दीन सिखाओ बेटी बचाओ
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                February 27, 2025 at 11:44 AM
                               
                            
                        
                            सेहरी में 1 घंटे माइक पर नात तक़रीर बजाकर क्या साबित करना चाहते हैं? यही की हम बहुत बड़े  दीनदार हैं,
क्या आप लोग चाहते हैं कि अज़ान भी माइक से बंद हो जाये?
हालात के साथ जीना सीखो वरना यही हालात आपको किसी लायक नही छोड़ेंगे,सबके पास मोबाइल है, अलार्म है, घड़ी है, इसके बावजूद भी आप लोग फुल आवाज़ में रात के 3 बजे लाउडस्पीकर पर चीख चीख कर लोगों से कहते हैं सेहरी कर लीजिये, ये कहाँ का तरीका है,जिनको रोज़ा रखना है वह आपके एलान का मोहताज नही उनका ईमान उन्हें जगा देता है,
और जिन्हें रोज़ा नही रखना है आप उनके कान में ज़ोर ज़ोर से माइक लगाकर रात भर चिल्लाईये उनको कोई फर्क नही पड़ेगा,जो लोग आपके रोज़ा रमज़ान से मतलब नही रखते कम से कम उनको तो सुकून से सोने दो,
बच्चों को 6 बजे उठकर स्कूल जाना होता है,
ड्यूटी वालों को 5 बजे उठकर तैयारी करना होती है, दुकान दार को सुबह सुबह उठकर दुकान खोलना होती है, आपके रोज़े के चक्कर मे किस किस को प्रॉब्लम होती है,
क्या मजहबे इस्लाम मे इसकी इजाजत है? कि आप पडोसियों को अपने आमाल से तकलीफ दें?
जब लोग परेशान होकर इस पर आवाज़ उठाते हैं उनकी नींद खराब होती है,और वह लोग माइक बंद करने की बात करते हैं तब हम चीख चीख कर कहते हैं कि हम पर जुल्म हो रहा है,
जब रास्ते पर पड़े कांटे और पत्थर को हटाना ईमान का हिस्सा कहा गया तो क्या आप लोग दूसरों के रास्ते मे कांटे बिछाकर आप इस्लाम की शान पेश कर पाएंगे?
बता पाएंगे कि हमारा मज़हब अमन का मज़हब है?
आज हालात ये हो गए हैं कि जब जहां जी चाहा इस्लाम का नाम लेकर मनमानियां शुरू कर दी जाती हैं, अभी तक तो कोर्ट में 3  तलाक साबित नही कर पाए हो, माइक साबित करने में सारी उम्र निकल जायेगी।
5 वक़्त अज़ान आप माइक से दीजिये कोई नही रोकता लेकिन मस्जिदों को आप अपनी खुवाहिशों की तकमील के तौर पर इस्तेमाल करें ये इस्लाम कभी इजाज़त नही देता।
 मस्जिदों में पढ़े लिखे लोग सदर सिकरेट्री बनाये जाएं, इन जाहिलों ने मज़हब ओ मिल्लत को बहुत नुकसान पहुंचाया है।
याद रखें,,,अगर समझदारी और दूर अंदेशी से काम न लिया गया तो इस नादानी और बेवक़ूफ़ी के भयानक नतायज सामने आने वाले हैं,
फिर न कहना कि हम बे कसूर थे, हमे कुछ पता नहीं था,
तुम्हारे जुलूस और फुल आवाज़ में सडकों पर बजने वाले डी, जे, का जवाब उनकी तरफ से बढ़ चढ़ कर  दिया जा रहा है। हमारे मस्जिद के दरवाजे और मीनार तक पहुंच गए, और उस पर अपना झंडा भी लगा चुके हैं,
फुल आवाज़ में अपने जुलूस में डी, जे, बजाकर खुद तुमने उनको यही सब करने की दावत दी है। कि वह भी आपकी तरह मज़हब के नाम पर आवारा गर्दी करें, क्योंकि हर एक्शन का रिएक्शन होता है।
अब वह लोग आवारा गर्दियाँ कर रहे हैं तो तुम्हें तकलीफ क्यूं हो रही है।
जिस क़ौम ने दीन को छोड़ा, दीन ने भी उस क़ौम को छोड़ दिया,
आज आसमानों से मदद क्यूं नही आती है,क्या हमारी मस्जिदें नही गिराई जा रही हैं, क्या मदरसों पर जुल्म नही हो रहा है,क्या क़ुरआन पर हमला नही हुवा?क्या हमारे मज़हबी आज़ादी के साथ खिलवाड़ नही किया जा रहा है?
इतना सब होने के बावजूद भी तुम डी, जे,पर ज़ोर ज़ोर से बजाकर चैलेन्ज करते हो कि हर जगह पीटे जाओगे,और तुम्हारे ज़ख्मों पर मरहम रखने वाला कोई नही होगा,
नौजवान नस्ल मुकम्मल बर्बाद हो चुकी है,
बजाय इसकी इस्लाह करने के ,आये दिन नए नए काम जुलूस ,फ़र्ज़ी उर्स,ढोल ,नगाड़ा,चहल्लुम वगैरह की कसरत बढ़ती जा रही है। दौरे मौजूद के दिन रात बदल सकते हैं, तुम बदल जाओ तो हालात बदल सकते हैं 
