
Bhavisya Malika Hindi
February 14, 2025 at 04:47 PM
सबु भिआण अटइ मोहर,
बुझिले त दोष नाहिँ काहार।
पाप न कले युग न तुटिब,
बसि बसि मोते चिड़ा लागिब।
-चउषठि पटल।
महापुरुष श्री अच्युतानंद दास ने अपने मालिका ग्रंथ 'चउषठि पटल' में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन का संवाद उद्धृत किया है जिसमें श्रीकृष्ण ने अपने भक्त व सखा अर्जुन को समझाया कि इस संसार में जो कुछ भी होता है वह मेरी इच्छा से ही होता है। इसलिए यदि गहराई से सोचा जाए तो कैसी भी घटना में किसी का कोई दोष नहीं है। यदि संसार में पाप न हो, तो युग का अंत भी नहीं होगा। और यदि युग का अंत न हो, तो मैं भी नीलाचल में बैठा-बैठा परेशान हो जाऊं। इसलिए मैं ही युगान्त हेतु पापियों से पाप कराता और युग का अंत करता हूं। सब मेरी ही इच्छा से होता है।
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