
Sant Shri Asharamji Ashram Official
February 20, 2025 at 01:09 AM
🌷 Thought of the Day 🌷
🌻 जो जितना भगवान को चाहता है माया उतनी उसकी सेवा करके हाथ जोड़कर अलग से ठहरती है कि कहीं भगवान के दुलारे को दुःख न हो, कष्ट न हो।
🌻 अनुकूलता में विलास जगता है और प्रतिकूलता में विवेक जगता है। अनुकूलता और प्रतिकूलता बुद्धि को विकसित करने के साधन हैं। हम लोग उनका साधन की तरह उपयोग नहीं कर पाते हैं। अनुकूलता में हम भोग रूपी दलदल में गिर जाते हैं और प्रतिकूलता में शिकायत रूपी कलह में उलझ जाते हैं। इसलिए हमारी बुद्धि का वह विकास नहीं होता जो विकास करके बुद्धि परमात्मा में टिक सके।
🌻सदगुरु का अर्थ शिक्षक या आचार्य नहीं है। शिक्षक अथवा आचार्य हमें थोड़ा-बहुत ऐहिक ज्ञान देते हैं लेकिन सदगुरु तो हमें निजस्वरूप का ज्ञान दे देते हैं।
🙏- पूज्य संत श्री आशारामजी बापू 🙏
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