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January 19, 2025 at 06:57 AM
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*यूनिवर्सिटी और स्कूल, कॉलेजेज़ का माहौल और मख़लूत तालीमी निज़ाम:*
आज का मख़लूत तालीमी निज़ाम अपने साथ खतरनाक नतीजे छोड़कर जा रहा है। यूनिवर्सिटी और स्कूल, कॉलेजेज़ में बढ़ती हुई यूरोपी फिज़ा की लहर इस हद तक फैल गई है जिसको काबू करना नामुमकिन सा हो गया है।
मैं हैरान हूँ, दूसरी तीसरी चौथी क्लास के स्टूडेंट्स, वो भी गर्लफ्रेंड और बॉयफ्रेंड की बीमारी में मुबतला हो जाते हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक... जिस क़ौम की आठवीं जमात की तालिबा नाजायज़ फेल से हामिला (प्रेग्नेंट) हो जाए, उस क़ौम में हवसपरस्ती का बाज़ार गर्म हो जाता है। इंसानियत जलकर राख हो जाती है...!
कॉलेजेज़, यूनिवर्सिटी और स्कूल में गर्लफ्रेंड एक आम मामूली बात समझी जाती है। किसी की इज़्ज़त के साथ खेलना, उनकी तस्वीरें दोस्तों में शेयर करना, डेट पर जाना, रोमांस वग़ैरह — इन बातों को अब सिर्फ गपशप समझा जाता है।
मैं हैरान हूँ, मर्द औरत की इज़्ज़त तक इतनी आसानी से कैसे पहुँच जाता है।
आप बताएं, ऐसी तालीम का क्या फ़ायदा जिसमें औरत की इज़्ज़त, इफ़्फ़त, मक़ाम, वक़ार और शराफ़त सब कुछ खो जाए।
अब बढ़ता हुआ फ़ैशन, आज़ादी, हॉस्टल में होने वाले शर्मनाक अफ़आल — ये सब इस्लामी तालीमात से दूरी की वजह से हम पर अज़ाब से कम नहीं...!!
मैं उन वालिदैन पर हैरान हूँ, अल्लाह जाने उनको क्या हो गया है। जानबूझकर अंधे, बहरे और गूंगे बन चुके हैं। एक ज़माना था, वालिदैन औलाद पर मुकम्मल निगाह रखते थे और औलाद भी वालिदैन का सहारा बन जाती थी। खूब ख़िदमत करते, दुआएं लेते थे। मगर अब वालिदैन कुसूरवार हैं। अपनी औलाद को खुद जहन्नम के गढ़े में फेंकना चाहते हैं। अब वालिदैन ने औलाद को आज़ादी दे दी और उसका नतीजा यह होता है कि औलाद बूढ़े वालिदैन को ओल्ड हाउस में छोड़ आती हैं।
वाह! मुबारक ऐसे वालिदैन पर जिनकी तर्बियत ऐसी थी।
तालीम ज़रूर हासिल करें, मगर शऊर हासिल करने के लिए। मगर हम रोज़ ब रोज़ बेदीन और बेशऊर हो रहे हैं...!!
आज़ादख़्याल लोग मेरी पोस्ट से इख़्तिलाफ़ कर सकते हैं। उनका कोई कुसूर नहीं, इन बेचारे लोगों को माहौल ही ऐसा फराहम किया गया था। `दीनी और दुनियावी तालीम दोनों हासिल करें ताकि हम अच्छे इंसान के साथ-साथ अच्छे मुसलमान भी बन सकें।`
मेरा शिकवा वालिदैन से है — आपकी औलाद आपके हाथों से निकल चुकी है। आप सिर्फ अब ओल्ड हाउस जाने की तैयारियां करें। आप...!!
ऐसी औलाद पैदा करते जो मुल्क को कौम को फायदा पहुंचाते, आपका और आपके खानदान का नाम रौशन करते, मौत के बाद आपके लिए कुरान पढ़ते, दुआ करते, आपको क़ब्र में राहत देते... मगर आपने उनको यूरोप के हवाले कर दिया है...!!
नौजवान नसल से गुज़ारिश है, ख़ुदारा... गर्लफ्रेंड के कल्चर को अब छोड़ दो। दुनिया मकाफ़ात-ए-अमल है। आज आप किसी की बहन को टाइम पास बनाओगे तो कल आपकी बहन भी किसी की टाइम पास गर्लफ्रेंड होगी।
हम तो बस नाम के मुसलमान रह गए हैं...!!
किसी की बहन को टाइम पास का ज़रिया मत बनाओ...!!
माज़रत के साथ, हम तबाही के आख़िरी स्टेज पर पहुँच चुके हैं।
हमारी हक़ीक़त क्या है...?
हम क्या थे और क्या बन गए...?
#मनकूल
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