
Lallanpost
February 26, 2025 at 12:23 PM
दिन तो गुज़र जाते हैं लेकिन रातें नहीं कटतीं। कभी कभी तो डर लगता है कि मिल भी पाऊँगा या नहीं। वह बाहर आए, उससे पहले कहीं मैं न चला जाऊँ। कुछ नहीं पता कितना वक़्त लगेगा। वह मेरा कोहिनूर है। अब चमक आएगी या जंग लगेगा, इसका मुझे नहीं पता। लेकिन वह मेरा कोहिनूर है, जिसकी कोई क़ीमत नहीं है। : सैयद तसनीफ़ हुसैन (जेल में बंद एक्टिविस्ट गुलफ़िशा फातिमा के पिता)