The Online Basta (द ऑनलाइन बस्ता)
February 11, 2025 at 12:05 AM
*♨️ आज का प्रेरक प्रसंग ♨️*
*!! झूठ और सच !!*
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किसी गाँव में मित्र शर्मा नामक एक ब्राह्मण रहता था। एक बार वह अपने यजमान से एक बकरा दान में पाकर अपने घर को जा रहा था। रास्ता लम्बा और सुनसान था। थोड़ी दूर आगे जाने पर रास्ते में उसे तीन ठग मिले। ब्राह्मण के कंधे पर बकरे को देखकर तीनों ने उसे हथियाने की योजना बना ली।
तीनों अलग-अलग हो गये। सबसे पहले एक ठग ने पंडित के पास से गुजरते हुए पंडित जी से कहा पंडित जी ये कंधे पर उठाकर क्या लेके जा रहे हो। यह क्या अनर्थ कर रहे हो ब्राह्मण होकर एक कुत्ते को अपने कंधों पर उठा रखा है आपने। पंडित ने झिड़कते हुए जवाब दिया, “कुछ भी अनाप शनाप बोल रहे हो अंधे हो गये हो क्या ये बकरा है तुम्हें दिखाई नहीं देता?” इस पर ठग ने बनावटी चेहरा बनाते हुए जवाब दिया कि मेरा क्या जाता है मेरा काम आपको बताना था आगे आपकी मर्ज़ी। अगर आपको कुत्ता ही अपने कंधों पर लेके जाना है तो मुझे क्या? अपना काम आप जानो, यह कहकर वह निकल गया।
थोड़ी दूर चलने के बाद ब्राह्मण को दूसरा ठग मिला। उसने ब्राह्मण से कहा, “पंडित जी क्या आप नहीं जानते उच्च कुल के लोगों को अपने कंधों पर कुता नहीं लादना चाहिए।” पंडित ने उसे भी झिड़का और आगे बढ़ गया।
इस पर थोड़ी दूर और आगे जाने के बाद पंडित से तीसरा ठग मिला और उसने पंडित से कुत्ते को पीठ पर लादे जाने का कारण पूछा तो पंडित के मन में आया कि हो न हो मेरी आंखें धोखा खा रही है। इतने लोग झूठ नहीं बोल सकते, लगता है कि ये कुत्ता ही है और उसने रास्ते में थोडा आगे जाकर बकरे को अपने कंधे से उतार दिया और घर को चला गया।
तीनों ठगों ने बकरे को मारकर खूब दावत उडाई।
*शिक्षा:-*
इसलिए कहा गया है बार-बार झूठ को भी मेजोरिटी में बोलने पर वह सच जैसा जान पड़ता है और लोग धोखे का शिकार हो जाते हैं।
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