
Rinkutai
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#अशलीलता_हटाओ_संस्कृति_बचाओ निरंतर अश्लील सामग्री (पोर्नोग्राफी) देखने के शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक नकारात्मक प्रभाव हो सकते हैं। नीचे इन प्रभावों को विस्तार से समझाया गया है, जो वैज्ञानिक अध्ययनों और मनोवैज्ञानिक विश्लेषणों पर आधारित हैं। 1. शारीरिक प्रभाव यौन स्वास्थ्य पर प्रभाव: इरेक्टाइल डिसफंक्शन (ED): लगातार अश्लील सामग्री देखने से मस्तिष्क का डोपामाइन सिस्टम प्रभावित होता है, जिससे वास्तविक यौन संबंधों में उत्तेजना कम हो सकती है। इसे "पोर्न-इंड्यूस्ड इरेक्टाइल डिसफंक्शन" कहा जाता है। अध्ययनों में पाया गया है कि अत्यधिक पोर्न देखने वाले पुरुषों में वास्तविक पार्टनर के साथ यौन प्रदर्शन में कमी आ सकती है। कामेच्छा में असंतुलन: बार-बार उत्तेजक सामग्री देखने से यौन इच्छा कृत्रिम उत्तेजनाओं पर निर्भर हो सकती है, जिससे वास्तविक संबंधों में रुचि कम हो जाती है। नींद की समस्या: देर रात तक अश्लील सामग्री देखने से नींद का चक्र बिगड़ सकता है। नींद की कमी से तनाव, थकान, और हार्मोनल असंतुलन बढ़ता है, जो समग्र स्वास्थ्य को प्रभावित करता है। हार्मोनल और न्यूरोलॉजिकल प्रभाव: अश्लील सामग्री देखने से मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर तेजी से बढ़ता है, जो एक तरह की लत (addiction) को बढ़ावा देता है। लंबे समय तक यह मस्तिष्क की इनाम प्रणाली (reward system) को desensitize कर सकता है, जिससे सामान्य गतिविधियों में आनंद कम महसूस होता है। तनाव हार्मोन (कोर्टिसोल) का स्तर बढ़ सकता है, जिससे चिंता और अवसाद की संभावना बढ़ती है। 2. मानसिक प्रभाव लत (Addiction): अश्लील सामग्री देखना मस्तिष्क के लिए एक "सुपरनॉर्मल स्टिमुलस" की तरह काम करता है, जो बार-बार देखने की इच्छा को बढ़ाता है। यह व्यवहार इंटरनेट गेमिंग या जुए की लत जैसा हो सकता है। लत के कारण व्यक्ति का समय और ऊर्जा बर्बाद होती है, जिससे पढ़ाई, काम, और रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। आत्मसम्मान और आत्मविश्वास में कमी: अश्लील सामग्री में अक्सर अवास्तविक और अतिशयोक्तिपूर्ण चित्रण होता है, जिससे व्यक्ति अपने शरीर, यौन प्रदर्शन, या आकर्षण को लेकर असुरक्षित महसूस कर सकता है। यह विशेष रूप से किशोरों और युवाओं में बॉडी इमेज और आत्मविश्वास को प्रभावित करता है। अवसाद और चिंता: अध्ययनों में पाया गया है कि अत्यधिक पोर्नोग्राफी का सेवन अवसाद, चिंता, और सामाजिक अलगाव से जुड़ा हो सकता है। यह व्यक्ति को वास्तविक दुनिया से कटने और आभासी दुनिया में डूबने के लिए प्रेरित करता है। वास्तविक रिश्तों में असंतुष्टि: अश्लील सामग्री में दिखाए गए अवास्तविक यौन दृश्य वास्तविक रिश्तों से अपेक्षाओं को बढ़ा सकते हैं, जिससे पार्टनर के साथ असंतुष्टि और भावनात्मक दूरी बढ़ती है। 3. सामाजिक और रिलेशनल प्रभाव रिश्तों में तनाव: पार्टनर के साथ विश्वास और अंतरंगता कम हो सकती है, क्योंकि अश्लील सामग्री का अत्यधिक उपयोग रिश्ते में असुरक्षा और ईर्ष्या को बढ़ा सकता है। कुछ मामलों में, यह बेवफाई (emotional infidelity) का कारण बन सकता है, क्योंकि व्यक्ति वास्तविक संबंधों की तुलना में काल्पनिक दुनिया को प्राथमिकता देने लगता है। वास्तविक यौन संबंधों में कमी: अश्लील सामग्री पर निर्भरता के कारण व्यक्ति वास्तविक यौन संबंधों से दूरी बना सकता है, जिससे रिश्तों में तनाव और अलगाव बढ़ता है। सामाजिक अलगाव: अत्यधिक समय ऑनलाइन बिताने से व्यक्ति का सामाजिक दायरा सिकुड़ सकता है। दोस्तों, परिवार, और सामुदायिक गतिविधियों से दूरी बढ़ सकती है। 4. मनोवैज्ञानिक और नैतिक प्रभाव यौन वस्तुकरण (Objectification): अश्लील सामग्री अक्सर व्यक्तियों को केवल यौन वस्तु के रूप में प्रस्तुत करती है, जिससे दर्शक में दूसरों के प्रति संवेदनशीलता और सम्मान कम हो सकता है। यह विशेष रूप से महिलाओं के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण को बढ़ावा दे सकता है। अवास्तविक अपेक्षाएँ: पोर्नोग्राफी में दिखाए गए यौन व्यवहार और शारीरिक विशेषताएँ अवास्तविक होती हैं, जो वास्तविक जीवन में असंभव अपेक्षाएँ पैदा करती हैं। यह यौन और भावनात्मक असंतुष्टि का कारण बन सकता है। नैतिक और धार्मिक संघर्ष: कई लोगों के लिए, अश्लील सामग्री देखना उनकी नैतिक या धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ हो सकता है, जिससे अपराधबोध, शर्मिंदगी, और आत्म-घृणा की भावनाएँ बढ़ती हैं। 