Paigam E Tajushshariah Bareilly Shareef
February 12, 2025 at 05:29 PM
اَلصَّــلٰوةُوَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَارَسُوْلَ اللّٰهﷺ
*♽☞ सवाल :-* *क्या हज़रत अवैस करनी رضی اللہ عنہ की दांत मुबारक़ तोड़ने वाली बात सही है ?*
*♼☞ जवाब :-* _हज़रत अवैस करनी رضی اللہ عنہ की दांत मुबारक़ तोड़ना किसी भी रिवायते सहिहा से साबित नहीं है ,जिसकी बुनियाद् पर ये वाक़िया गढा गया है वो भी मोउज़ु है, कुछ उल्मा ने अपनी किताबो में लिखा ज़रुर है ,मगर उसका कोई सही हवाला नहीं दिया, मज़ीद तफ्सील् के लिए मुफ़्ती फज़ल् अहमद चिस्ती की इस मोउज़ु पर किताब और मुहक्किके इस्लाम अल्लामा मुहम्मद अली नक़्शबन्दी رحمہ اللہ की किताब_
_مستطاب "فقہ جعفریہ" ج 3، ص 550 تا 552 📚_
_का मुतालआ करें !_
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*♽☞ सवाल :-* *क्या शबे बरात कि रात हज़रत अवैस्* _رضی اللہ تعالیٰ عنہ_ *करनी की नाम की फ़ातिहा दी जाती है ,जवाब इनायत फरमाए ?*
*♼☞ जवाब :-* _*शबे बरात कि फ़ातिहा हज़रत अवैस् करनी رضی اللہ تعالیٰ عنہ*_ _के नाम दिलाने में कोई हर्ज नहीं ,लेकिन बेहतर ये है कि ये फातिहा जुम्ला मोमिनीन व मोमिनात, मुस्लेमिन् व मुस्लेमात और बिलखुसुस् अपने अहले खाना (परिवार) के नाम दिलाये इसलिए की इस रात रुहे अपने घर आती है ,जैसा कि हदीस शरीफ में आया है :-_
*عن ابن عباس رضی اللہ تعالیٰ عنھما اذا کان یوم العید او یوم الجمعتہ او عاشورا و لیلتہ النصف من الشعبان تاتی ارواح الاموات ویقومون عل ابواب بیوتھم فیقولون ھل من احد یذ کرنا ;; ھل من احد یترحم علینا,, ھل من احد یذ کر غربتنا*
*तर्जमा:-* _हज़रत इब्ने अब्बास رضی اللہ تعلیٰ عنہ से रिवायत है कि जब ईद , या जुमाअ ,या आशूरह, या शबे बरात होती हैं तो उमवात् की रूहे आती है , और अपने घरों के दर्वाज़ो पर खडी होती है और कहती है -_ *'' है कोई जो हमें याद करें , है कोई जो हम पर तरस खाये ,है कोई जो हमारे गुरबत् की याद दिलाये " !*_
*#📚 फतावा रज़विया मुतर्जिम,जिल्द 9,सफह् 603*
_👆 *निज़् शबे बरात कि फातिहा में हुज़ुर ﷺ के नाम भी ज़रूर शामिल करें ,क्योंकि आप صلی اللہ ےعالیٰ علہ وسلم हलवा बहुत पसंद फरमाते थे, जैसा कि हदीस शरीफ में आया हज़रत आयिशा उम्मुल मोमेनीन फरमाती है कि हुज़ुरﷺ को हलवा पसन्द है :-*_
*عن عایشتہ رضی اللہ عنھا قالت کان رسول صلی اللہ تعالی علہ و سلم یحب الحلواہ والعسل*
*#📚 इब्ने माजह् शरीफ सफह् 238*
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*♽☞ सवाल :-* *क्या शबे क़द्र में पूरी रात जागना ज़रूरी है ,किसी बिमारी की वजह से थोड़ा आराम कर सकते है ?*
*♼☞ जवाब :-* _शबे क़द्र में सारी रात इबादात करना अफ्ज़ल् है , हदीस शरीफ में आता है हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु तआला अन्हु से रिवायत है कि नबी ए करीम हुज़ुर ﷺ ने इरशाद फरमाया जब निस्फ् शाबान की रात आती है तो अल्लाह अज़्ज़ोअजल आसमाने अव्वल् की तरफ इस्तवा फरमाता है और अपने बन्दों की मगफिरत करता है ,सिवाए मुशरिक और दिल में बुग्ज़् रख्ने वालों के,_
