Urdu Safar Channel
Urdu Safar Channel
February 1, 2025 at 04:56 PM
एक 'आस' जो सांस टूटने तक नहीं टूटी... अहमदाबाद के चमनपुरा इलाके में एक उच्च मध्यम वर्गीय मुसलमानों की बस्ती थी- गुलबर्ग सोसायटी। इस सोसायटी में खांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफ़री भी रहते थे। फरवरी २००२ में सारा गुजरात 'बदले की आग' में जल रहा था। 'दंगे' शुरू होने के एक दिन बाद, २८ फरवरी को सुबह ९ बजे, गुलबर्ग सोसाइटी के बाहर नारे लगाने वाली हिंदू चरमपंथियों की भीड़ जमा हो गई। उग्र भीड़ ने तोड़फोड़, आगज़नी शुरू कर दी तो आसपास के मुस्लिम परिवार एहसान जाफ़री के घर में जमा हो गए, ये सोचकर कि जाफ़री सांसद रहे हैं, सरकार, प्रशासन में उनका इतना तो रसूख़ होगा कि कमसकम 'जान' बच सके! एहसान जाफ़री ने कई आला अधिकारियों से लेकर उस वक़्त के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को भी फ़ोन लगाकर गुलबर्ग सोसायटी के हालात की जानकारी दी। लेकिन, हर एक ने असमर्थताई। इसके उलट, कहते हैं कि मोदी ने एहसान जाफ़री से यहां तक मज़ाक उड़ाया कि 'तुम अभी तक मरे नहीं??'.... हर तरफ़ से निराश एहसान जाफ़री ने अपनी लायसेंसी बंदूक से दंगाइयों को डराने के लिए फायरिंग भी की; लेकिन सरकार, प्रशासन द्वारा प्रायोजित चरमपंथियों पर भला एक छोटी सी रिवॉल्वर क्या असर कर सकती थी! आख़िरी रास्ते के रूप में एहसान जाफ़री ने ख़ुद क़ुर्बान होने का मन बनाया और ख़ुद को चरमपंथियों की भीड़ के हवाले कर दिया, ये सोचकर कि दंगाई अपना गुस्सा उन पर निकालकर बाकियों को छोड़ देंगे! चरमपंथियों के हत्थे चढ़ते ही एहसान जाफ़री 'काट' दिए गए... फिर उनकी 'बॉडी' को आग के हवाले कर दिया गया...! 'सरकारी आंकड़ों' के मुताबिक इसी दौरान ६९ लोगों को मारा गया, काटकर, जलाकर... गुजरात के 'अच्छे हिंदू' या खांग्रेस पार्टी के सेक्यूलर नेता, कार्यकर्ता अपने पूर्व सांसद की रक्षा नहीं कर सके। यहां तक कि इन दंगों के २ साल बाद ही 'केंद्र' की सत्ता में आई खांग्रेस और यूपीए सरकार में शामिल तमाम सेक्यूलर पार्टियां मिलकर, अगले १० साल तक सत्ता में रहने के बावजूद गुजरात के दंगा पीड़ितों को इंसाफ़ नहीं दिला सकीं...! मरहूम शहीद एहसान जाफ़री की बेवा ज़किया जाफ़री ने मगर अपने मरहूम शौहर के क़ातिलों को सज़ा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लंबी क़ानूनी लड़ाई लड़ी। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट की दखल, एसआईटी जांच-वांच के मदारी खेल में दंगाइयों के सरगना का बाल तक बाका नहीं हुआ! शहीद एहसान जाफ़री के 'असली' क़ातिलों को 'कमसकम' जेल की सलाखों के पीछे देखने की आस में बैठी मोहतरमा जाफ़री ने, क़ातिलों को पार्षद, MLA, MP, मंत्री, CM-PM तक बनते देखा... आख़िर आज ज़किया जाफ़री की सांस टूट गई; मगर 'आस' पूरी नहीं हो पाई...! २२ सालों तक इंसाफ़ के लिए लड़ते लड़ते ज़किया जाफ़री अपना 'लंबित मुक़दमा' लिए मालिक-ए-हक़ीक़ी के दरबार में चली गईं हैं जहां १००% इंसाफ़ होगा... इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैही राजिऊन... मोहतरमा Nishrin Jafri Hussain अल्लाह आपको सब्र दें...(आमीन) जावेद पटेल #ज़किया_जाफ़री #zakiajafri #gujaratriots #gujarat2002
😢 6

Comments