Jatin Tyagi
Jatin Tyagi
February 14, 2025 at 08:05 AM
*पितरं मातरं तात पूजयेत् धर्मनिष्ठया।* *उपकर्तृं न कर्तव्यं श्रद्धयाऽन्यं तु पूजयेत्।।* अर्थात्: "पिता और माता को धर्मनिष्ठा के साथ पूजा करना चाहिए। जो हमारे मददगार हैं, उन्हें श्रद्धा से पूजना चाहिए, परंतु किसी अन्य व्यक्ति को यह कर्तव्य नहीं है।" सभी के जीवन में माता-पिता के असीम प्यार, बलिदान और आशीर्वाद को सम्मानित करने का विशेष दिन है। माँ और पापा ही हमारे जीवन के सबसे बड़े गुरु होते हैं, जिनकी प्रेरणा और मार्गदर्शन हमें हर मुश्किल से लड़ने की शक्ति देते हैं। इस पवित्र अवसर पर, हम सब मिलकर अपने माता-पिता को दिल से नमन करें और उन्हें अपनी श्रद्धा और आभार अर्पित करें। उनकी दी हुई शिक्षा और आशीर्वाद के कारण ही हम आगे बढ़ पाते हैं। आप सभी का जीवन सुखमय, समृद्ध और माता-पिता के आशीर्वाद से पूर्ण हो, यही मेरी शुभकामनाएँ हैं।
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