University Truthseeker Society (UTS)
February 15, 2025 at 05:48 PM
* *महासमण संत गुरु रविदास*
आदर्श समाज की परिकल्पना देने वाले पहले भारतीय, विश्व की एक महान शख्सियत महासमण संत गुरु रविदास ।
*महासमण संत गुरु रविदास* का जन्म माघ पूर्णिमा विक्रम संवत 1433 में शीर गोवर्धनपुर वाराणसी उत्तर प्रदेश भारत में हुआ। अब यह स्थान पर्यटन मंत्रालय में भी दर्ज है। इनके पिता संतोख दास जी चर्म उद्योग के मालिक थे उस काल में अधिकतर चीजें चमड़े की बनती थी उनके कारखाने में बहुत सारे लोग काम करते थे इनका व्यापार ईरान, इराक, सऊदी अरब आदि देशों तक था इसलिए इनकी अच्छी आमदनी थी और समय-समय पर समाज के लोगों की आर्थिक सामाजिक मदद भी करते थे इस कारण उनके परिवार की प्रतिष्ठा बहुत ज्यादा थी पंचायत के माध्यम से न्याय करवाना व मामलों का जल्द समाधान करवाना इनका एक महत्वपूर्ण कार्य था। ऐसा कहा जाता है कि एक बार मुगल बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा कि कौन सी पंचायत का न्याय आपकी दृष्टि में सबसे अधिक उचित और तर्कसंगत होता है बीरबल ने तपाक से उत्तर दिया (समणो) की पंचायत का ।
महासमण संत गुरु रविदास का बचपन बहुत ही अच्छे से वातावरण में बिता क्योंकि उनकी सामाजिक आर्थिक स्थिति अच्छी थी इनका ओजपूर्ण व्यक्तित्व, मिलनसार और खुशनुमा व्यवहार सभी के लिए अच्छा था। परंपरागत रूप से चली आ रही ज्ञान पद्धति विभिन्न विद्वानों के साथ विचार गोष्ठियां चर्चाओं व संवाद के माध्यम से इन्होंने बहुत ज्ञान अर्जित किया ।अनेक भाषाएं सीखी जैसे अरबी फारसी हिंदी राजस्थानी भोजपुरी ब्रज भाषा खड़ी बोली आदि। इनका विवाह भले परिवार की बेटी लूना देवी से कर दिया और इनको अलग कर अपनी ग्रहस्ती बसाने व चलाने का आदेश हुआ। अपना घर चलाने के लिए इन्होंने स्वयं कार्य किया परंतु इनका अधिकांश समय चिंतन मनन और विचार संगोष्ठियों में ही बीत जाता था। धीरे-धीरे उनके ज्ञान की आभा सभी जातियों और धर्म में फैलने लगी उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ने लगी अपने तेजस्वी पुत्र का सामाजिक मुद्दों पर गहन चिंतन मनन और समर्पण देखकर उनके पिता को एहसास हो गया और इनको फिर से अपने घर परिवार में शामिल कर लिया अब संत गुरु रविदास और लेना देवी एक आदर्श दंपति के रूप में जाने जाने लगे थे । लौना देवी भी एक विदुषी महिला थी वह औषधियों की ज्ञाता थी जिसके चलते हुए उस समय की प्रसिद्ध वैध बनी और खुद गांव गांव जाकर गरीब व असहाय लोगों की जड़ी बूटी से इलाज किया करती थी व साफ-सफाई में रहने को प्रोत्साहित करती थी मस्तिष्क और शरीर को सक्रिय बनाए रखने के उपाय बतलाती थी ।
*महासमण संत गुरु रविदास का प्रभाव* महासमण संत गुरु रविदास एक महान संगीतक थे इन्होंने श्री गुरु ग्रंथ साहिब में विभिन्न रागों में उनकी वाणी दर्ज है यहां पर 27 रागों में उनके महान संगीतज्ञ होने का बड़ा प्रमाण उपलब्ध है सच्चा सौदा समण संत गुरु नानक देव महासमण संत गुरु रविदास के मध्य हुआ यह सच्चा सौदा भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण अध्याय के रूप में प्रसिद्ध है
* लगभग 52 राजा रानियां उनके परम शिष्यों में है
* *महासमण संत गुरु रविदास जी* की वाणी के विविध आयाम* प्रथम दूसरों की गुलामी बारे कहा गया है कि
