Daily Vivekananda
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                February 13, 2025 at 01:05 AM
                               
                            
                        
                            जब तक भोग-पुल खोजा जाता है, तब तक बन्धन रहता है। जब तक हम अपूर्ण हैं, तब तक भोग सम्भव है; क्योंकि भोग का अर्थ है - अपूर्ण वासना की परिपूर्ति।
-- स्वामी विवेकानन्द
{वि.सा. ७ : देववाणी - ७ जुलाई, रविवार (प्रातःकाल)}
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