अगर हमने मुस्तक़बिल का कोई प्लान तैयार न किया तो याद रखें आने वाला वक़्त बहुत भयानक साबित होने वाला है  
जिस मेहनत से गुजराती और मारवाड़ीयो के बच्चे  CA, CMS, BMS, BBA, MBA की तैयारी करते है....
उत्तर भारतीय बच्चे UPSC, RAILWAY के परिक्षाओ कि तैयारी करते है.....
दक्षिण भारतीय बच्चे Engineering, IIT, Medical कि तैयारी करते है.....
उससे भी ज्यादा कडी मेहनत से मुसलमान  के बच्चे ...
मोहरम पर अखाड़ो की,
बकरीद पर बकरों की,सब ए बारात में बाइक स्टंट की 
ईद पर कपड़ो की तैयारी करते है.....
*वक़्त रहते अपने नौजवानों को सुधारने की ज़रूरत है वरना बर्बादी बहुत नजदीक है*
 *#एजुकेशन_फ़ॉर_यूथ*
*मुसलमानों के जाहिल और कमजोर होने की सज़ा*
पहले तालीम से *तुम मोड़ दिए जाओगे* 
फिर किसी *जुर्म से जोड़* दिए जाओगे. 
हाथ से *हाथ की जंजीर बना कर निकलो* वर्ना *धागे की तरह तोड़* दिए जाओगे        
 *जब अपने घर से लाश उठाओगे* 
*तब ही क्या होश में आओगे???*
*‘अल्लाह किसी कौम की हालत को उस वक्त* *तक नहीं बदलता जब तक कि वह कौम खुद* *अपनी हालत को न बदले। (अल राद-11)*  ||
सिर्फ *दुआ के भरोसे* मत बेठो दुआ के साथ *"दवा "भी करो....* वरना *अगला नम्बर आप ही का है* ....
*तुम्हारा क्या है...??*
*पुलिस*
*वक़ील*
 *जज*
 *डॉक्टर..........*
*मीडिया समूह*???*
*कोई भी नहीं।।*
*न्याय प्रक्रिया में तेजी मुसलमानों के वकील और जज बनने से ही आ सकती है |*
*आप लोगों को आतंकवादी बता कर झूटी मुठभेड़ों में मारा जाता है* *और यह तब ही रुक सकता* *जब आप पढ़ लिख कर खुद पुलिस और सेना में जाओ* |
*याद रखो आप लोग सरकार से नहीं लड़  सकते हो* *लेकिन आप लोग खुद सरकार का हिस्सा बन कर अपनी सारी समस्याओं का समाधान कर सकते हो* 
*एजुकेशन के अलावा कोई विकल्प नहीं है |इसलिए हर कीमत पर ऊँची से ऊँची तालीम हासिल करो* 
*एक बात हमेशा याद रखना चाहिए कि जिन लोगों में अपनी आलोचना को एक चेलेंज के रूप में लेने और खुद को बदलने की सोच और समझ नहीं होती वो कौम मिट जाती है*
*हम मुस्लमान इतनी अरबो रूपए की ज़कात खेरात हर साल देते हैं कि अगर उसका सही इस्तेमाल हो तो हम में कोई अनपढ़, गरीब, बेरोजगार नहीं रहे* ||
*जितने फालतू रुपये मुस्लिम शादियों में बर्बाद करते है  उतने रूपये में कई मुसलमान डॉक्टर, वकील, पुलिस, सैनिक, जज मेनस्ट्रीम मीडिया का हिस्सा, वगैरह बख़ूबी बन सकते हैं....ज़रूरत है तो बस पक्के इरादे की..||*
*आज के वक्त में लड़ाइयां लाठी और तलवार या बम से नहीं बल्कि दिमाग़ से लड़ी जाती हैं* *और दिमाग से लड़ने के लिए तालीम और तकनीक की ज़रूरत होती है*,
*इसलिए आप लोग ऊँची से ऊँची तालीम हर कीमत पर हासिल करो ||*
*मेरे ईमान वाले भाईयों वक्त बहुत नाज़ुक और कम है ,ફેસબુક what'sapp youtube पर वक्त बर्बाद करना छोड़िये ,और अपने ईमान वाले भाईयों के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दो, और अपने मुसलमान भाईयों की शिक्षा, सुरक्षा रोजगार और न्याय के लिए दिल से मेहनत करो ||*
 *उठाओ 21 वीं सदी का हथियार ||-----क़लम और न्याय व्यवस्था का हिस्सा ||*
*यह ऐसा हथियार है जिसके आगे दुनिया की हर ताकत झुकती है*
*इरादा करो*
*शिक्षित बनो,*
*संगठित रहो*,
*और संघर्ष करो ||*
 *पैग़ाम को गहराई से पढ़ने का बेहद शुक्रिया, बस अब ग़ौरो फ़िक्र की दरकार है।*
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जज़ाक'अल्लाह ख़ैर
                        
                    
                    
                    
                    
                    
                                    
                                        
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