*#📚 इमाम बैहक़ी ,शोऐबुल् ईमान ,जिल्द 5, सफह् 357,हदीस नं 3546*
*#📚 इमाम इब्ने हजर हैतमी, मजम-उल-ज़्वायद्, जिल्द 1, सफह् 125,हदीस 12957*
*#📚 इमाम इब्ने खुज़ैमा , किताबुत् तौहीद ,जिल्द 1,सफह् 325,हदीस नं 48*
*#📚इमाम् असीम ने हसन कहा :- इमाम असीम अस सुन्नह् ,जिल्द 1,सफह् 222,हदीस नं 509*
_👆जब अल्लाह तआला पहले आसमान् पर इस्तवा फरमाता है और हमपर नज़्रे करम करता है तो क्यों ना हम सारी रात इबादात करें,नमाज़े पढ़कर अगर थकान आ जाये तो तिलावते क़ुरान करें, या बैठकर वज़ायफ पढ़े, चुकी हदीस शरीफ में ये भी है कि इसी दिन अल्लाह आने वाले दिनों का हिसाब लिख देता है जिसमें ,उम्र ,रिज़्क् ,भी शामिल है तो क्यों ना हम उस रब्बुल आलमीन की बारगाह में सर ना झुकाए जिससे हमारे आमाल ,और अमल मक़्बुल् हो जाए,!_
_*★ हाँ अगर किसी बीमारी या कमज़ोरी की वजह से आप ज़्यादा इबादात् नही कर पाते तो थोड़ा आराम कर सकते है , और अगर सोना भी चाहे तो सो ले अपनें जिस्म को आराम देना भी अल्लाह की नेय्मत की हिफाज़त है ,मगर आखरी पहर फज़र् से पहले उठकर इबादात् में शामिल हो जाए और सेहरी करे ,फज्र पढ़कर ,रोज़ा रखे !*_
*★ बिमारी या किसी उज़्र की वजह से इबादत ना करने वालों को राहत है !*
*★ और ये भी ना हो की सारी रात नफ्ल् अदा की गई और जब सुबह फ़र्ज़ अदा करने का वक़्त आया तो सो गए ! ऐसा करने से बचे !*
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*♽☞ सवाल :-* *एक सवाल ये है के कुछ लोग कहते हैं के शबे बराअत की रात को अगर कोई बेरी के 7 पत्ते पानी में जोश देकर उस पानी से गुस्ल कर ले तो पूरा साल जादू से हिफाज़त में रहेगा साल भर कोई जादू असर नहीं करेगा, क्या ये बात सही है ह़वाले के साथ जवाब इनायत करें ?*
*♼☞ जवाब :-* _हां ये बात बिल्कुल सही है- मुफ़स्सिरे क़ुरआन हकीमुल उम्मत हज़रत मुफ्ती अह़मद यार खान नईमी अलैहिर्रह़मा तह़रीर फरमाते हैं के इस रात यानि शबे बरात की रात को बेरी के 7 पत्ते यानि बेर के दरख़्त के पत्ते को पानी में जोश देकर जब पानी नहाने के क़ाबिल हो जाए उससे गुस्ल करें इंशाअल्लाह साल भर जादू के असर से मह़फूज़ रहेगा !_
*#📚 इस्लामी ज़िन्दगी सफह 108,109*
*#📚 रिसाला आक़ा का महीना सफह 20*
*#📚 फज़ाइले शअबान व शबे बराअत सफह 36*
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*♽☞ सवाल :-* *हमारे यहाँ शबे बरात में शकर (चीनी) पर फ़ातिहा होती है तो क्या शकर पर फ़ातिहा पढ़ सकते हैं कुछ लोग कहते हैं शकर पर फ़ातिहा नहीं देना चाहिए कियोंके तक़सीम करने में दाना गिरता है क्या ये सही है ?*