5. किशोरों और युवाओं पर विशेष प्रभाव यौन शिक्षा का गलत स्रोत: किशोर जो अश्लील सामग्री को यौन शिक्षा का स्रोत मानते हैं, वे यौन संबंधों, सहमति, और स्वस्थ रिश्तों के बारे में गलत धारणाएँ विकसित कर सकते हैं। यह असुरक्षित यौन व्यवहार और अस्वास्थ्यकर रिश्तों को बढ़ावा दे सकता है। मस्तिष्क विकास पर प्रभाव: किशोरावस्था में मस्तिष्क का विकास अभी पूरा नहीं होता। इस दौरान अश्लील सामग्री का अत्यधिक उपयोग मस्तिष्क के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (निर्णय लेने और आवेग नियंत्रण का हिस्सा) को प्रभावित कर सकता है। 6. दीर्घकालिक परिणाम लत से मुक्ति की चुनौती: पोर्नोग्राफी की लत से छुटकारा पाना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि यह मस्तिष्क की इनाम प्रणाली को बदल देता है। इससे व्यक्ति को सामान्य गतिविधियों में खुशी मिलना कम हो जाता है। करियर और उत्पादकता पर प्रभाव: अत्यधिक समय इस गतिविधि में बिताने से पढ़ाई, काम, और व्यक्तिगत लक्ष्यों पर ध्यान कम हो सकता है, जिससे करियर और वित्तीय स्थिरता प्रभावित होती है। निवारण और समाधान जागरूकता और शिक्षा: यौन शिक्षा और स्वस्थ रिश्तों के बारे में सही जानकारी प्राप्त करें। समय प्रबंधन: स्क्रीन टाइम को सीमित करें और स्वस्थ गतिविधियों (व्यायाम, पढ़ाई, शौक) में समय बिताएँ। मनोवैज्ञानिक सहायता: यदि लत गंभीर हो, तो किसी मनोवैज्ञानिक या काउंसलर से संपर्क करें। थेरेपी जैसे CBT (Cognitive Behavioral Therapy) प्रभावी हो सकती है। सामाजिक जुड़ाव: परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएँ और सामाजिक गतिविधियों में भाग लें। इंटरनेट फ़िल्टर: पोर्नोग्राफी तक पहुँच को सीमित करने के लिए इंटरनेट फ़िल्टर या ब्लॉकिंग सॉफ्टवेयर का उपयोग करें। निष्कर्ष निरंतर अश्लील सामग्री देखने से शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक स्तर पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। यह न केवल यौन स्वास्थ्य और रिश्तों को प्रभावित करता है, बल्कि आत्मसम्मान, उत्पादकता, और समग्र जीवन की गुणवत्ता को भी कम करता है। इन प्रभावों से बचने के लिए जागरूकता, आत्म-नियंत्रण, और यदि आवश्यक हो तो पेशेवर सहायता लेना महत्वपूर्ण है। यदि आप इस विषय पर और गहराई से चर्चा करना चाहते हैं या किसी विशिष्ट पहलू पर सलाह चाहिए, तो बता सकते हैं। अस्वीकरण: ग्रोक एक डॉक्टर नहीं है; कृपया एक से परामर्श करें। ऐसी जानकारी साझा न करें जो आपकी पहचान कर सके।

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#अशलीलता_हटाओ_संस्कृति_बचाओ निरंतर अश्लील सामग्री देखने से दिमाग पर कई तरह के असर हो सकते हैं: 1. *मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव*: अश्लील सामग्री देखने से मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि तनाव, चिंता और अवसाद। 2. *वास्तविकता की धारणा*: अश्लील सामग्री अक्सर वास्तविकता को विकृत तरीके से पेश करती है, जिससे दर्शकों की वास्तविकता की धारणा प्रभावित हो सकती है। 3. *संबंधों पर प्रभाव*: अश्लील सामग्री देखने से रिश्तों पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि संबंधों में अवास्तविक अपेक्षाएं और असंतुष्टता। 4. *नैतिकता और मूल्यों पर प्रभाव*: अश्लील सामग्री देखने से नैतिकता और मूल्यों पर भी प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि सही और गलत की भावना में बदलाव। 5. *आदत और लत*: अश्लील सामग्री देखने की आदत पड़ सकती है, जिससे व्यक्ति की दैनिक जीवनशैली और उत्पादकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अश्लील सामग्री के प्रभाव व्यक्ति की व्यक्तिगत परिस्थितियों और दृष्टिकोण पर निर्भर करते हैं।

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