कविताएँ और साहित्य 🥀
कविताएँ और साहित्य 🥀
January 27, 2025 at 03:09 PM
जब-जब जनम लूँगा / नवल शुक्ल जब-जब जनम लूँगा कुछ नहीं काटूँगा केक तो क़तई नहीं एक पेड़ लगाऊँगा। कुछ नहीं बुझाऊँगा रोशनी तो क़तई नहीं दिशा बन जाऊँगा। कुछ नहीं फोडूँगा बैलून तो क़तई नहीं मन बनाऊँगा। बिलकुल नहीं नाचूँगा न लगाऊँगा ठहाके हो सका तो छूट गई जगहों और भूल गए लोगों की अनुपस्थिति धीरे-धीरे सहलाऊँगा। ★ जन्मदिन
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