Guru Nanak Blessings 🙌
February 13, 2025 at 04:30 AM
AMRIT VELE DA HUKAMNAMA SRI DARBAR SAHIB SRI AMRITSAR, ANG ੬੮੬, ੧੩/੦੨/੨੦੨੫ धनासरी महला ५ घरु ६ असटपदी ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ जो जो जूनी आइओ तिह तिह उरझाइओ माणस जनमु संजोगि पाइआ ॥ ताकी है ओट साध राखहु दे करि हाथ करि किरपा मेलहु हरि राइआ ॥१॥ अनिक जनम भ्रमि थिति नही पाई ॥ करउ सेवा गुर लागउ चरन गोविंद जी का मारगु देहु जी बताई ॥१॥ रहाउ ॥ अनिक उपाव करउ माइआ कउ बचिति धरउ मेरी मेरी करत सद ही विहावै ॥ कोई ऐसो रे भेटै संतु मेरी लाहै सगल चिंत ठाकुर सिउ मेरा रंगु लावै ॥२॥ पड़े रे सगल बेद नह चूकै मन भेद इकु खिनु न धीरहि मेरे घर के पंचा ॥ कोई ऐसो रे भगतु जु माइआ ते रहतु इकु अंम्रित नामु मेरै रिदै सिंचा ॥३॥ अर्थ :-हे सतिगुरु ! अनेकों जूनों (योनियों) में भटक भटक के (योनियों से बचने का ओर कोई) ठहराव नहीं खोजा जा सका। अब मैं तेरी चरणी आ पड़ा हूँ, मैं तेरी ही सेवा करता हूँ, मुझे परमात्मा (के मिलाप) का मार्ग बता दो।1।रहाउ। हे गुरु ! जो जो जीव (जिस किसी) योनि में आया है, वह उस (योनि) में ही (माया के मोह में) फँस रहा है। मानुख जन्म (किसी ने) किस्मत के साथ प्राप्त किया है। हे गुरु ! मैंने तो तेरा सहारा देखा है। आपने हाथ दे के (मुझे माया के मोह से) बचा ले। कृपा कर के मुझे भगवान-पातिशाह के साथ मिला दे।1। हे भाई ! मैं (नित्य) माया की खातिर (ही) अनेकों यत्न करता रहता हूँ, मैं (माया को ही) विशेष तौर पर आपने मन में टिकाई रखता हूँ, सदा ‘मेरी माया,मेरी माया’ करते हुए ही (मेरी उम्र बीतती) जा रही है। (अब मेरा मन करता है कि) मुझे कोई ऐसा संत मिल जाए, जो (मेरे अंदर माया वाली) सारी सोच दूर कर दे, और, भगवान के साथ मेरा प्यार बना दे।2। हे भाई ! मैंने सारे वेद पढ़ देखे हैं, (इन के पढ़ने से भगवान के साथ से) मन की दूरी खत्म नहीं होती, (वेद आदिक के पढ़ने से) ज्ञान-इंद्रे एक क्षण के लिए भी शांत नहीं होतेे। हे भाई ! कोई ऐसा भक्त (मिल जाए) जो (आप) माया से निरलेप हो, (वही भक्त) मेरे हृदय में आत्मिक जीवन देने वाला नाम-जल सिंजो सकता है।3। Ashtapadee: One Universal Creator God. By The Grace Of The True Guru: Whoever is born into the world, is entangled in it; human birth is obtained only by good destiny. I look to Your support, O Holy Saint; give me Your hand, and protect me. By Your Grace, let me meet the Lord, my King. ||1|| I wandered through countless incarnations, but I did not find stability anywhere. I serve the Guru, and I fall at His feet, praying, "O Dear Lord of the Universe, please, show me the way."||1||Pause|| I have tried so many things to acquire the wealth of Maya, and to cherish it in my mind; I have passed my life constantly crying out, "Mine, mine!" Is there any such Saint, who would meet with me, take away my anxiety, and lead me to enshrine love for my Lord and Master. ||2|| I have read all the Vedas, and yet the sense of separation in my mind still has not been removed; the five thieves of my house are not quieted, even for an instant. Is there any devotee, who is unattached to Maya, who may irrigate my mind with the Ambrosial Naam, the Name of the One Lord? ||3|| Waheguru Ji Ka Khalsa, Waheguru Ji Ki Fateh
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