
भारत का संविधान की पाठशाला
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About भारत का संविधान की पाठशाला
हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी सेक्यूलर लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए , तथा उसके समस्त नागरिकों को: सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए, तथा उन सबमें, व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता[2] सुनिश्चित कराने वाली, बंधुता बढ़ाने के लिए, दृढ़ संकल्प होकर भारत का संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं। हम भारत के बहुसंख्यक मूलनिवासी बहुजनों को समाज और राज्य की समीक्षा भारत का संविधान के अनुसार करनी होगी 6743 जातियों को भारत का संविधान ने एकजुट कर पिछड़ा वर्ग(मूलनिवासी) घोषित कर दिया है (संविधान का भाग 16 का अनुच्छेद 340) सभी संसाधनों का समान वितरण, जाति जनगणना, बैलेट पेपर द्वारा चुनाव, राष्ट्रीयकरण हेतु अनवरत संविधान जागरूकता महाअभियान ही स्थायी समाधान है – हम भारत के लोग 🇮🇳🌹जय संविधान 🇮🇳🌹
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भारत का संविधान–संवैधानिक मूल्य, सिद्धांत और आदर्श संवैधानिक मूल्य, सिद्धांत और आदर्श वे मूलभूत तत्व हैं जो किसी देश के संविधान में निहित होते हैं और उसके शासन व्यवस्था को निर्देशित करते हैं। ये मूल्य, सिद्धांत और आदर्श नागरिकों के अधिकारों की रक्षा, सरकार के कार्यों को नियंत्रित करने और समाज में न्याय, समानता और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत का संविधान में निहित *संवैधानिक मूल्य:* - *न्याय*: न्याय का अर्थ है कि सभी नागरिकों को समान अवसर और समान अधिकार मिलने चाहिए। - *समानता*: समानता का अर्थ है कि सभी नागरिकों को जाति, धर्म, लिंग, जन्म स्थान आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए। - समता: समता का अर्थ यह हैं की जो देश के कमजोर वर्ग हैं उनके लिए विशेष प्रावधान, कार्य करके उन्हें सशक्त बनाया जाए ताकि देश में समानता स्थापित हो। - *स्वतंत्रता*: स्वतंत्रता का अर्थ है कि नागरिकों को अपने विचारों को व्यक्त करने, अपने धर्म का पालन करने और अपने जीवन को अपनी मर्जी से जीने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। - *बंधुता*: बंधुता का अर्थ है कि सभी नागरिकों को एक दूसरे के प्रति भाईचारे की भावना रखनी चाहिए और समाज में सौहार्द और शांति बनाए रखनी चाहिए। *संवैधानिक सिद्धांत:* - *लोकतंत्र*: लोकतंत्र का सिद्धांत यह है कि सरकार का चयन नागरिकों द्वारा किया जाना चाहिए और सरकार को नागरिकों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। - *धर्मनिरपेक्षता*: धर्मनिरपेक्षता का सिद्धांत यह है कि राज्य किसी विशेष धर्म का समर्थन नहीं करेगा और सभी धर्मों के प्रति समान व्यवहार करेगा। - *संघवाद*: संघवाद का सिद्धांत यह है कि शक्तियों का विभाजन केंद्र और राज्य सरकारों के बीच किया जाना चाहिए। *संवैधानिक आदर्श:* - *नागरिकों के अधिकारों की रक्षा*: संविधान का आदर्श है कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए और सरकार को नागरिकों के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। - *सामाजिक न्याय*: संविधान का आदर्श है कि समाज में न्याय और समानता को बढ़ावा दिया जाना चाहिए और सभी नागरिकों को समान अवसर मिलने चाहिए। - *राष्ट्र की एकता और अखंडता*: संविधान का आदर्श है कि राष्ट्र की एकता और अखंडता को बनाए रखा जाना चाहिए और देश के सभी हिस्से एकजुट रहें। इन मूल्यों, सिद्धांतों और आदर्शों को अपनाकर, भारत का संविधान भारत देश के शासन व्यवस्था को निर्देशित करता है और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है । क्या हम, भारत के लोग, भारत का संविधान के मूल्यों, सिद्धांतों, आदर्शों का सम्मान, सुरक्षा एवं संवर्धन कर रहे हैं? क्या हमारी राजनीतिक पार्टीया संवैधानिक नैतिकता से कार्य कर रही हैं? सोचिएगा जरूर! भारत का संविधान पर ईमानदारी से अमल करके "भारत राष्ट्र (संविधान का भारत) निर्माण" कराना कोई खेल की बात नहीं हैं, क्योंकि अभी तक भारत का संविधान को जानने–मानने वाले लोग ही गिने चुने हैं और संविधान विरोधी देश के संसाधनों पर कब्ज़ा करके बैठे हुए हैं... *भारत का संविधान* पर अमल करने – कराने के लिए जरूरी है, ज्यादा से ज्यादा हम, भारत के लोगों में *संविधान चेतना* का निर्माण हो... जय भारत 🇮🇳 जय संविधान #BS4 अभियान

