ اَجَلُهُمْ فَاِنَّ اللّٰهَ كَانَ بِعِبَادِهٖ بَصِیْرًا‘‘(فاطر:۴۵) ترجمۂ کنزُالعِرفان: اور اگر اللّٰہ لوگوں کو ان کے اعمال کے سبب پکڑتا تو زمین کی پیٹھ پر کوئی چلنے والانہ چھوڑتا لیکن وہ ایک مقرر میعاد تک انہیں ڈھیل دیتا ہے پھرجب ان کی مقررہ مدت آئے گی تو بیشک اللّٰہ اپنے تمام بندوں کو دیکھ رہا ہے۔

`क़मर ग़नी उस्मानी साहब की 9 रोज़ा भूख हड़ताल कामयाब रही` `सेंट्रल जेल से हजरत क़मर ग़नी उस्मानी साहब का अहम पैगाम आप सभी हजरात के नाम` आज ब तारीख 31/1/2025 बरोज जुम्मा को हज़रत क़मर ग़नी उस्मानी साहब से मिलने सेंट्रल जेल जाना हुआ....! हजरत उस्मानी साहब मुसलसल 9 दिन से भूख हड़ताल पे थे, सेहरी और इफ्तारी में सिर्फ पानी पे इकतेफा करते थे...9 दिन गुजर जाने के बाद ऐसा महसूस हुआ के शायद हज़रत बहुत बीमार पड़ गए होंगे उनकी सिहत का क्या हुआ होगा, क्यों के आप पहले से ही बीमार चल रहे थे,जिस्म में बहुत कमज़ोरी आ गई होगी इस तरह के बेशुमार खयालात ज़हन में उभरते रहे लेकिन जब हजरत उस्मानी साहब से मुलाक़ात हुई तो उस्मानी साहब को देख के आंखे फटी की फटी रह गई, जब उस्मानी साहब को बगैर व्हील चेयर पे देखा, वैसे उस्मानी साहब हमेशा व्हील चेयर पे बैठ के आते थे, लेकिन आज बगैर चेयर के थे,और पहले से ज्यादा सेहतमंद नज़र आए, उस्मानी साहब ने बताया के में पहले से ज्यादा अपने जिस्म में रूहानी कुव्वत महसूस करता हूं,अलहम्दुलिल्लाह। `आमदम बर सरे मतलब` उस्मानी साहब से खेरो खैरियत के बाद हम ने अर्ज़ की हुजूर आप के इस जुर्रत मंदाना इकदाम और अवामे अहले सुन्नत की बेदारी का नतीजा ये हुआ के 27 जनवरी को जो शर पसंदों की जानिब से गुस्ताखियों का जो मंसूबा था वो कामयाब न हो सका,ये सुन कर उस्मानी साहब ने अल्लाह तआला का शुक्रिया अदा किया और आप ने अवामो खास अहले सुन्नत दीनी बेदारी पर खुशी का इजहार फरमाया और साथ ही फरमाया के इस शर्त के साथ के मेरे मोहब्बिन आइंदा दस्तूरे हिंद के दायरे में तहफ्फुजे नामूसे रिसालत पर पहरेदारी के फ़रायिज अंजाम देते रहेंगे मैं 9 दिन की मूसलसल भूख हड़ताल को खत्म करके आज इफ्तार में पानी के साथ खाना भी लूंगा मगर अगर बाहर खुली फिजा में जीने वाले रसूले पाक सल्लल्लाहो तआला अलैहि वसल्लम के गुलाम फिर सो गए तो फिर से हमें इस तरह के इकदाम मजबूरन करने पड़ेंगे..! `दूसरी बात` आप हजरात के लिए जिन लोगों ने भी आवाज़ उठाई,उन सभी हजरात का तह दिल से शुक्रिया अदा किया,अल्लाह तआला आप सभी हजरात को उसका बेहतर बदला अता फरमाए, आमीन हज़रत क़मर ग़नी उस्मानी साहब ने ये कही के आप हजरात हमारी तंजीम का एक हिस्सा बन जाए, हमारी तंजीम के तमाम अराकिन की हौंसला अफजाई फरमाएं, एक बंदा एक दिन का सिर्फ एक रुपया हमारी तंजीम को दें, अल्लाह तआला आप के दिए हुए उस एक रूपये में बेपनाह बरकतें अता फरमाएगा, तंजीम तहरीके फ़रोगे इस्लाम को हर तरीके से मजबूत करें, हर शहर में TFI की शाखें खोलें, क़ानून के दायरे में रह कर खिदमते ख़ल्क़ और खिदमते दिन करते रहें, हमारी तंजीम के जो भी अराकिन जहां भी तंजीम के हवाले से जाए तो उनका खैर मक़दम करें, आप हजरात उन्हें ये महसूस न होने दें के क़मर गनी उस्मानी जैल में बंद है तो हम अकेले हो गए, और तहरीक का काम कमजोर पड़ गया, ऐसा महसूस न होने दें बल्कि हर शख्स अपनी हैसियत के मुताबिक़ काम करें, ना समझ मरते हैं जिंदगी के लिए जीना मरना है सब कुछ नबी के लिए पैग़ाम रसा अन्सारी रफीक नूरी के साथ अब्दुल अमीन बरकाती अहमदाबाद गुजरात

*04/ شعبان المعظم/ 𝟷𝟺𝟺𝟼ھ* *03/ فروری/ 𝟸𝟶𝟸𝟻ء* *دن: پیر* 🌸🌸🌸🌸🌸🌸🌸 *04/ शाबानुल मुअज़्ज़म /𝟷𝟺𝟺𝟼 हि•* *03/ फरवरी / 𝟸𝟶𝟸𝟻 ई•* *दिन: पीर*👇🏽👇🏽👇🏽 ______________________________ नोट: *अगर किसी को कोई मस'अला पूछना हो तो वो नीचे दिए गए नंबरों पर हमें डायरेक्ट मैसेज कर सकते हैं।* 📱78179 21033 📱8279499672


*یا صاحب الجمال و یا سید البشر ﷺ*

عطا کیا مجھ کو درد الفت کہاں تھی یہ پر خطا کی قسمت میں اس کرم کے کہاں تھا قابل حضور کی بندہ پروری ہے صل اللہ علیہ وسلم

محبت و عشق دل اگر کسی کی جانب مائل ہوجائے تو اسے”مَحبّت“ کہا جاتا ہے اور یہی محبت اگر شدّت اختِیار کرلےتو ”عشق“ کہلاتی ہے۔ عشق دو طرح کا ہوتا ہے ،مجازی(یعنی انسانوں کا انسانوں سے عشق) اور حقیقی( یعنی محبتِ خداومصطفٰی عَزَّ وَجَلَّ و صلَّی اللہ تعالٰی علیہ واٰلہٖ وسلَّم )۔عشق مجازی اکثرراہ ِدوزخ پر لے جاتاجبکہ عشق حقیقی شاہراہ جنّت پر گامزن کرتا ہے ،عشق مجازی تباہ وبرباد کرتا ہے اور عشق حقیقی شاد وآباد کرتا ہے۔ عشق حقیقی میں بڑی قوت ہوتی ہے ،یہ کبھی سَخْت طوفان کا سامنا کرتا، کبھی فرعون کا مقابلہ کرتا،کبھی حکم ِالٰہی پرقربانی کے لئےسَر رکھ دیتا اور کبھی بے خطر آگ میں کود پڑتا ہے جبکہ عقل تکتی رہ جاتی ہے۔ بے خطرکُود پڑا آتشِ نَمرود میں عشق عقل ہے محوِ تماشائے لب بام ابھی

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