Acharya Prashant
                                
                                    
                                        
                                    
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                February 12, 2025 at 05:31 AM
                               
                            
                        
                            📝 पूरा लेख पढ़ें: https://acharyaprashant.org/en/articles/bharat-ko-nobel-puraskar-kyun-nahi-milta-1_bbee17d?cmId=m00075
भारत को नोबेल प्राइज़ क्यों नहीं मिलता?
जिस समाज और संस्कृति में वास्तविक धर्म के लिए जगह न हो, वहाँ जिज्ञासा कैसे होगी? और बिना जिज्ञासा के खोज कैसे संभव है? नोबेल प्राइज़ तो उन्हीं को मिलता है, जो मानने की बजाय जानने के लिए खोजते हैं। भारत में संस्कृति का मतलब परंपरा और अंधविश्वास बन चुका है। वैज्ञानिक समाज की ज़मीन से खड़ा होता है। इसलिए जब तक हमारी सोच, शिक्षा प्रणाली और संस्कृति नहीं बदलती, तब तक खोज, प्रगति और नोबेल प्राइज़ असंभव है।
                        
                    
                    
                    
                    
                    
                                    
                                        
                                            ❤️
                                        
                                    
                                        
                                            🙏
                                        
                                    
                                        
                                            👍
                                        
                                    
                                        
                                            🌟
                                        
                                    
                                        
                                            💞
                                        
                                    
                                        
                                            🔱
                                        
                                    
                                        
                                            😎
                                        
                                    
                                    
                                        44