Taiyari with Ravikant समीक्षा अधिकारी (रैंक -4)
January 24, 2025 at 08:15 AM
*"कुछ भी बाद के लिए मत छोड़ो।* बाद में, कॉफी ठंडी हो जाती है। बाद में, तुम्हारी रुचि खत्म हो जाती है। बाद में, दिन रात में बदल जाता है। बाद में, लोग बड़े हो जाते हैं। बाद में, लोग बूढ़े हो जाते हैं। बाद में, ज़िंदगी गुजर जाती है। बाद में, तुम पछताते हो कि कुछ क्यों नहीं किया... जब तुम्हारे पास मौका था। ज़िंदगी एक क्षणभंगुर नृत्य है, एक नाज़ुक संतुलन, जो हमारे सामने खुलने वाले पलों से बनी है, जो फिर कभी उसी तरह लौटकर नहीं आते। पछतावा एक कड़वी दवा है, एक बोझ जो आत्मा पर भारी पड़ता है, छूटे हुए अवसरों और अनकहे शब्दों के साथ। तो, कुछ भी बाद के लिए न छोड़ें। पलों को उसी समय थाम लें, जब वे आएं, खुले दिल और फैलाए हुए हाथों से उन संभावनाओं को गले लगाएं, जो आपके सामने हैं। क्योंकि अंत में, हमें उन चीज़ों का पछतावा नहीं होता, जो हमने कीं, बल्कि उन चीज़ों का होता है, जो हमने नहीं कीं, उन शब्दों का, जो अनकहे रह गए, और उन सपनों का, जो अधूरे रह गए।" ~ तोशीकाजु कावागुची पुस्तक: बिफोर द कॉफी गेट्स कोल्ड
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