
University Truthseeker Society (UTS)
February 15, 2025 at 05:59 PM
*संविधान के कारण ही देश एक है, अखंड है. संविधान ने हर मुश्किल का मुक़ाबला कर भारत को अखंड रखा.*
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सवाल यह है कि जिन उद्देश्यों के लिए संविधान बनाया था क्या नागरिकों को वे अधिकार मिल गए ? तो यह करना पड़ेगा कि हमें स्वतंत्रता, समानता व बंधुत्व के अधिकार पूरी तरह से हासिल तो नहीं हो पाए लेकिन भारत के संविधान ने जो बड़ा चमत्कार कर दिखाया ऐसा दुनिया में और कहीं नहीं हुआ.
बाबासाहेब अंबेडकर के नेतृत्व में बनाए संविधान का ही परिणाम है कि आज़ादी के बाद हज़ारों गंभीर संकटों के बावजूद देश में लोकतंत्र क़ायम है, देश एक है, अखंड है अन्यथा पड़ोसी व अन्य कई देशों में लोकतंत्र का कितना बुरा हाल हुआ है. इसलिए भारत को अखंड बनाए रखने में हमारे संविधान की अहम भूमिका है.
भारत का संविधान एक ऐसा जीवन्त और व्यापक दस्तावेज़ है जिसे किसी ख़ास सांचे, ढांचे या मॉडल में फ़िट नहीं किया जा सकता. यह परिसंघीय तथा एकात्मक और अध्यक्षीय तथा संसदीय रूपों का मिश्रण है.
एक ओर जहां सेकंड वर्ल्ड वार के बाद अनेक देशों के बनाए संविधान नाकामयाब हो गये तथा लुप्त हो गये, वहीं दूसरी ओर हमारे संविधान ने अनेक मुश्किलों का सफलतापूर्वक सामना कर जीत हासिल की और देश की अखंडता पर आँच नहीं आने दी.
हमारा संविधान ज़िंदा दस्तावेज़ है जिसकी इबारत में अनगिनत देशभक्तों, विद्वानों और बुद्धिजीवियों के दिलों की धड़कने हैं. इसमें देश की ख़ुशहाली के लिए उनके द्वारा संजोए गए सपने सजाए हुए हैं. संविधान विरोधी माहौल में भी संविधान की धाराएँ बुलंदी से धड़क रही है वे देश में निराशा हताशा व घनघोर अंधकार के बावजूद व्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के गीत गा रही है.
संविधान ने ही प्राचीन जम्बूद्वीप में भगवान बुद्ध और बाद में सम्राट अशोक के काल की कोख से फूट कर पहली बार राष्ट्रीय व्यवहार तथा वैशाली के गणतंत्र की रूपरेखा बनायी है. संविधान ने ही हर भारतीय को गर्व और स्वाभिमान के भावों से बढ़ने की प्रेरणा दी है.
संविधान पर ख़तरे दिनों दिन तेज होते जा रहे हैं. सारे संसाधनों, सुविधाओं, सेवाओं पर सदियों से सांप की तरह कुंडली मारे बैठे, भेदभाव व विषमता के पोषक तो यही चाहते हैं कि मौजूदा संविधान बदल कर फिर से कुव्यवस्था स्थापित कर दें.
लेकिन देश दुनिया के बदलते हालात में उनके लिए यह इतना आसान भी नहीं है. साथ में अन्याय, भेदभाव, शोषण के शिकार वर्ग तेज़ी से जागरूक हो रहा है. अपने देश को अखंड और ख़ुशहाल देखने वाले लोगों द्वारा संविधान को बचाने की पहल हुई है तो यह मुहिम बहुत आगे तक जाएगी. ऐसी आशा की जाती है.
जय भारत …जय संविधान
आलेख: डॉ एम एल परिहार, पाली- जयपुर 9414242059
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