*♼☞ जवाब :-* _हुज़ूर सदरुश्शरिअह हज़रत फ़क़ीहे आज़म मुफ्ती अमजद अली आज़मी क़ादरी अलैहिर्रह़मा तह़रीर फरमाते हैं के, जो चीज़ खाना ह़राम हो, तो उस पर फ़ातिहा पढ़ना और उसका सवाब पहूंचाना जायज़ नहीं, हदीस शरीफ में है के ह़राम चीज़ को अल्लाह तआला क़ुबूल नहीं फ़रमाता है तो न उसका कोई सवाब है न सवाब पहुंचाया जा सकता है और अगर वो चीज़ ह़राम नहीं है तो फ़ातिहा पढ़ने और इसाले सवाब करने में कोई गुनाह नहीं !_
*#📚 फतावा अमजदिया जिल्द 1 सफह 364*
👆 _इससे मालूम हुआ कि चीनी बिला शुबह ह़लाल है चीनी पर फ़ातिहा दिला सकते हैं अब रह गया के तक़सीम के वक़्त कुछ दाने नीचे गिर जाते हैं तो उसे अह़तियात से तक़सीम करें के दाना न गिरे फिर भी अगर दाने गिर जाते हैं तो उठा लें कियोंके जाइज़ शैय नीचे गिर जाने से नाजाइज़ नहीं हो जायेगी!_
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*♽☞ सवाल :- शबे बरात में रात में जागना और क़ब्रिस्तान में जाना वगैरह इस पर हवाले के साथ कुछ इरशाद फरमां दें महरबानी होगी-?*
*♼☞ जवाब :-* *💠हदीस शरीफ़ :-* _मौला अली रज़िअल्लाहु तआला अन्हु से मरवी है के हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं के “जब शाबान की 15.वीं रात आये तो तुम लोग रात को इबादत करो और दिन को रोज़ा रखो, बेशक इस रात में खुदा ए तआला आसमाने दुनिया पर तजल्ली फरमाता है और ऐलान करता है के है कोई मगफिरत का तलबगार के मैं उसे बख्श दूं है कोई रोज़ी मांगने वाला के मैं उसे रोज़ी दूं है कोई बला व मुसीबत से छुटकारा मांगने वाला के मैं उसे रिहाई दूं,, रात भर ये ऐलान होता रहता है यहां तक के फज्र तुलु हो जाती ह !_
*#📚 इब्ने माजा,जिल्द 1,सफह 398,*
*#📚 मिश्कात,सफह 115,*
*#📚 अत्तरगीब, जिल्द 2,सफह 52*
*📜हदीस शरीफ़ :-* _उम्मुल मोमेनीन सय्यदना आयशा सिद्दीक़ा रज़िअल्लाहु तआला अन्हा फरमाती हैं के एक रात हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मेरे पास से अचानक उठकर चले गए, जब मैंने उन्हें ना पाया तो उनकी तलाश में निकली तो आपको जन्नतुल बक़ी के कब्रिस्तान में पाया के आपका सरे मुबारक आसमान की तरफ था, जब हुज़ूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम ने मुझे देखा तो फरमाया के ऐ आयशा क्या तुझे ये गुमान था के अल्लाह का रसूल तुम पर जुल्म करेगा इस पर मैंने अर्ज़ की के या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु तआला अलैहि वसल्लम मैंने सोचा के शायद आप अपनी किसी और बीवी के पास तशरीफ ले गए हैं, तो आप फरमाते हैं के आज शाबान की 15.वीं रात है आज रात मौला तआला इतने लोगों को बख्शता है जिनकी तादाद बनी क़ल्ब की बकरियों से भी ज़्यादा होती है!_
*#📚 तिर्मिज़ी,जिल्द 1,सफह 403*
*#📚 इब्ने माजा,जिल्द 1, हदीस नंबर 1389*
*#📚 मिश्कात,सफह 114*
_*📝सोचिये के जब एक नबी कब्रिस्तान जा सकते हैं तो फिर उम्मती क्यों नही जा सकते है इस हदीस से कब्रिस्तान जाना साबित है _*
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