
AIGC Central Official Channel.
February 24, 2025 at 04:00 AM
ना सुबह होती है, ना शाम है,
ना चैन होता है, ना आराम है।
जब लोग जाड़े की रात मे,कम्बल मे सोते है।
तब हम हिदुरती ठंड में खड़े ब्रेकवान में होते हैं।
सफेद शर्ट और पेंट, बस हमारी पहचान नहीं।
जनाव, गार्ड/ट्रेन मैनेजर होना, इतना भी आसान नहीं।
ना होता कोई त्योहार अपना, क्या' दिन क्या रात है, ना शिकवा ना शिकायत, क्या धूप क्या बरसात है।
रेल हमारा घर है, पटरियों के हम राही है। कर्म हमारी पूजा है। हम भी एक सिपाही है।
चाहे मुश्किले कितनी भी हो, होते हम परेशान नहीं।
जनाब, गार्ड होना, इतना भी आसान नहीं।
जब सब सोते हैं, तो जगता है, जब सब जगते हैं... वो सोता है।
बस एब्नॉर्मल्टी न हो जाये, डर इसी बात का होता है। हम कितने को, उनको मंजिल तक ले जाते हैं।
यू ही नहीं सब हमे, साहब कहके बुलाते हैं।
है वजूद अपना भी यहाँ, हम कोई गुमनाम नहीं
जनाब, गार्ड होना, इतना भी आसान नही।
ट्रेन मैनेजर एकता जिंदाबाद
AIGC जिंदाबाद
👍
❤️
🙏
25