🚩हिंदू युवा वाहिनी 🚩
February 14, 2025 at 10:09 AM
*कुरान का अवतरण अर्थात सर्वनाश !*
मुसलमानों द्वारा चलाये जा रहे जिहादी आतंकवाद पर भारत में अंकुश लगाना या समाप्त कराना असंभव जैसा प्रतीत होता है .क्योंकि भारत के मुसलमान वही कुरान पढ़ते हैं ,जो अलकायदा के आतंकवादी पढ़ते हैं , और सारी जान चुकी है कि मुसलमानों को जिहाद और आतंकवाद की प्रेरणा कुरान से ही मिलती है . इसी लिए दुनिया भर के मुसलमान जिहाद के नाम पर होने वाले हर प्रकार के कुकृत्यों को अपराध नहीं बल्कि धार्मिक कर्तव्य मानते हैं , फिर भी जब 30 सितम्बर 2014 को प्रधान मंत्री अमेरिका गए तो उन्होंने वश्व भर में होने वाले इस्लामी आतंक पर चिंता प्रकट की , लेकिन सी एन एन (C.N.N. टीवी में बयान दिया कि "यदि अलकायदा भारत में घुसेगा तो भारत के मुसलमान उसे फेल कर देंगे "(pm-narendra-modi-says-indian-muslims-will-fail-al-qaeda)
मोदी जी के ऐसे बयान से प्रतीत होता है कि यातो उनको कुरान और मुसलमानों की जिहादी फितरत का ठीक से ज्ञान नहीं है , या फिर वह मुसलमानों पर जरूरत से अधिक भरोसा करके हिन्दुओं को जिहदियों के रहमोकरम पर छोड़ कर मानेंगे . याद रखिये कि वह दिन दूर नहीं है , जब इसी देश में हिन्दुओं का निर्भय होकर चलना फिरना भी असंभव हो जायेगा . क्योंकि जिहादी आतंक नहीं छोड़ सकते और मुसलमान कुरान नहीं छोड़ सकते , क्योंकि मुसलमान मानते हैं , कि कुरान अल्लाह की किताब है . और उसके हरेक आदेश का पालन करना उनका धार्मिक कर्तव्य है , चाहे कुरान में सम्पूर्ण विश्व का क़त्ल करने का आदेश क्यों न हो .इसलिए आज लोगों को कुरान की ईश्वरीयता के बारे में जानकारी देना जरूरी हो गया है , कि वाकई कुरान ईश्वरीय किताब है ,? जिस की बातों पर बिना सोचे समझे अमल किया जा सकता है
1- मुहम्मद को अनपढ़ बताने के कारण
प्रामाणिक हदीसों और इस्लामी इतिहास की पुस्तकों के अनुसार की सबसे पहली सूरा सन 610 ईसवी और रमजान के महीने के आखिरी दस दिनों में किसी दिन उतरी थी , इस सूरा का नाम " अल अलक "है , लेकिन वर्तमान कुरान में इसका क्रम पहले की जगह 96 वां है। इस सूरा में कुल 19 आयतें है . इसमे सबसे महत्वपूर्ण बात यह है ,कि हदीस की किताब बुखारी के अनुसार सूरा अल अलक लिखित रूप में थी , जिसे अल्लाह ने अपने फ़रिश्ते जिब्राईल के हाथों मुहम्मद साहब के पास भेजा था , लेकिन मुहम्मद साहब अल्लाह के द्वारा भेजी उस सूरा को नहीं पढ़ पाये , और जब जिब्राईल ने उन से पढने को कहा ,तो वह बोले " मैं इसे नहीं पढ़ सकता . ( I do not know how to read ) . अरबी में " मा अना युकारी - مَا أَنَا بِقَارِئٍ "देखिये हदीस ,
सही बुखारी - जिल्द 1 किताब 1 हदीस 3
इसी हदीस का सहारा लेकर मुस्लिम उलेमाओं ने यह बात फैला दी कि मुहम्मद साहब तो अनपढ़ थे , ताकि कोई यह न कह सके कि कुरान मुहम्मद साहब की रचना है . हो सकता है कि कुरान कि वह सूरा हिब्रू या संस्कृत भाषा में रही होगी इसलिए मुहम्मद साहब नहीं पढ़ पाये हों . क्या मुहम्मद साहब इतने महा मुर्ख थे जो जीवन भर में लिखना पढ़ना नहीं सीख पाये ?और कुरान की जो पहली सूरा अल्लाह ने लिख कर भेजी थी मुसलमानों ने उसे गायब क्यों कर दिया ?और मुसलमानों का जो अल्लाह सर्वशक्तिमान होता तो उसने मुहम्मद को लिखने पढ़ने का ज्ञान क्यों नहीं दिया . ?
