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January 21, 2025 at 02:16 AM
*कभी ना कहो की दिन अपने ख़राब है,*
*समझ लो की हम काँटों से घिर गए गुलाब है।*
*रखो हौंसला वो मंज़र भी आयेगा;*
*प्यासे के पास चलकर समंदर भी आयेगा,*
*थक कर ना बैठो, ऐ मंजिल के मुसाफ़िर;*
*मंजिल भी मिलेगी और जीने का मजा भी आयेगा।*
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