Guru Nanak Blessings 🙌
February 13, 2025 at 03:57 PM
*कल के सत्संग का ज्ञान*👏 *!! धन गुरु नानक जी !!* *!! श्री जपजी साहिब जी !!* *!! DAY 48 !!* *!! गुरु ईसरु गुरु गोरखु बरमा गुरु पारबती माई ॥* ** *गुरु :- भाव गु - अँधेरा, रु - रौशनी (गुरु भाव जो अँधेरे से रौशनी की और लेकर जाए), * ईसरु :- भाव शिव जी , * गोरखु :- भाव गोरखनाथ जी , * बरमा :- भाव ब्रह्मा जी, * पारबती माई :- भाव माँ पार्वती जी* *अर्थ :- गुरू ही (हमारे लिए) शिव है, गुरू ही (हमारे लिए) गोरख व ब्रह्मा है और गुरू ही (हमारे लिए) पार्वती माँ है !!* *!! गुर शब्द है, गुरु बाणी है, गुरु हुकुम है, गुरु से ही सब कुछ है, सिर्फ उनके वचनों पे चलना है कामना है !!* *!! हर एक मे परमात्मा मौजूद है ऐसा देखने वाली आँखें होना, जो सारी कृपा गुर प्रसाद है, गुरु गु = भाव अँधेरा रु = भाव रौशनी, गुरु हमे अंधे आखो से निकल के भाव ज्ञान वाली आँखे देते है, गुरु हमे अँधेरे से निकाल के रौशनी मे लेकर जाते है ज्ञान का प्रकाश करते है !!* *!! गुरु के वचन हमे इन विकारो से बचाएंगे नाम से जोड़ेंगे !!* *!! श्री गुरु अमरदास पातशाह आप जी कहे रहे है हमारे अंदर ही सब कुछ है बाहेर कुछ नहीं है, मिलाप हमारे अंदर है, लेकिन जो आत्मा और परमात्मा के बिच की जो दिवार है जो रूकावट हैं वो होमे (अहंकार) हैं, इसलिए मिलाप नहीं हो रहा है, इस होमे (अहंकार) की दिवार को इस कुड़ की दिवार को सच्च के हथोड़े से भाव नाम के हथोड़े से तोड़ा जायेंगा !!* *!! गुरु नानक पातशाह आप जी कहे रहे है, जो परमात्मा है वो गुरु मे समाया हुआ है, परमात्मा ने अपनी ज्योत गुरु मे टिकाई हुई है, जैसे "दसां पातशाहियां दी जोत श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी" !!* *!! जैसे स्कूल मे टीचर बच्चों को पढ़ाते है, समजाते है पर अगर बच्चा सिर्फ पढ़े पर समजने की कोशिश ना करे वो आगे कैसे बढ़ेंगा, वैसे ही मंदिर, गुरुद्वारे, हमारे लिए स्कूल समान है, "आदि श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी" गुरु साहिब जी हमे गुरबाणी मे एक एक उपदेष समजा रहे है की परमात्मा से कैसे मिलाप हो पर हम सिर्फ पढ़े पर उनके उपदेष पे चले ही नहीं तो परमात्मा से मिलाप कैसे होंगा !!* *!! गुरु नानक पातशाह जी आप जी कहे रहे है हर कोई नाम को पाना चाहता है, जिस नाम की तड़प मे बैठे है, जिस नाम की प्राप्ति के लिए बैठे है, वो तब मिलेंगा जब गुरु कृपा करेंगे, सतगुरु के बिना नाम की प्राप्ति और परमात्मा की प्राप्ति नहीं हो सकती !!* *!! गुर हुकुम है गुरु को हुकुम के जरिये पा सकते है, गुर कोई देह नहीं है, देवी देवता से ऊपर गुरु होते है, क्यू की हमे तारने आते है !!* *!! सतगुरु हमारा जहाज है जहाज बनके आते है इस भवसागर से पार लगाते है, ये जरिया जहाज किसने बेजा है परमात्मा ने ये कोई विरला ही जान सकता है !!* *!! श्री गुरु अर्जनदेव जी पातशाह आप जी कहे रहे है गुरु के शब्द ने हमे महा अग्नि से बचाया है, गुरु ही हमे अँधेरे से निकालकर प्रकाश की और लेकर जाते है !!* *!! परमात्मा हमारे अंदर है, परमात्मा शब्द है, परमात्मा गुण है, वो तो ज्योत रूप मे है धुन रूप मे है, मिलेंगे कैसे सतगुरु की कृपा से ( ੴ सतिगुरु प्रसाद) !!* *!! जिनको सतगुरु मिल जाते है सारे लेख मिट जाते है, हमारी फितरत है गुरु को मानते है, पर गुरु की नहीं मानते, गुरु कहते अमृतवेले उठो हम कहते है क्यू दिन मे नाम जप लेंगे, गुरु कहते है मांस मत खाओ हम तरक करते है हफ्ते मे एक दिन तो खाते है, हम गुरु की नहीं मानेंगे 84 के चक्कर से कैसे मुक्त होंगे !!* *!! श्री गुरु अमरदास पातशाह आप जी कहे रहे है बिना शब्द के नाम के मुक्ति नहीं मिलेंगी और बिना गुरु के नाम की पेहचान नहीं होंगी ये परमात्मा का अटल नियम है !!* *!! परमात्मा का रूप गुरु ही है वो परमात्मा निरआकर है और गुरु आकर मे है, गुरु का शब्द ही गुरु की मूरत है !!* *!! चाहे जप तप कर सब कुछ करले, बिना सतगुरु के तेरी कश्ती पार नहीं हो सकती !!* *!! "बिनु गुर न पावैगो हरि जी को दुआर" भाव गुरु को मिले बिना कोई मनुष्य परमात्मा का दर नहीं पा सकेगा, गुर वो दरवाजा है परमात्मा के पास जाने का !!*
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