स्पष्ट है कि मुसलमानों में यह साजिश कुरान को ईश्वरीय किताब साबित करने के लिए की है !ताकि जिहादी कुरान में बताये गए हरेक अपराध को अल्लाह का हुक्म बता कर जायज ठहरा सकें .
2- कुरान कैसे उतरी ?
मुसलमानों का दावा है कि कुरान अल्लाह की ऐसी किताब है जिसे अल्लाह ने आसमान से फ़रिश्ते के द्वारा मुहम्मद साहब के पास भेजा था , इसका कारण खुद कुरान में यह बताया गया है ,
"ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जो अल्लाह के सामने होकर , उस से बात कर सके, परन्तु " वही - " से ऐसा हो सकता है, कि परदे से पीछे बात करे , या किसी सन्देश वाहक को भेज दे , जो उसकी अनुमति से जो चाहे वही कर दे . "सूरा -अश शूरा 42:51
इसलिए कुरान का आसमान से जमीन पर उतरने के लिए अरबी में " वही - وحي "शब्द का प्रयोग किया जाता है जो अरबी के - औहा - أوحى " शब्द से बना है . इसका अंगरेजी शब्द " revelation " है , जिसे हिंदी में "अवतरण "कह सकते हैं . कुरान की पहली सूरा इसी विधि से अवतरित हुई थी . लेकिन खुद कुरान में ही कुरान उतरने यानि " वही - " के कुछ और भी तरीके बताये गए हैं ।
3-वही उतरने की अन्य विधियां
कुरान के अनुसार अल्लाह अपने नबियों या रसूलों को अपना सन्देश ( वही ) भेजने के लिए कई तरीके अपनाया करता था , जिनका उल्लेख कुरान की इन आयतों में दिया गया है ,
1.स्वप्न में वही - जैसे अल्लाह ने इब्राहिम को बेटे की क़ुरबानी करने का सपना दिया था . सूरा अस साफ्फात 37:102
2.छुप कर आवाज देकर - कभी अल्लाह किसी चीज के पीछे छुप कर बात करता था , जैसे मूसा से की थी .
सूरा अन नमल 27:8
3.दूत के माध्यम से -अल्लाह अपने फ़रिश्ते यानी दूत से भी सन्देश भेज देता था जैसे कुरान भेजी थी . सूरा बकरा 2:97
4-दिलों में प्रेरणा देकर- अक्सर अल्लाह नबियों के दिलों में केवल प्रेरणा ( Inspiration ) ही देता था ,और नबी अल्लाह की आयतें सूना देते थे .सूरा - नज्म 53:4
कुरान का अधिकांश हिस्सा प्रेरणा से बना है , और थोड़ा सा हिस्सा दूत (messenge ) लेकर आया था .
