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February 15, 2025 at 11:15 PM
**रा-धा/ध:-स्व-आ-मी! 16-02-2025- (रविवार) आज सुबह सतसंग में पढे गये शब्द पाठ:- (1) चरन गुरु हिरदे धार रहा। दया रा-धा/ध:-स्व-आ-मी माँग रहा।। (संस्कृत)(प्रेमबानी-2- शब्द-3- पृ.सं.6,7)(अधिकतम् उपस्थिति- अनन्तपुर ब्राँच आन्ध्रप्रदेश- @- 3:15- दर्ज-61)* *(2) प्रेम गुरु मगन हुआ मन मोर। दिये सब धंधे जग के छोड़।। (प्रेमबानी-1- शब्द-87- पृ.सं.391,392)(स्वेतनगर मोहल्ला)* *(3) सुरतिया हँस हँस गावत नित्त। गुरु की आरत प्रेम भरी।।टेक।। (रत्नांजली - शब्द-38- पृ.सं.86-88) (पुरुष पाठ पार्टी दयालबाग)* *सतसंग के बाद:- (1)-रा-धा/ध:-स्व-आ-मी मूल नाम। (2)-हे दयाल सद् कृपाल! {संत सुपरमैन व विद्यार्थीगण द्वारा पढ़ें गये शब्द पाठ}- (१)- गुरु तारेंगे हम जानी। तू सुरत काहे बौरानी।। (रत्नांजली- शब्द-41- पृ.सं.92) (२)- उमँग मन फूल रहा। गुरु दरशन पाया री।। (प्रेमबानी-3- शब्द-10- पृ.सं.306,207) (३)- गुरु मोहि दीजे अपना धाम।।टेक।। (सारबचन- शब्द-13- पृ.सं.647,648) (४)- गुरु आरत मैं करने आई। दुक्ख भरम सब दूर नसाई।। (सारबचन- शब्द-4 - पृ.सं.570-572 ) (५)- तमन्ना यही है कि जब तक जिऊँ चलूँ या फिरूँ या कि मेहनत करूँ। पढ़ूँ या लिखूँ मुहँ से बोलूँ कलाम न बन आये मुझसे कोई ऐसा काम। जो मर्जी तेरी के मुआफिक न हो रज़ा के तेरी कुछ मुख़ालिफ़ जो हो। (संस्कृत) (3)-रा-धा/ध:-स्व-आ-मी रा-धा/ध:-स्व-आ-मी रा-धा/ध:-स्व-आ-मी रा-धा/ध:-स्व-आ-मी रा-धा/ध:-स्व-आ-मी रा-धा/ध:-स्व-आ-मी रा-धा/ध:-स्व-आ-मी रा-धा/ध:-स्व-आ-मी! * *🙏🏻रा-धा/ध:-स्व-आ-मी🙏🏻**

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