GIRISH CHANDRA DWIVEDI 🙏
GIRISH CHANDRA DWIVEDI 🙏
February 2, 2025 at 05:59 PM
🌹🌹मेरी कविता🌹🌹 आज के इस दौर में परिवार कैसे बिखर रहे हैं? अपने अपनों से मुंह फेर रहे हैं, सच में सभी वहम में जी रहे हैं, अब तो सब सिर्फ पाला छू रहें हैं, और तो और कितने पाला बदल रहें हैं, परिवार तो अब सिर्फ एल्बम में दिख रहे हैं, परिवार के सारे लोग धीरे धीरे टूटने रहे हैं, इस टुटन और घुटन में बहुत कुछ बिखर रहें हैं कोई क्यों नहीं सोच रहे हैं क्या क्या टूटा रहा है क्यों कोई नहीं सोच रहे हैं🌹🙏 🌷

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