इसलिए हमें यह जानना जरुरी है ,कि मुहम्मद साहब को कुरान की प्रेरणा कैसे मिलती थी ? और उनको कुरान भेजने वाला दूत कौन था
4-कुरान की प्रेरणा सहवास से
अल्लाह मुहम्मद साहब को कुरान की प्रेरणा , उनकी किसी तपस्या या सदाचार के कारण नहीं भेजता था , बल्कि जब वह अपनी प्रिय पत्नी आयशा के साथ निर्वस्त्र हो कर एकही कम्बल में घुस कर कामलीला करते थे , कुरान की आयेतें धड़ाधड़ उतरने लगती थी ,
"मुहम्मद साहब अपनी सभी पत्नियों से कहते थे , कि तुम सबके आलावा केवल आयशा के साथ एक ही कम्बल में सोने से कुरान की प्रेरणा मिलती है "
"Revelation has never come to me under the blanket of any of you apart from the blanket of 'Aishah."
" لاَ تُؤْذِينِي فِي عَائِشَةَ فَإِنَّهُ لَمْ يَنْزِلْ عَلَىَّ الْوَحْىُ وَأَنَا فِي لِحَافِ امْرَأَةٍ مِنْكُنَّ إِلاَّ فِي لِحَافِ عَائِشَةَ"
यह हदीस यही बताती है ,
सुन्नन नसाई - जिल्द 4 किताब 36 हदीस 3402
5-सुन्दर लडके से कुरान की प्रेरणा
"अबू उस्मान ने कहा कि रसूल अपनी पत्नी उम्मे सलमा से कहते थे कि अल्लाह का फरिश्ता जिब्राईल गुप्त रूप से उनसे मिलाने आया करता था . और कुरान की आयतें लाता था . उम्मे सलमा ने कहा एक बार जब फरिश्ता रसूल से बातें करने के बाद जाने लगा तो मैंने देखा कि वह व्यक्ति एक सुन्दर सा लड़का था . मैंने रसूल से पूछा " मन हाजा - مَنْ هَذَا " यानि यह कौन है ? रसूल बोले " हाजा दहया - هَذَا دِحْيَةُ " यानि यह एक " दहया - هَذَا دِحْيَةُ" है
.
"، حَدَّثَنَا أَبُو عُثْمَانَ، قَالَ أُنْبِئْتُ أَنَّ جِبْرِيلَ ـ عَلَيْهِ السَّلاَمُ ـ أَتَى النَّبِيَّ صلى الله عليه وسلم وَعِنْدَهُ أُمُّ سَلَمَةَ، فَجَعَلَ يُحَدِّثُ ثُمَّ قَامَ، فَقَالَ النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم لأُمِّ سَلَمَةَ " مَنْ هَذَا ". أَوْ كَمَا قَالَ. قَالَ قَالَتْ هَذَا دِحْيَةُ. قَالَتْ أُمُّ سَلَمَةَ ايْمُ اللَّهِ مَا حَسِبْتُهُ إِلاَّ إِيَّاهُ حَتَّى سَمِعْتُ خُطْبَةَ نَبِيِّ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم يُخْبِرُ جِبْرِيلَ أَوْ كَمَا قَالَ. قَالَ فَقُلْتُ لأَبِي عُثْمَانَ مِمَّنْ سَمِعْتَ هَذَا قَالَ مِنْ أُسَامَةَ بْنِ زَيْدٍ.
""It was Dihya (a handsome person amongst the companions of the Prophet ,he was none but Dihya,
सही बुखारी - जिल्द 4 किताब 56 हदीस 827
नोट- इस हदीस में मुहम्मद साहब के ऐसे सुन्दर लडके साथी ( सहाबा ) को " दहया - دِحْيَةُ " कहा गया है , जो रसूल को कुरान की प्रेरणा दिया करता था . लेकिन इस शब्द का सही अर्थ या विवरण अरबी शब्दकोश में नहीं मिलता , पाश्चात्य विद्वानों केअनुसार अरबों में लड़कों के साथ कुकर्म करने का रिवाज था , और इसके लिए लडके रखना शान समझी जाती थी . उर्दू में इसे " लौंडेबाजी " कहा जाता है . लखनऊ के नवाब इसके लिए कुख्यात हैं . शायद "दहया " ऐसा ही लड़का होगा .
