Btecky
January 18, 2025 at 09:28 AM
Working Hour Reality wisdom Approach. क्या हम नौकरियों के बाजार में बिकने के लिए खड़े हैं? यह एक मुद्दा बनता है क्योंकि हम बिकते हैं। जब बिक जाते हैं, तो वहां तोल-मोल होता है - कितने घंटे, कितनी प्रोडक्टिविटी। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि हमारे पास जीवन में करने को कोई सार्थक कर्म नहीं है। जब कोई सार्थक कर्म नहीं होता, तो जो भी सबसे ऊंची बोली लगाता है, वही हमें खरीद लेता है। हमारा मोटिवेशन तब सबसे ज्यादा होता है, जब कम इनपुट के साथ हमें अपने लिए सबसे ज्यादा आउटपुट (सैलरी) मिलता है। यह तो बताओ कि हम क्या काम करते हैं, इसकी कोई बात ही नहीं करना चाहते।
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