
SAHAJAYOGA WORLD
January 30, 2025 at 10:35 AM
*परमात्मा के अस्तित्व को स्वीकार करना और उनके प्रेम की शक्ति से जुड़ना ही मानव जीवन का उद्देश्य है ।*
"आज के आधुनिक युग में परमात्मा के बारे में बात करना असंभव है, क्योंकि बुद्धिजीवियों के हिसाब से परमात्मा का कोई अस्तित्व ही नहीं है। जो कुछ भी उन्हें अच्छा लगता है, वे कह सकते हैं, *लेकिन परमात्मा हैं और वे वास्तव में हैं।*
*अब वह समय आ गया है कि सबसे पहले हम यह जानें कि हम यहाँ किस लिए हैं? हमारा उद्देश्य क्या है?* क्या हम इस संसार में केवल, जन्म लेने के लिए, अपना खाना खाने के लिए, बच्चे पैदा करने के लिए, बच्चों के लिए पैसा इकठ्ठा करने के लिए और उसके बाद मरने के लिए आए हैं? या फिर कोई दूसरा भी विशेष कारण है, जिस कारण से परमात्मा ने हमें इतना प्रेम किया, जिससे उसने मानव जाति के लिये एक नये विश्व की रचना की है?
*हमारे लिए यह समय इसलिए भी आया है कि हम ये जानें कि परमात्मा हैं, और उनके प्रेम की शक्ति भी है। और इतना ही नहीं, यह शक्ति आयोजन करती है, समन्वय करती है। यह इतनी गतिशील है कि यह हमें प्रेम करती है, और अपने प्रेम में वह हमें परमात्मा का साम्राज्य देना चाहती है, वह महानतम चीज़ जो मानव जाति के लिये योजनाबद्ध की गई थी।*
आओ हम अपनी निराशाओं और अपने कष्टों और अपनी तथाकथित राजनीतिक व आर्थिक समस्याओं को भूल जाएं, क्योंकि उनका कोई अस्तित्व नहीं है। यह केवल एक मृगतृष्णा है, जिसके पीछे हम भाग रहे हैं। हम ही वे लोग हैं, जिन्होंने यह मकड़ी का जाल बुना है, और हम इसी में ही उलझे हुए हैं, और अपने जीवन के बारे में चिंतित हैं। *चिंता करने की कोई भी बात नहीं है।"*
*प. पू. माताजी श्री निर्मला देवी।*
28 जनवरी 1980
https://youtu.be/E00Xj0ssw_8?si=TuL44y85n_aeiVbQ
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