6-कुरान का अवतरण या हिस्टीरिया का दौरा
प्रामाणिक हदीस की किताबों से पता चलता है कि जब भी मुहम्मद साहब को कुरान की नयी आयतों की प्रेरणा मिलती थी , उनका व्यवहार असामान्य ( Strange ) हो जाता था . उनकी हरकतें एक हिस्टीरिया ( hysteria ) या मिर्गी (epileptic fit ) के रोगी जैसी हो जाती थी , जैसा इन हदीसों से साबित होता है ,
1 . उनके कानों में घंटियों की आवाजें आने लगती थी
-सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 54 हदीस 438
2.उनका दिल तेजी से धड़कने लगता था
-सही बुखारी - जिल्द 4 किताब 55 हदीस 605
3.उनका चेहरा लाल हो जाता था
-सही बुखारी -जिल्द 4 किताब 55 हदीस 618
4. उनकी साँसें अटकने लगाती थीं
-सही बुखारी \-जिल्द 6 किताब 61 हदीस 508
5.उनको अनजानी आवाजें सुनाई देने लगती थीं और अजीब अजीब चीजें दिखाई देने लगती थी
.सही बुखारी -जिल्द 6 किताब 61 हदीस 447
6.वह सर्दी में भी पसीने में तरबतर हो जाते थे -
सही मुस्लिम -किताब 30 हदीस 5763
7.वह खुले आसमान के नीचे लेट जाते थे और आकाश को टकटकी लगा कर देखते रहते थे कि शायद अल्लाह कुरान की नयी आयतों की प्रेरणा कर दे . सही बुखारी \-जिल्द 5 किताब 58 हदीस 170
और जब रात भर जागने के बाद भी न तो आसमान से कुरान की आयतें आती थीं , और न अल्लाह कोई प्रेरणा देता था तो मुहम्मद साहब अपनी छोटी से पत्नी आयशा के साथ सोने के लिए चले जाते थे , फिर जो कुछ होता था वह इस हदीस में बताया गया है , यही कारण है कि कुरान की सभी बातें मानवता के विरुद्ध और हिंसा , अत्याचार और अपराधों को बढ़ने वाली शिक्षा देती हैं , जैसे
7-बच्चों को जिहादी बनाने की शिक्षा
"अब्दुल मलिक बिन सुबरा ने कहा कि रसूल ने कहा है , जिसे ही बच्चा सात साल का हो जाये पिता उसे नमाज पढने को कहें , और यदि दस साल का होने पर भी नमाज नहीं पढ़ सके तो बच्चे को छड़ी से खूब पीटते रहें "
، عَنْ عَبْدِ الْمَلِكِ بْنِ الرَّبِيعِ بْنِ سَبْرَةَ، عَنْ أَبِيهِ، عَنْ جَدِّهِ، قَالَ قَالَ النَّبِيُّ صلى الله عليه وسلم " مُرُوا الصَّبِيَّ بِالصَّلاَةِ إِذَا بَلَغَ سَبْعَ سِنِينَ وَإِذَا بَلَغَ عَشْرَ سِنِينَ فَاضْرِبُوهُ عَلَيْهَا " .
"then beat him with stick for prayer."
सुन्नन अबू दाऊद - किताब 2 हदीस 494
ऐसी बातें सिर्फ वही व्यक्ति कह सकता है , जो मानसिक रूप से बीमार हो . मुसलमानों के अल्लाह ने मुहम्मद को पीट पीट कर लिखना पढ़ना क्यों नहीं सीखा दिया ? वह मरते समय तक निरक्षर क्यों बने रहे ?
इतना ही नहीं जब मुहम्मद साहब पर हिस्टीरिया का दौरा पड़ जाता था ,तो वह अल्लाह की कुरान की आयतें भी रद्द ( delete ) कर देते थे , जैसे
8-मुहम्मद ने कुरान की आयतें निकाल दीं !
