सद्गुरुवाणी
सद्गुरुवाणी
February 9, 2025 at 04:20 AM
*बोलना (दर्शन, philosophy) अलग है, चलना (अध्यात्म, मौन) अलग होता है।* *उन्हें मौन बहुत प्रिय था*👏👏👏 - आचार्य श्री समयसागर जी - 6/2/25, सतना (म.प्र.) - (2.32 से 3.30 तक) *_आचार्य गुरुवर श्री विद्यासागर जी महाराज के समाधि स्मृति दिवस पर विशेष उद्बोधन-_* https://youtu.be/yl1Mj1663hA?si=OWw41EpoYoyr1_XG 💫💫💫 *_दर्शन (बोलना, philosophy) और अध्यात्म (मौन, आत्म-दर्शन)_* क्या इनमें कार्य-कारण भाव है? यदि...हो...तो... कार्य कौन और कारण कौन ? *इनमें* *बोलता कौन है और मौन कौन ?* *ध्यान की सुगन्धि किससे फूटती है?* *उसे कौन सूँघता है* *अपनी चातुरी नासा से ?* *मुक्ति किससे मिलती है ?* *तृप्ति किससे मिलती है?* ... "दर्शन का स्त्रोत मस्तक है, स्वस्तिक से अंकित हृदय से अध्यात्म का झरना झरता है। *दर्शन के बिना अध्यात्म-जीवन* *चल सकता है, चलता ही है* *पर, हाँ!* *बिना अध्यात्म, दर्शन का दर्शन नहीं।* *लहरों के बिना सरवर वह* *रह सकता है, रहता ही है* *पर हाँ!* *बिना सरवर लहर नहीं।* ... स्वस्थ ज्ञान ही अध्यात्म है। अनेक संकल्प-विकल्पों में व्यस्त जीवन दर्शन का होता है। *बहिर्मुखी या बहुमुखी प्रतिभा ही* *दर्शन का पान करती है,* *अन्तर्मुखी, बन्दमुखी चिदाभा* *निरंजन का गान करती है।* - मूकमाटी :: २८७,२८८ - आचार्य श्री विद्यासागर जी
💛 1

Comments