𝐒𝐓𝐔𝐃𝐘𝐏𝐃𝐅 𝐖𝐀𝐋𝐋𝐀𝐇™
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February 4, 2025 at 11:56 PM
0️⃣5️⃣❗0️⃣2️⃣❗2️⃣0️⃣2️⃣5️⃣ *♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️* *!! वास्तविक चरित्र !!* ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ राजा भोज के दरबार में एक विद्वान आए। वे अनेक भाषाऐं धारा प्रवाह रूप से बोलते थे। भोज यह जानना चाहते थे कि उनकी मातृ-भाषा क्या है? पर संकोचवश पूछ न सके। विद्धान जी के चले जाने के बाद राजा ने अपनी शंका दरबारियों के सामने रखी और पूछा- “क्या आपमें से कोई बता सकता है कि विद्धान जी की मातृभाषा क्या है?” विदूषक ने कहा- “आज तो नहीं कल मैं पता लगा दूँगा कि उनकी अपनी भाषा क्या है?” दूसरे दिन नियत समय पर पंडित जी आए और दरबार समाप्त होने पर जब वे जाने लगे तो विदूषक ने उन्हें सीढियों पर धक्का लगा दिया, जिससे वे गिर पडे, उन्हें थोडी चोट लगी। विदूषक की अशिष्टता पर उन्हें बहुत क्रोध आया और वे धडाधड गालियाँ देने लगे। जिस भाषा में वे गालियाँ दे रहे थे उसे ही उनकी मातृ-भाषा मान लिया गया। प्रकट में विदूषक पर राजा ने भी क्रोध दिखाया पर मन ही मन सभी ने उसकी सूझ की प्रशंसा की। विद्धान जी के जाने के बाद विदूषक बोला- “तोता तभी तक राम-राम कहता है जब तक कोई मुसीबत उस पर नहीं आती। पर जब बिल्ली सामने आती है तो वह बस टें-टें ही बोलता है। इसी प्रकार क्रोध में मनुष्य असली भाषा बोलने लगता है।” राज पुरोहित ने कहा- “विपत्ति आने पर मनुष्य के असली व्यक्तित्व का पता चलता है। साधारण समय में लोग आवरण में छिपे रहते हैं पर कठिनाई के समय वे वैसा ही आचरण करते हैं जैसे कि वस्तुतः वे होते हैं।” *शिक्षा:-* जो मौका मिलने पर या विपत्ति में भी स्वार्थ के लिए गलत मार्ग न अपनाए वही ईमानदार और वास्तविक चरित्रवान है। *सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।* *जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।* ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
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