मुसलमानों का दावा है ,कि मुहम्मद कुरान के रचयिता नहीं थे , कुरान तो अल्लाह की किताब है ,जिसमे कोई भी किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं कर सकता . लेकिन यह हदीस उनके दावों भंडा फोड़ने के लिए पर्याप्त है . यह 19 मार्च सन 625 और इस्लामी कैलेंडर के अनुसार 3 शव्वाल हिजरी सन 3 शनिवार की बात है . "बीर मऊना - قُتِلُوا بِبِئْرِ مَعُونَةَ "कबीले के लोगों ने मुहम्मद के जिहादियों को क़त्ल कर दिया था इस घटना के बारे में बुखारी में लिखा है ,
"अनस बिन मलिक ने कहा कि रसूल तीस दिनों तक "रल जिकवान - رِعْلٍ وَذَكْوَانَ " और " उसैया - عُصَيَّةَ "के लोगों को अल्लाह की तरफ से अभिशाप देते रहे , जिन लोगों ने उनके जिहादी साथीयों को बेर मऊना के युद्ध में क़त्ल कर दिया था . और यह आयतें कुरआन में शामिल हो गयीं , जिसे हम पढ़ा करते थे . लेकिन अचानक रसूल ने उन आयतों को रद्द कर दिया , और यह आयत जोड़ दी ,
" بَلِّغُوا قَوْمَنَا أَنْ قَدْ لَقِينَا رَبَّنَا فَرَضِيَ عَنَّا وَرَضِينَا عَنْهُ "
"अपनी कौम के लोगों को सूचित कर दो , कि हम अल्लाह से मिल चुके हैं ,वह हमसे खुश है ,और हमें भी खुश बनाना चाहता है "
‘Inform our people that we have met our Lord. He is pleased with us and He has made us pleased.
، عَنْ أَنَسِ بْنِ مَالِكٍ ـ رضى الله عنه ـ قَالَ دَعَا رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم عَلَى الَّذِينَ قَتَلُوا أَصْحَابَ بِئْرِ مَعُونَةَ ثَلاَثِينَ غَدَاةً، عَلَى رِعْلٍ وَذَكْوَانَ وَعُصَيَّةَ عَصَتِ اللَّهَ وَرَسُولَهُ، قَالَ أَنَسٌ أُنْزِلَ فِي الَّذِينَ قُتِلُوا بِبِئْرِ مَعُونَةَ قُرْآنٌ
قَرَأْنَاهُ ثُمَّ نُسِخَ بَعْدُ بَلِّغُوا قَوْمَنَا أَنْ قَدْ لَقِينَا رَبَّنَا فَرَضِيَ عَنَّا وَرَضِينَا عَنْهُ.
सही बुखारी - जिल्द 4 किताब 52 हदीस 69 -
देखिये History of al-Tabari vol.7 p.156.
9-वही का असली अर्थ सर्वनाश है
इतना जानने के बाद भी जो मुसलमान कुरान को अल्लाह से प्रेरित किताब कहते हैं , उन्हें अरबी शब्द " वही - وحي "(Revelation ) का सही अर्थ समझ लेना चाहिए . वही का अर्थ अंग्रजी में " -inspiration " और हिंदी में " अवतरण " होता है , अरबी में इसका समानार्थी शब्द " इलहाम -- إلهام " होता है . जिसका अंगरेजी में अर्थ " apocalypse " है . और इसका अर्थ हिंदी में " सर्वनाश " है
वास्तव में सभी जिहादी मुसलमान एक हिस्टीरिया के रोगी द्वारा अय्याशी करते हुए कही गयी बेतुकी बातों को अल्लाह द्वारा प्रेरित किताब मान बैठे हैं , और उस किताब में दी गयी अमानवीय बातों को अल्लाह का आदेश समझ कर विश्व का सर्वनाश करने में लगे हुए हैं . इसलिए ऐसी किताब की असलियत लोगों को बताना जरूरी हो गया है .