"पराधीनता पाप है जान लेउ रे मीत रविदास दास पराधीन सो कौन करे हैं प्रीत"
*प्रथम समाजवादी चिंतक* उनकी वाणी में कहा गया है
"ऐसा चाहूं राज मैं जहां मिले सबन को अन छोट बड़ सब सम बसें रविदास रहे प्रसन्न" कमेरी संस्कृति को मजबूत किया व कहा
"रविदास श्रम कर खाईये जो लो पार बसाय"
*समण संस्कृति* हड़प्पा संस्कृति सिंधु घाटी सभ्यता हमारी अपनी है ।
वंचित समाज के लिए स्वराज "रविदास मानुष करि बसन कूं सुखकर है दुई ठांव एक सुख है स्वराज्य महीं दूसरा मरघट गांव" *विद्या के महत्व को स्थापित किया*
" सत्य विद्या को पढ़े प्राप्त करें सदा ज्ञान रविदास कहे बिन विद्या के नर को जान अजान" बाबासाहेब अंबेडकर से भी सैकड़ो वर्ष पहले महासमण संत गुरु रविदास जी ने शिक्षा का महत्व बतलाया
*उचं नीच का खंडन किया* "रविदास जन्म के कारने ने होत न कोउ नीच नर कू नीच करी डारी है ओछे कर्म की कीचं । *जाति के रहते एकता स्थापित नहीं हो सकती*
"जात जात में जात है जो केलन में पात रविदास न मानुष जुड़ सके जो लो जात न जात "
*व्यक्ति के गुण महत्वपूर्ण है ना की जाति*
"रविदास ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन पूजही चरण चांडाल के जो होवे गुण प्रवीण" *शारीरिक संरचना पर शुद्ध वैज्ञानिक दृष्टिकोण*
"जल की भीति पवन का थबां रक्त बूंद का गारा हाड मांस नाड़ी का पिंजर पंखीं बसे बिचारा" *समाज को एकजुट होकर संगठित रहने का संदेश* "सतसंगत मिला रही है माधव जैसे मधुमक्खीरा"
इसलिए विश्व प्रसिद्ध लेखिका गेल ओमवेटब के अनुसार यूरोप के टामस मूर ने आदर्श समाज की कल्पना यूटोपिया का विचार सन 1516 ईस्वी में दिया लेकिन टामस मूर से भी पहले महासमण संत गुरु रविदास ने आदर्श समाज की परिकल्पना बेगमपुरा के रूप में विश्व के सामने रख दी बेगमपुरा का अर्थ है वह स्थान जहां बिना गमों का शहर जहां पर कोई चिंता नहीं कोई लाचारी नहीं कोई अभाव नहीं धोखा नहीं जहां धर्म नस्ल वर्ण जाति लिंग स्थान भाषा आदि के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता वहां रहने वाले सभी व्यक्ति कानून के अनुसार आचरण करते हैं बेगमपुर सामाजिक आर्थिक राजनीतिक सांस्कृतिक मॉडल है जो कि सिंधु घाटी सभ्यता में व हड़प्पा संस्कृति में देखा जा सकता है ।डॉक्टर अंबेडकर ने महासमण संत गुरु रविदास के विचारों को भारतीय संविधान में मानव हित में नियम बनाकर लिख दिया और इन्हीं विचारों को संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा पत्र के आर्टिकल एक में भी देखा जा सकता है भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने बेगमपुर को समाजवाद की प्रस्तावना कहा है इसलिए असाढ संक्रांति विक्रम संवत 1584 को इस महान शख्सियत और विद्वान का परि निर्वाण हो गया लेकिन महासमण संत गुरु रविदास जी के विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं इनका मार्गदर्शन समाज देश व विश्व जगत के लिए एक धरोहर है जिसे आज तक बुलाया गया था अगर उनके विचारों का सही रूप में समाज के सभी लोगों द्वारा पालन किया जाए विश्व पलक पर न्याय स्वतंत्रता समानता और बंधुता पर आधारित समाज का निर्माण करना मुश्किल नहीं होगा जिससे विश्व बंधुत्व की भावना का सही रूप से प्रचार प्रसार संभव हो पाएगा
समान
समण चंद्र मोहन
440 सैक्टर 18 कैथल