Guru Nanak Blessings 🙌
February 12, 2025 at 04:17 PM
*कल के सत्संग का ज्ञान*👏 *!! धन गुरु नानक जी !!* *!! श्री जपजी साहिब जी !!* *!! DAY 47 !!* *!! गुरमुखि नादं गुरमुखि वेदं गुरमुखि रहिआ समाई !!* ** *गुरमुखि :- भाव जो गुरमत अनुसार चलने वाले, गुरू के वचनों पर अमल करने वाले, गुरू के द्वारा, * नादं :- भाव आवाज, शब्द्, नाम, * वेदं :- भाव ज्ञान (वेद शास्त्र जहां से ज्ञान मिलता है) , * रहिआ समाई :- भाव (परमात्मा) समाया हुआ है, सर्व व्यापक है* *अर्थ :- परमात्मा का नाम और ज्ञान गुरू के द्वारा प्राप्त होता है, गुरू के द्वारा ही ये प्रतीति आती है, ज्ञान आता है कि वह परमात्मा सर्व-व्यापक है सब मे समाया हुआ है !!* *!! गुरु से ही नादं (आवाज, शब्द्, नाम,) प्रकट होता है, गुरु से ही ज्ञान की प्राप्ति होती है और गुरु के साथ रहके उनके वचनों पे चलके भाव गुरमुख बनके उस सच्चे परमात्मा मे समाना है !!* *!! जब गुरमुख होंगे तो ज्ञान की प्राप्ति होंगी !!* *!! जो गुरु के उपदेष पे चलते है, जो उनके वचनों को कमाते है, भाव उस पे चलते है, सत्यवचन कहते हैं, ऐसे गुरुमुखों को परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है, गुरु कौन 'बाणी गुरु, गुरु है बाणी, विच बाणी अमृत सारे', 'गुरुबाणी कहे सेवक जन माने, परतख गुरु निस्तारे' !!* *!! सच्चे गुरमुखों की संगत से नादं की समज आती है, सच्चे गुरमुखों की संगत से ज्ञान की समज आती है, सच्चे गुरमुखों की संगत से परमात्मा की प्राप्ति हो सकती है क्यू की उनको जुगति पता है परमात्मा से मिलने की, संगत करनी है तो संत, ब्रह्मज्ञानी, सतगुरु, और गुरमुखों की करे !!* *!! गुरु नानक पातशाह आप जी ने श्री जपजी साहिब जी की बाणी मे 4 बार नादं शब्द का प्रयोग किया है !!* *!! हर एक इंसान मे गट गट मे नादं (भाव आवाज, शब्द्, नाम, धुन) है, हमे सुनाई क्यू नहीं दे रहा है, हमारे अंदर शोर मचा हुआ है पांच विकारों का मोह माया का !!* *!! विद्वानों ने इस नादं को आत्मिक संगीत कहा है, उस परमात्मा के नाम की धुनि सचखंड से आ रही है जो हर एक अंदर मे मौजूद है, इसे आत्मिक मंडल का संगीत कहा है, खंडब्रह्मण्ड को राग कहा है, एक दिव्य धुनि का संगीत कहा है, ये सारी आत्मिक मंडलों की बात है, इसको सुनना भी है और इसपे गुरमुख बनके इनको कामना भी है, भाव अपने जीवन मे प्रैक्टिकल करना है !!* *!! श्री गुरु अर्जनदेव जी पातशाह आप जी श्री सुखमनी साहिब जी मे कहे रहे है "प्रभ कै सिमरनि अनहद झुनकार" भाव प्रभु सिमरन करने वाले के अंदर एक रस संगीत की झनकार चलती रहती है !!* *!! गुरु नानक पातशाह आप जी कहे रहे है उस परमात्मा का सिमरन करना नाम जपना सिफ़त-सलहा करना, उस परमात्मा का असल ज्ञान है, और यही ज्ञान हमे ध्यान से जोड़ता है, एक वो परमात्मा ही ऐसा है जिसको किसीकी जरुरत नहीं है, परमात्मा अकथ है, ये पुरे गुरु से ही इसकी निशानी को समजा जा सकता है !!* *!! तुलसी साहिब जी कहे रहे है बिना गुरु के इस ज्ञान को समजा विचारा नहीं जा सकता !!* *!! कबीर साहिब जी जिस जीवआत्मा ने उस शब्द की पेहचान नहीं की, इसलिए वो फसी पड़ी है, जब तक द्वार नहीं दिखेंगा तब तक जीआत्मा बटकेंगी !!* *!! श्री गुरु अमरदास पातशाह आप जी कहे रहे है नव दरवाजे फीके है, ये टेम्पररी सुख है जिसमे पांच विकार है, दसवाँ द्वार मे अनहद शब्द बज रहा है, और इस बात को बिना गुरु के समजा नहीं जा सकता !!* *!! गुर शब्द है, गुरु बाणी है, गुरु हुकुम है, पुरे गुरे से ही परमात्मा की प्राप्ति है, पर हमे रहना है गुरमुख बनके "गुरमुखि नादं गुरमुखि वेदं गुरमुखि रहिआ समाई" !!*
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