
Darshnik Vichar
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कुछ लोग पहले तो कहेंगे कि गांधी जी कोई राष्ट्रपिता नहीं हैं क्योंकि राष्ट्र के पुत्र तो होते हैं परन्तु पिता नहीं होते और थोड़ी देर के पश्चात् ही स्वामी दयानंद को *राष्ट्रपितामह* बोलने लगते हैं जब राष्ट्र का कोई पिता ही नहीं होता तो कोई पितामह कैसे हो सकता है ?

सूचना... कल दोपहर १:३० बजे आश्रम में भीषण आग लगने से आश्रम का एक बड़ा हिस्सा जलकर समाप्त हो गया , गोशाला जल गई, चारा जला जल गया , टीनशेड जल गया , कृषि के सारे पाइप जल गए सब पेड़ पौधे जल गए , नई कुटिया का कुछ भाग जल गया जो अभी बनी हुई थी , संयोग से उस समय गाय और बछड़े गोशाला में नहीं थे इसलिए बच गए, नहीं तो बहुत बुरा हो जाता , ग्रामवासियों ने शीघ्र ही आकर अपने अटूट साहस से आश्रम का आधा भाग जलने से बचा लिया , बाद में फायर ब्रिगेड पहुंची उसने भी वृक्षों के कुछ हिस्से को राख होने से बचाया ,इतनी भीषण आग थी कि एक कि.मी. दूर से सबको दिख रही थी एक तो दोपहर ४३° तापमान और ऊपर से प्रचण्ड अग्नि की लपटें, मोबाइल से वीडियो लेना चाहा , लेकिन मोबाइल अग्नि के तेज से इतने गर्म हो गए कि उन्होंने कार्य करना ही बंद कर दिए सब हेंग हो गया, फिर पानी का पोंछा लगाकर मोबाइल ने बाद में काम करना शुरू किया यदि आप वीडियो देखते तो डर जाते पचास फीट ऊंची अग्नि की लपटें थीं, आकाश में धुआं और अग्नि ही अग्नि थी, परमात्मा की कृपा से बहुत कुछ बच गया। इसमें मात्र धन की ही हानि नहीं, हमारे पसीने और बहुमूल्य समय की हानि हुई है । लेकिन कोई बात नहीं, हम उसे धीरे धीरे फिर खड़ा कर लेंगे क्योंकि आश्रम जला है , हमारा और आपका साहस नहीं, हमारे प्रेमियों को चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है बस यह मेरी ओर से एक सूचना मात्र है हमारे सहयोगियों एवं प्रेमियों के लिए । स्मरण रहे! जलने वाली वस्तुएं भौतिक थीं और हम अभौतिक हैं, चेतन हैं हमारा उससे सीधा कोई सम्बन्ध नहीं हैं इसलिए जो हुआ वह हमसे अलग है और हम उससे अलग हैं इसलिए उसके लिए बैचेन क्यों होना ..? 🙂🙏

प्रतिकूलताएं सबके जीवन में आती हैं जो दुर्बल होते हैं वे टूट जाते हैं जो विवेकी होते हैं वे और निखर जाते हैं। आत्मशक्ति के समक्ष सांसारिक दुःख समर्पण कर ही देते हैं।

मैं जब भी किसी व्यक्ति की गलत बातों का विरोध करता हूं तब *जो लोग* मुझे व्यक्तिगत रूप से यह कहते हैं कि यह आपने बहुत अच्छा किया वह व्यक्ति सच में बहुत बेकार है ऐसे लोगों का विरोध होना आवश्यक है समाज के लिए यह लोग ठीक नहीं है लोगों को भ्रमित कर रहे हैं। और उनकी कुछ निंदा भी मुझसे कर जाते हैं, *वही लोग* अगले दिन उन्हीं लोगों के आसपास मुझे मंडराते हुए दिखाई देते हैं नाक रगड़ते हैं वंदन करते हैं, मंच पर उनके साथ सेल्फी लेकर लोगों को बताते हैं कि हमारे ऊपर इनकी कृपा है, उनकी प्रशंसा में उन्हें मनुष्य से उठाकर उन्हें भगवान बनाते हैं। हमारे देश में ऐसे ऐसे चापलूसों की पूरी फ़ौज खड़ी हुई है ...जब मैं उन्हें देखता हूं तब मुझे स्पष्ट दिखाई देता है कि आज के युग में बिना आत्मा के शरीर भी चलते फिरते हैं।

विवाह समारोह के ड्रामे में जाने की अपेक्षा मैं श्मशान में जाना पसंद करता हूं।

https://www.youtube.com/live/70qtL6sxfrg?si=kdHi-wi2b38yRUPa शास्त्रों में श्रद्धा क्यों आवश्यक है?

https://www.youtube.com/live/HeyZ4Y-Z-tQ?si=breUbp2bCrBL7KwX आर्य समाज की भारत को देन