भारत के नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों, सिद्धांतों और आदर्शों को स्थापित करने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं: *शिक्षा और जागरूकता:* - *संविधान की शिक्षा*: स्कूलों और कॉलेजों में संविधान की शिक्षा देना आवश्यक है, ताकि नागरिक अपने अधिकारों और कर्तव्यों को समझ सकें। - *जागरूकता अभियान*: सरकार और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा जागरूकता अभियान चलाए जा सकते हैं, जो नागरिकों को संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्रदान करें। *सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम:* - *सामाजिक कार्यक्रम*: सामाजिक कार्यक्रमों के माध्यम से नागरिकों को संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्रदान की जा सकती है। - *सांस्कृतिक कार्यक्रम*: सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों को बढ़ावा दिया जा सकता है। *मीडिया और संचार:* - *मीडिया का उपयोग*: मीडिया का उपयोग करके संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्रदान की जा सकती है। - *संचार अभियान*: संचार अभियान चलाए जा सकते हैं जो नागरिकों को संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों के बारे में जानकारी प्रदान करें। *नागरिक भागीदारी:* - *नागरिक भागीदारी*: नागरिकों को सरकार के निर्णयों में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है, जिससे वे संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों को समझ सकें। - *स्वयंसेवी कार्य*: स्वयंसेवी कार्य के माध्यम से नागरिक संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों को बढ़ावा दे सकते हैं। *सरकारी पहल:* - *सरकारी पहल*: सरकार संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए पहल कर सकती है, जैसे कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए। - *नीतियों और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन*: सरकार संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों को बढ़ावा देने के लिए नीतियों और कार्यक्रमों का क्रियान्वयन कर सकती है। इन कदमों को उठाकर, भारत के नागरिकों में संवैधानिक मूल्यों, सिद्धांतों और आदर्शों को स्थापित किया जा सकता है। PPID

जय संविधान 🇮🇳 जय भारत PPID को पूर्ण रुप से विश्वास है कि अगर *भारत का संविधान* पर अक्षर: स अमल हो जाएगा तो हर एक *भारतीय का जीवन खुशहाल* हो जाएगा। इसलिए, PPID का हर एक कैडर, भारत का संविधान पर अक्षर स: अमल करने के लिए कटिबद्ध हैं। PPID · Committed to the Nation Building। Let's Support PPID। Let's Join PPID। Let's build our Nation based on the core values of the Constitution of India।

*भारत में युवा क्वारे क्यों है ?* एम्प्लॉयमेंट नहीं तो शादी नहीं, जबकि संविधान का अनुच्छेद 41 *"काम और शिक्षा"* के अधिकार की बात करता है ।

"भारत का संविधान" हम भारत के लोगों को गरिमामय काम, गरिमामय जीवन निर्वाह मजदूरी वेतन और बच्चों के लिए शिक्षा नि:शुल्क देने की बात करता है। क्या यह बात "हम भारत के लोगों" को मालूम है? यदि नहीं मालूम है तो "राष्ट्रव्यापी संविधान जागरूकता महाअभियान" के जरिए यह बात भारत के समस्त नागरिकों को बतानी होगी और उन्हें संविधान के सम्मान सुरक्षा और संवर्धन के लिए खड़ा करना होगा। भारत का संविधान का सम्मान सुरक्षा और संवर्धन करके भारत राष्ट्र निर्माण करने का राष्ट्रव्यापी महाअभियान चलाना पड़ेगा हम, भारत के लोगों ने ये ठान लीया है की संविधानमय भारत बनाकर "संविधान का भारत राष्ट्र" निर्माण करके रहेंगे #बीएस4 संविधान का भारत राष्ट्र निर्माण करने का राष्ट्रव्यापी महाअभियान

महामानवों के आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए *व्यक्तिगत नेतृत्व* से कई गुना शक्तिशाली, प्रभावशाली और महत्वपूर्ण हैं: *संगठनात्मक नेत्तृत्व*