Educators of Bihar
Educators of Bihar
February 9, 2025 at 02:53 PM
मैं बिहार में नियुक्त एक शिक्षक हूं। जो अपने परिवार, बाल बच्चो के भविष्य के लिए, मां-बाप के बुढ़ापे के लिए, उनकी दवा और इलाज के लिए, घर से 300 किलोमीटर दूर नौकरी कर रहा हूं। सरकार ने मेरे कंधों पर बिहार के बच्चों का भविष्य संवारने का जिम्मा सौपा है। जिसको मैं बखूबी निर्वाह भी कर रहा हूं। मैं सोच रहा हूं कि हमारे बिहार के बच्चे देश दुनिया में कहीं भी जाएं, जो उनके प्रति समाज की गलत धारणा बनी है उसका वह मुकाबला कर पाए और अपने को पुरानी धारणाओं से बाहर निकाल कर एक नए बिहार का परिचय दे सकें। लेकिन इन सब के बावजूद घर की मां-बाप की छोटे-छोटे बच्चों की गांव के खेत खलिहानों की भी चिंताएं लगी रहती है। घर न होने से मां-बाप के बृद्ध और लाचार होने की वजह से देयाद पाटीदार खेत खलिहानों पर गलत नजर बनाए हुए हैं। बच्चे मार्गदर्शन के अभाव में गांव के कुछ गलत बच्चों की संगति में पडने का भी डर सता रहा है। बीवी के ताने अलग से आते हैं कई वर्ष हो गए उसको मायके जाना है, बहन की शादी नहीं देख पाई। इन सब की चिंता के अलग बाबूजी का आंख बनवाना है। मां के पैरों में जो दर्द बना रहता है उसके इलाज के लिए अच्छे डॉक्टर के पास जाना है। जब सरकार ने दिसंबर में घोषणा किया कि # हम शिक्षकों का ट्रांसफर करने जा रहे हैं। यह खबर गांव में कहीं उड़ते उड़ते मेरे बाबूजी के कानों तक पहुंची और उन्होंने मेरी पत्नी के फोन से फोन करवाया और पूछा बेटा अब तो तू गांव आ रहा है ? अब तो घर का सारा समस्या समाधान हो जाएगा। मेरी आंख भी बन जाएगी। तेरी बुढ़ि मां का इलाज भी हो जाएगा, बच्चों के लिए ट्यूशन भी लग जाएगा और बहुरिया को तुम मायके भी घुमा लेगा। गेहूं की फसल को रात में नीलगाय चर जा रही है। बेटा तू आ जाएगा तो यह सब काम हो जाएगा। फोन पर बाबूजी की बातें सुनकर बेटा मन ही मन सिसकने लगा। और बोला " हां बाबूजी सरकार तो ट्रांसफर करने जा रही है मैं जल्द ही गांव आ जाऊंगा"। आज यह दो महीना बीतने जा रहा है बाबूजी का फोन आता है और पूछते हैं- "बेटा कब तक आएगा"? नीलगायों ने सारे गेहूं के खेत को चर गई हैं। बहुरिया भी उदास रहती है। मां से उठा बैठा नहीं जा रहा। बेटा कब तक आ रहा है! बेटा का एक ही जवाब होता है "बाबूजी सरकार जल्द ही ट्रांसफर करने वाली है देखिए बहुत ही जल्द हम घर आ जाएंगे" अब एक विवस, लाचार शिक्षक अपनी मजबूरी को इससे ज्यादा किस तरह से बयां कर सकता है। एक बाप के सपनों उम्मीद को वह टूटटा हुआ नहीं देखना चाहता। मेरी बातों से आप भी सहमत हो तो इस प्रसंग को सरकार तक पहुंचाने की कृपा करें।
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