𝑫𝒊𝒘𝒂𝒏𝒊𝒊𝒊_𝒆_𝒎𝒂𝒅𝒊𝒏𝒂𝒂❤️
January 27, 2025 at 12:38 PM
*मे'राज को वो सय्यिद-ए-अबरार चले हैं*
*ग़म ले के गुनाहगार का ग़म-ख़्वार चले हैं*
*ये रात है, फ़ारूक़ी ! बढ़ी रहमतों वाली*
*अल्लाह से मुलाक़ात को सरकार चले हैं*♥️🌹
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