
India's Best Journalist ✍️
March 1, 2025 at 10:20 AM
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*♦️♦️भाग - 2♦️♦️*
*♦️♦️दिल्ली की स्वास्थ्य सेवाओं पर CAG रिपोर्ट*
*♦️♦️दिल्ली के 14 अस्पतालों में नहीं कोई ICU, मोहल्ला क्लिनिक एकदम बर्बाद: CAG रिपोर्ट ने खोली केजरीवाल सरकार की पोल, लाडली योजना में ₹220 करोड़ का घोटाला*
*♦️ऑपइंडिया स्टाफ़♦️*
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*♦️दिल्ली सरकार के अस्पतालों में बेड और स्टाफ की कमी*
*♦️दिल्ली सरकार ने 2016-17 से 2020-21 तक 32,000 नए बेड जोड़ने का बड़ा वादा किया था, लेकिन असल में सिर्फ 1,357 बेड ही जोड़े गए, जो लक्ष्य का महज 4.24% है। इस कमी का असर ये हुआ कि कई अस्पतालों में बेड की ऑक्यूपेंसी 101% से 189% तक रही। यानी एक बेड पर दो-दो मरीजों को रखना पड़ा या कई मरीजों को फर्श पर इलाज लेना पड़ा। स्टाफ की स्थिति भी कम चिंताजनक नहीं है।*
*♦️दिल्ली के सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य विभागों में 8,194 पद खाली पड़े हैं। नर्सिंग स्टाफ में 21% और पैरामेडिकल स्टाफ में 38% की कमी है। खास तौर पर राजीव गाँधी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल और जनकपुरी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में हालात बदतर हैं, जहाँ डॉक्टरों की 50-74% और नर्सिंग स्टाफ की 73-96% कमी पाई गई। इस कमी के चलते मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है और कई बार सही देखभाल भी नहीं मिल पाती।*
*♦️दिल्ली सरकार ने की प्रोजेक्ट्स में देरी, मशीनें हुईं खराब*
*♦️दिल्ली में तीन नए अस्पताल बनाने की परियोजनाएँ शुरू हुई थीं, लेकिन इनमें भारी देरी और लागत में इजाफा हुआ। इंदिरा गाँधी अस्पताल में 5 साल की देरी हुई और लागत 314.9 करोड़ रुपये बढ़ गई। बुराड़ी अस्पताल 6 साल लेट हुआ, जिसकी लागत में 41.26 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ। वहीं, एमए डेंटल अस्पताल (फेज-2) में 3 साल की देरी हुई और 26.36 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च हुए। ये प्रोजेक्ट पिछली सरकार के वक्त शुरू हुए थे, लेकिन मौजूदा सरकार इन्हें पूरा करने में नाकाम रही। इसके अलावा, कई अस्पतालों में जरूरी उपकरण भी खराब पड़े हैं।*
*♦️मरीजों को सर्जरी के लिए 12 महीने तक करना पड़ा इंतजार*
*♦️सीएजी की रिपोर्ट के मुताबिक, मरीजों को लोक नायक अस्पताल में बड़ी सर्जरी के लिए 2-3 महीने और बर्न व प्लास्टिक सर्जरी के लिए 6-8 महीने का इंतजार करना पड़ा। चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में पीडियाट्रिक सर्जरी के लिए 12 महीने की वेटिंग थी। कई जगहों पर एक्स-रे, सीटी स्कैन और अल्ट्रासाउंड मशीनें बेकार पड़ी रहीं, जिससे मरीजों को सही समय पर डायग्नोसिस भी नहीं मिल सका।*
*♦️दिल्ली के अस्पतालों में ऑक्सीजन और एंबुलेंस की कमी*
*♦️कोविड के दौरान ऑक्सीजन की किल्लत ने दिल्ली को हिलाकर रख दिया था, और CAG रिपोर्ट बताती है कि 8 अस्पतालों में ऑक्सीजन सप्लाई की व्यवस्था ही नहीं थी। ये वो वक्त था जब लोग सड़कों पर ऑक्सीजन सिलेंडर ढूंढते फिर रहे थे। इसके साथ ही, 12 अस्पतालों में एंबुलेंस की सुविधा नहीं थी और जो CATS एंबुलेंस चल रही थीं, उनमें भी जरूरी उपकरणों की कमी थी।*
*♦️मरीजों को समय पर अस्पताल पहुँचाने के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं था, जिसके चलते कई लोगों की जान चली गई। मोहल्ला क्लीनिकों में भी हालात बद से बदतर थे। 15 क्लीनिकों में बिजली बैकअप नहीं था, यानी बिजली जाने पर मरीजों का इलाज ठप हो जाता था। इन सबके बीच सरकार के दावे हवाई साबित हुए और जनता को भारी परेशानी उठानी पड़ी।*
*♦️लाडली योजना में 220 करोड़ का घोटाला*
*♦️लाडली योजना को 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने शुरू किया था, जिसका मकसद लड़कियों की शिक्षा को बढ़ावा देना और 18 साल की उम्र पर 1 लाख रुपये तक की मदद देना था। लेकिन अरविंद केजरीवाल की सरकार ने इस योजना में भी धाँधलियों को अंजाम दे दिया। CAG की रिपोर्ट ने इसमें 220 करोड़ रुपये से ज्यादा की अनियमितताएँ उजागर की हैं।*
*♦️रिपोर्ट के मुताबिक, 41 करोड़ रुपये का अधिक भुगतान हुआ और 618.38 करोड़ रुपये की राशि अघोषित पड़ी है। महिला एवं बाल विकास विभाग ने लाभार्थियों के विवरण को सत्यापित करने में ढिलाई बरती, जिसके चलते बड़े पैमाने पर डुप्लिकेशन हुआ। 36,000 से ज्यादा ऐसे मामले सामने आए, जहाँ नाम, जन्मतिथि और माता-पिता का विवरण एक जैसा था। दिसंबर 2022 तक 8.84 लाख सक्रिय लाभार्थियों में 16,546 डुप्लिकेट और 131 ट्रिपल पंजीकरण पाए गए, जिससे 11.49 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।*
*♦️♦️लेख जारी है ----*
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