Naat Sharif Status
Naat Sharif Status
February 11, 2025 at 05:47 AM
> *अज़मत-ए-शब-ए-बरात* शाबान की पंद्रहवीं रात जिसे शब-ए-बरात भी कहा जाता है, इस अज़ीम-उश-शान रात में इबादत व रियाज़त करना सआदत की बात है। इस रात में बेहिसाब लोगों को मग़फ़िरत का परवाना दिया जाता है। चुनांचे हदीस शरीफ में है: يَطَّلِعُ الله إِلَى خَلْقِهِ لَيْلَةَ النِّصْفِ مِنْ شَعْبَانَ، فَيَغْفِرُ لَهُمْ، إِلا اثنيْنِ: مُشَاحِنٌ، وَقَاتِلُ النَّفْسِ. "अल्लाह عزوجل शाबान की पंद्रहवीं रात अपनी मखलूक की तरफ नज़र-ए-रहमत फरमाता है और दो लोगों के इलावा सबकी मग़फ़िरत फरमा देता है; एक अदावत रखने वाला और दूसरा नाहक क़त्ल करने वाला।" (अल-मु'जम-उल-कबीर, ज:20, स:108, हदीस: 215) एक दूसरी हदीस शरीफ में है: خَمْسُ لَيَالٍ لا يُرَدُّ فِيهِنَّ الدُّعَاءُ. "पांच रातें ऐसी हैं जिनमें दुआ रद्द नहीं की जाती।" इनमें एक शाबान की पंद्रहवीं रात का ज़िक्र फरमाया गया है। (फज़ाएल-उल-अवक़ात, ज:1, स:311, हदीस: 149) शब-ए-बरात की बरकतें मुफ्ती अहमद यार खान नईमी رحمۃ اللہ علیہ लिखते हैं: "शब-ए-बरात की रात बहुत मुबारक है। इस रात में साल भर में होने वाले सारे इंतिज़ामात फरिश्तों के सुपुर्द कर दिए जाते हैं कि इस साल कौन-कौन इस दुनिया से रुखसत होगा, कहाँ-कहाँ कितना पानी बरसेगा, किसे मालदार और किसे गरीब बनाया जाएगा। और जो इस रात में इबादत करते हैं, उन्हें अज़ाब-ए-इलाही से रिहाई मिलती है। इसी वजह से इस रात का नाम शब-ए-बरात रखा गया है। अरबी में बराअत के मानी रिहाई और छुटकारा हैं, यानी यह रात रिहाई की रात है। इस रात में ज़मज़म के कुएं में पानी बढ़ाया जाता है और इस रात हक़ तआ'ला की रहमतें बहुत ज़्यादा नाज़िल होती हैं।" (इस्लामी ज़िंदगी, स:77) हमारा फ़र्ज़ हमें चाहिए कि इस मुबारक रात में ख़ास एहतिमाम के साथ इबादत करें, नवाफ़िल पढ़ें, रब की बारगाह में तौबा व इस्तिग़फ़ार करें और आशिक़ान-ए-रसूल की दीनी तहरीक "दावत-ए-इस्लामी" के तहत होने वाले इज्तिमा-ए-शब-ए-बरात में शिरकत करें। ब-जमाअत सलात-उत-तसबिह पढ़ने और इज्तिमाई दुआ की बरकत भी हासिल करें। ❤ 📩 📤 ˡᶦᵏᵉ ˢᵃᵛᵉ ˢʰᵃʳᵉ
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