
कविताएँ और साहित्य 🥀
January 26, 2025 at 03:35 AM
“अंग्रेज़ बहुत चालाक हैं। भरी बरसात में स्वतंत्र करके चले गए। उस कपटी प्रेमी की तरह भागे, जो प्रेमिका का छाता भी ले जाए। वह भीगती बस-स्टैंड जाती है, तो उसे प्रेमी की नहीं, छाता-चोर की याद सताती है। स्वतंत्रता-दिवस भीगता है और गणतंत्र-दिवस ठिठुरता है।”
[ हास्य व्यंग्य - ठिठुरता हुआ गणतंत्र ]
#republicday2025
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