ಶ್ರೀ ದತ್ತ ಪ್ರಸಾರ
ಶ್ರೀ ದತ್ತ ಪ್ರಸಾರ
February 19, 2025 at 01:45 AM
*श्री दत्त प्रसाद – 43 - मोगिलिचेरला अवधूत श्री दत्तात्रेय स्वामिजी की मंदिर में श्री नागेन्द्रप्रसाद जी के अनुभव – स्वामिजी की वादा..* "स्वामिजी के लिए चावल लाया हूँ.. कल सुबह हम सब परिवार के साथ स्वामिजी का दर्शन करेंगे.. रात यहीं रहेंगे.. कल हमें हमारे पोते का नामकरण भी करना है" उस व्यक्ति ने कहा.. उसकी उम्र करीब साठ साल के आसपास होगी.. उसका नाम देवऱकोंडा वेंकटेश्वर है.. उप्पुगुंडूर गांव का निवासी है.. मैंने रसीद लिखी और वह चला गया..। उस दिन शनिवार था.. शाम को पालकी सेवा की हलचल में हम लगे हुए थे.. चावल लाकर देने वाले वेंकटेश्वर भी अपनी पत्नी और बच्चों के साथ पालकी सेवा में शामिल होने के लिए मंडप में बैठे थे.. श्री स्वामिजी की पालकी की परिक्रमा से पहले, उसने अपने बेटे को बताया और उसके हाथ से पालकी उठवाई.. उसका बेटा भी अत्यंत भक्ति से पालकी ले गया.. कार्यक्रम समाप्त होने के बाद, वेंकटेश्वर फिर मेरे पास आया और पूछा, "कल सुबह हमें कितने बजे बुलाएंगे, नामकरण करना है न?" मैंने उसे सुबह दस बजे आने के लिए कहा.. उसने कहा ठीक है और चला गया.. अगले दिन रविवार की प्रभात सेवा के बाद, दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की भीड़ अधिक होती है.. इस हलचल में वेंकटेश्वर का मामला मुझे याद नहीं रहा.. अर्चक स्वामी को यह बताना भी भूल गया कि नामकरण कार्यक्रम है.. इस बीच दो-तीन भक्त श्री स्वामिजी की मूर्ति को अभिषेक करने के लिए पूजा सामग्री लेकर अंदर आ गए.. अर्चक स्वामी ने कहा कि अभिषेक में थोड़ी देरी होगी और दस बजे अभिषेक करेंगे, यह उन्हें समझा कर एक ओर बिठा दिया.. तभी मुझे याद आया कि वेंकटेश्वर को भी मैंने दस बजे ही नामकरण करने के लिए कहा था.. अभिषेक और नामकरण एक साथ नहीं हो सकते.. मैंने पुजारी को बुलाकर मामला बताया.. पुजारी ने एक पल सोचा और कहा, "पहले अभिषेक पूरे कर दूंगा, वेंकटेश्वर को समझाकर नामकरण बाद में कर दूंगा.. वेंकटेश्वर और उनके परिवार वहीं बैठेंगे, आप चिंतित न हों"। नौ बजे तक वेंकटेश्वर अपने परिवार के साथ अंदर आ गया.. मैंने उसे बुलाकर कहा, "अभिषेक है.. वह पूरा होने के बाद ही आपके पोते का नामकरण होगा.. थोड़ी देरी होगी"। उसने कहा, "स्वामी, मैंने अपने बेटे का नामकरण यहीं किया था, अपने पोते का नामकरण भी यहीं करना चाहता हूँ.. स्वामिजी के मामले में कोई भी देरी नहीं होती, सब समय पर पूरा होता है"। मैंने पूछा, "इतनी विश्वास के साथ क्यों बोल रहे हो?"। उसने बताया, "मेरे बचपन में हम भी मालकोंडा आए थे.. तब स्वामिजी माँ के आश्रम में थे.. मेरे दादा ने कहा, 'यह तुम्हारा पोता है?' पूछा.. दादा ने कहा, 'हाँ’, तब स्वामिजी ने आशिर्वाद किया कि “उसको सब सही समय पर होगा, तुम्हें कोई तकलीफ नहीं होगी'.. तभी से मुझे कोई परेशानी नहीं आई.. मैंने भी इस स्वामिजी पर विश्वास किया है.. मेरी शादी यहीं हुई, बेटे का नामकरण यहीं किया, उसकी शादी भी यहीं करवाई.. अब पोते के लिए आया हूँ, तुम कह रहे हो कि देरी होगी.. देखो स्वामिजी क्या व्यवस्था करते हैं"। जब वेंकटेश्वर यह कह रहा था, हमारे अर्चक स्वामी मेरे पास आए और कहा, "किसी का नामकरण कार्यक्रम है, उन्हें बुलाइए, मैं पूरा करता हूँ"। मैंने आश्चर्य से देखा और पूछा, "हमने अभिषेक की बात की थी, तो उनका क्या?" "किसी ने कहा कि अभिषेक कब होगा? मैं जब उन्हें बुलाने गया, उन्होंने कहा, 'अभी अभिषेक नहीं, हमारे लोग बाहर चले गए हैं, बाद में करवा लेंगे'। इस बीच नामकरण कर लेते हैं"। "स्वामिजी ने वेंकटेश्वर के मामले में खुद कहा था कि सब सही समय पर होगा," यह बात हमारे सामने सही साबित हो गई। स्वामिजी ने खुद वेंकटेश्वर को वादा दी थी! सर्वस्व, श्री दत्त कृपा लेखक: पवनि नागेंद्रप्रसाद (मंदिर का अधिक जानकारी केलिये :पवनि श्री विष्णु कौशिक, श्री दत्तात्रेय स्वामी मन्दिरम, मोगिलिचेरला ग्राम, लिंगसमुद्रम मंडल, SPSR नेल्लोर जिला, पिन: 523114.)
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