
Jharkhand ( Exams Fighter )
February 7, 2025 at 03:37 PM
महात्मा गांधी के दक्षिण अफ्रीका से वापसी (1915) से भारत की आजादी (1947) तक के प्रमुख परिक्षोपयोगी ऐतिहासिक घटनाक्रम:
1. गांधीजी का भारत वापसी (1915):
- जनवरी 1915 में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से लौटे, जहाँ उन्होंने सत्याग्रह का सफल प्रयोग किया था।
- गोपाल कृष्ण गोखले के मार्गदर्शन में भारतीय राजनीति में प्रवेश किया।
2. प्रारंभिक आंदोलन (1917-1918):
- चंपारण सत्याग्रह (1917): बिहार में नील की खेती करने वाले किसानों के शोषण के खिलाफ पहला सत्याग्रह।
- खेड़ा सत्याग्रह (1918): गुजरात में कर माफी के लिए किसानों का संघर्ष।
- अहमदाबाद मिल हड़ताल (1918): मजदूरों के हितों के लिए पहली बार भूख हड़ताल का प्रयोग।
3. रॉलेट एक्ट और जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919):
- रॉलेट एक्ट (मार्च 1919): बिना मुकदमा गिरफ्तारी के विरोध में गांधीजी ने राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह शुरू किया।
- जलियांवाला बाग नरसंहार (13 अप्रैल 1919): जनरल डायर के आदेश पर निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर गोलीबारी, जिसमें सैकड़ों मारे गए। इससे राष्ट्रीय आक्रोश फैला।
4. असहयोग आंदोलन (1920-1922):
- खिलाफत आंदोलन और स्वराज की मांग के साथ शुरू।
- विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार, स्कूल-कॉलेज छोड़ना, और चरखे को प्रतीक बनाया गया।
- चौरी-चौरा घटना (फरवरी 1922): हिंसक घटना के बाद गांधीजी ने आंदोलन वापस लिया।
5. साइमन कमीशन और नेहरू रिपोर्ट (1927-1928):
- साइमन कमीशन (1927): भारतीय सदस्यों के बिना संवैधानिक सुधारों के लिए गठित कमीशन का विरोध – "साइमन गो बैक" नारे।
- नेहरू रिपोर्ट (1928): भारतीय संविधान का मसौदा, जिसमें डोमिनियन स्टेटस की मांग की गई।
6. पूर्ण स्वराज की घोषणा (1929):
- लाहौर कांग्रेस अधिवेशन (दिसंबर 1929) में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में 26 जनवरी 1930 को "पूर्ण स्वराज" का संकल्प लिया गया।
7. नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930):
- दांडी मार्च (12 मार्च-6 अpril 1930): गांधीजी ने 240 किमी पदयात्रा कर नमक कानून तोड़ा, जनता ने बड़े पैमाने पर भाग लिया।
- आंदोलन ने ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को झटका दिया और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया।
8. गांधी-इरविन पैक्ट (1931):
- सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित किया गया। गांधीजी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931) में भाग लिया, पर कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
9. साम्प्रदायिक अधिनिर्णय और पूना पैक्ट (1932):
- ब्रिटिश प्रधानमंत्री रामसे मैकडोनाल्ड ने दलितों के लिए अलग निर्वाचन मंडल का प्रावधान किया।
- गांधीजी के आमरण अनशन के बाद पूना पैक्ट (1932) में दलितों के लिए सीटें आरक्षित की गईं।
10. भारत सरकार अधिनियम (1935):
- प्रांतीय स्वायत्तता और संघीय ढांचे का प्रावधान। 1937 के चुनावों में कांग्रेस ने 7 प्रांतों में सरकार बनाई।
11. क्रिप्स मिशन और भारत छोड़ो आंदोलन (1942):
- क्रिप्स मिशन (1942): द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान स्वशासन का प्रस्ताव, जिसे कांग्रेस ने ठुकरा दिया।
- भारत छोड़ो आंदोलन (अगस्त 1942): "करो या मरो" का नारा। गांधी सहित नेताओं की गिरफ्तारी, जनता ने हिंसक प्रतिरोध किया।
12. आजाद हिंद फौज और सुभाष चंद्र बोस (1943-1945):
- सुभाष चंद्र बोस ने "तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा" का नारा देते हुए INA का गठन किया।
- 1945 में INA के सैनिकों के मुकदमों ने राष्ट्रवादी भावनाओं को उभारा।
13. कैबिनेट मिशन और सीधी कार्यवाही (1946):
- कैबिनेट मिशन योजना (1946): संविधान सभा का प्रस्ताव, पर मुस्लिम लीग ने अलग पाकिस्तान की मांग जारी रखी।
- सीधी कार्यवाही दिवस (16 अगस्त 1946): कलकत्ता में सांप्रदायिक दंगे, जिनसे विभाजन की राह प्रशस्त हुई।
14. माउंटबेटन योजना और स्वतंत्रता (1947):
- लॉर्ड माउंटबेटन ने 3 जून 1947 को भारत-पाकिस्तान के विभाजन की घोषणा की।
- 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ, जवाहरलाल नेहरू पहले प्रधानमंत्री बने।
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महत्वपूर्ण प्रभाव:
- गांधीवादी रणनीति:अहिंसा, सत्याग्रह और जनभागीदारी ने आंदोलनों को जन-आधार दिया।
- सांप्रदायिक विभाजन: मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग और 1946 के दंगों ने विभाजन को अपरिहार्य बना दिया।
- अंतरराष्ट्रीय दबाव: द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद ब्रिटेन की आर्थिक कमजोरी और INA के प्रभाव ने स्वतंत्रता को गति दी।
यह क्रमिक विवरण प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए आवश्यक तथ्यों और विश्लेषण को समेटे हुए है।
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