GIRISH CHANDRA DWIVEDI 🙏
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February 14, 2025 at 05:34 PM
तिलक धारण की गूढ़ता/ महत्व -- कौन सी अंगुली का क्या रहस्य? सनातन धर्म में तिलक धारण मात्र एक आचार नहीं, बल्कि दिव्यता का प्रतीक और आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है। तिलक के बिना पूजा-अर्चना को पूर्ण नहीं माना जाता, और विशेष रूप से ब्राह्मणों के लिए तो यह अनिवार्य कर्तव्य है। शास्त्रों में कहा गया है कि बिना तिलक के ब्राह्मण के मुख के दर्शन भी अशुभ माने जाते हैं, क्योंकि तिलक व्यक्ति के आभामंडल और आत्मिक चेतना को जागृत करता है। किन्तु क्या आप जानते हैं, तिलक धारण की प्रक्रिया में किस अंगुली का चयन क्यों महत्वपूर्ण है? यह मात्र शारीरिक क्रिया नहीं, अपितु गूढ़ आध्यात्मिक रहस्य से जुड़ा है: 1.तर्जनी (Index Finger) – तर्जनी अंगुली से पितृगणों को तिलक किया जाता है, विशेषकर पिंडदान में। तर्जनी में वायु तत्व का वास है, जो पितरों तक हमारी श्रद्धा और प्रार्थना को पहुँचाने का माध्यम बनता है। 2.मध्यमा (Middle Finger) – स्वयं तिलक धारण के लिए मध्यमा का प्रयोग होता है। यह अंगुली आकाश तत्व से जुड़ी है, जो आत्मा को ऊर्ध्वगामी और विशुद्धि चक्र को जागृत करती है, जिससे साधक की चेतना निर्मल होती है। 3.अनामिका (Ring Finger) – भगवान और देवताओं को तिलक अनामिका से किया जाता है, क्योंकि इसमें पृथ्वी और जल तत्व का संयोग है। यह स्थायित्व, शांति, और भक्ति का प्रतीक है, जो देवता के प्रति श्रद्धा को अर्पित करने में सहायक है। 4.अंगुष्ठ (Thumb) – अंगूठे से अतिथि को तिलक करने का विधान है। अंगुष्ठ में अग्नि तत्व का निवास है, जो सम्मान, आत्मीयता, और ऊष्मा का प्रतीक है, जिससे अतिथि का स्वागत स्नेहपूर्वक होता है। तिलक धारण मात्र एक परम्परा नहीं, अपितु ऊर्जा विज्ञान का ऐसा सूक्ष्म रहस्य है जो आत्मा, देवता, पितर और अतिथि के साथ हमारे संबंधों को सशक्त करता है। इस शास्त्रज्ञान को आत्मसात् कर, हम न केवल पूजा की पूर्णता को प्राप्त करते हैं, बल्कि आत्मिक उन्नति की ओर भी अग्रसर होते हैं। धारण करें तिलक, जागृत करें चेतना! जय श्री राम।।🙏

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