Poetry D' Love
Poetry D' Love
February 9, 2025 at 08:12 AM
उसकी नजरों में था ख्वाबों का जहाँ, हर कदम पे था जैसे सहर का समा। जैसे बहारों ने अपना रंग बिखेरा, वो थी फिजाओं में बसी एक सवेरा।

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