प्राइमरी का मास्टर • कॉम (PKM)
February 7, 2025 at 02:21 AM
✍️ *आपकी बात* में आज *प्रवीण त्रिवेदी* की कलम से _"गिरते हैं शहसवार ही मैदान-ए-जंग में,_ _वो तिफ़्ल क्या गिरेंगे जो घुटनों के बल चलें?" _ विद्यालयों में परीक्षा परिणाम को सफलता और असफलता का मापक मान लिया जाता है। अंकों की दौड़ में छात्र की उपलब्धियों को केवल रिपोर्ट कार्ड तक सीमित कर दिया जाता है। लेकिन क्या सच में किसी छात्र के जीवन में असली हार या "फेल" होने की स्थिति केवल परीक्षा में असफल होना है? नहीं! वास्तविक असफलता कहीं गहरी, अधिक मार्मिक और दूरगामी होती है। *असली विफलता: जब सीखने की इच्छा मर जाए* किसी छात्र का वास्तविक पतन तब होता है जब उसमें सीखने की जिज्ञासा समाप्त हो जाती है। यह तब होता है जब वह प्रश्न पूछने से डरने लगता है, जब वह किताबों को सिर्फ परीक्षा में पास होने का जरिया मानने लगता है, और जब ज्ञान का उद्देश्य सिर्फ अंक प्राप्त करना रह जाता है। शिक्षा की आत्मा जिज्ञासा और कल्पनाशीलता में बसती है। अगर कोई बच्चा हर दिन कुछ नया सीखने के उत्साह के साथ स्कूल आता है, तो वह कभी भी "फेल" नहीं हो सकता। लेकिन जब किसी छात्र को यह महसूस होने लगे कि उसका पढ़ना-लिखना मात्र एक औपचारिकता है, तो वहां से उसकी असली हार की शुरुआत हो जाती है। *असफलता तब होती है जब डर और हताशा घर कर जाए* आज की शिक्षा प्रणाली में डर का माहौल बनाया जाता है—अंक कम आने का डर, माता-पिता की डांट का डर, शिक्षक की नाराज़गी का डर, और समाज में उपहास का डर। यह भय एक छात्र के आत्मविश्वास को धीरे-धीरे समाप्त कर देता है। जब कोई बच्चा यह सोचने लगे कि वह कुछ करने योग्य नहीं है, कि वह दूसरों से कमज़ोर है, और कि अब प्रयास करने का कोई लाभ नहीं—तभी वह वास्तव में फेल हो जाता है। परीक्षा में कम अंक आना या किसी विषय में असफल हो जाना असली फेल होना नहीं है, बल्कि खुद को प्रयास करने लायक न समझना असली असफलता है। *जब सपने मर जाते हैं, तब छात्र हारता है* बच्चों की आँखों में अनगिनत सपने होते हैं। कोई डॉक्टर बनना चाहता है, कोई वैज्ञानिक, कोई लेखक, तो कोई गायक। लेकिन जब समाज, परिवार और शिक्षा प्रणाली उन्हें उनके सपनों से दूर धकेलने लगती है, जब उनकी रुचियों को महत्व नहीं दिया जाता, तब वे धीरे-धीरे भीतर से टूटने लगते हैं। जब कोई बच्चा यह मान ले कि उसके सपनों का कोई मोल नहीं, कि वह कभी कुछ नहीं कर सकता, तब उसकी असली हार होती है। *शिक्षक और अभिभावक: असली हार से बचाने वाले मार्गदर्शक* एक सच्चे शिक्षक और अभिभावक की सबसे बड़ी जिम्मेदारी यह होती है कि वे किसी छात्र को मानसिक रूप से हारने न दें। असली शिक्षा वह है जो सिखाए कि असफलता भी सीखने की एक प्रक्रिया है। हमें बच्चों को यह समझाने की जरूरत है कि "फेल" होना केवल एक शब्द है, जो आगे बढ़ने की प्रक्रिया का हिस्सा है। थॉमस एडिसन ने हजारों बार प्रयोग करने के बाद बल्ब का आविष्कार किया। अलबर्ट आइंस्टीन को स्कूल में कमजोर छात्र समझा गया था। लेकिन क्या वे असल में असफल हुए? नहीं, क्योंकि उन्होंने कभी सीखना नहीं छोड़ा। *फेल होना नहीं, हार मानना असली असफलता है* _"हर कोशिश इबादत है, हर संघर्ष दुआ है,_ _जो थक कर बैठ जाए, वही हार गया है!"_ एक छात्र वास्तव में तब फेल नहीं होता जब वह परीक्षा में कम अंक लाता है, बल्कि तब फेल होता है जब वह खुद को असफल मान लेता है, जब वह प्रयास करना बंद कर देता है। हमें अपने बच्चों को अंक और ग्रेड की संकीर्ण परिभाषा से बाहर निकालकर सीखने, प्रयास करने और आत्मविश्वास बनाए रखने की असली शिक्षा देनी होगी। तभी असली शिक्षा का उद्देश्य पूरा होगा, और तब कोई भी छात्र वास्तव में "फेल" नहीं होगा। 📢 *पूरा आलेख पढ़ें* 👇 📌 *एक छात्र वास्तव में फेल कब होता है?* 👉 http://www.primarykamaster.com/2025/02/blog-post_7.html 📢 *प्रवीण त्रिवेदी से जुड़े* 🟢 *व्हाट्सएप* https://whatsapp.com/channel/0029VaAZJEQ8vd1XkWKVCM3b 🔵 *फेसबुक* https://facebook.com/praveentrivedi ⚫ *एक्स* https://x.com/praveentrivedi 🟣 *इंस्टाग्राम* https://www.instagram.com/praveentrivedi009 🤝 *शिक्षक दखल से जुड़े* 👉 https://chat.whatsapp.com/GUIOUxr3fi41NsMuAjXmRf 🤝 *PKM प्राइमरी का मास्टर • कॉम* का अधिकृत व्हाट्सअप चैनल करें फ़ॉलो 👉 https://whatsapp.com/channel/0029Va9wcPRICVfqRbfsd53j

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