
ब्रजधाम दर्शन
March 1, 2025 at 04:38 AM
प्यारे, हम नहिं खेलें होरी।
हो-हो करत, अरत ही आवत, दिखरावत बरजोरी॥
नए खिलार लाड़िले, मुख पै लै सपछावत रोरी।
‘रूपरसिक’ ई जान परी अब, देखत हैं सब गोरी॥

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