🚩‼️सनातन शाक्ति‼️🚩 ( RSS-BHARAT)
                                
                            
                            
                    
                                
                                
                                February 5, 2025 at 04:02 PM
                               
                            
                        
                            *#महामृत्युंजय_मंत्र_की_रचना_कैसे_हुई ?*
                      *#तथा*
*#किसनेकी_महामृत्युंजय_मंत्रकी_रचना?*
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              *#जाने_इसकी_शक्ति*
               *शिवजी के अनन्य भक्त मृकण्ड ऋषि संतानहीन होने के कारण दुखी थे, विधाता ने उन्हें संतान योग नहीं दिया था।*
                *मृकण्ड ने सोचा कि महादेव संसार के सारे विधान बदल सकते हैं, इसलिए क्यों न भोलेनाथ को प्रसन्नकर यह विधान बदलवाया जाए।*
                  *मृकण्ड ने घोर तप किया, भोलेनाथ मृकण्ड के तप का कारण जानते थे इसलिए उन्होंने शीघ्र दर्शन न दिया लेकिन भक्त की भक्ति के आगे भोले झुक ही जाते हैं।*
                *महादेव प्रसन्न हुए उन्होंने ऋषि को कहा कि मैं विधान को बदलकर तुम्हें पुत्र का वरदान दे रहा हूं लेकिन इस वरदान के साथ हर्ष के साथ विषाद भी होगा।*
                *भोलेनाथ के वरदान से मृकण्ड को पुत्र हुआ जिसका नाम मार्कण्डेय पड़ा। ज्योतिषियों ने मृकण्ड को बताया कि यह विलक्ष्ण बालक अल्पायु है, इसकी उम्र केवल 16 वर्ष है।*
                *ऋषि का हर्ष विषाद में बदल गया, मृकण्ड ने अपनी पत्नी को आश्वत किया- जिस ईश्वर की कृपा से संतान हुई है वही भोले इसकी रक्षा करेंगे, भाग्य को बदल देना उनके लिए सरल कार्य है।*
                *मार्कण्डेय बड़े होने लगे तो पिता ने उन्हें शिवमंत्र की दीक्षा दी। मार्कण्डेय की माता बालक के उम्र बढ़ने से चिंतित रहती थी। उन्होंने मार्कण्डेय को अल्पायु होने की बात बता दी।*
                *मार्कण्डेय ने निश्चय किया कि माता-पिता के सुख के लिए उसी सदाशिव भगवान से दीर्घायु होने का वरदान लेंगे जिन्होंने जीवन दिया है, सोलह वर्ष पूरे होने को आए थे।*
                *मार्कण्डेय ने शिवजी की आराधना के लिए महामृत्युंजय मंत्र की रचना की और शिव मंदिर में बैठकर इसका अखंड जाप करने लगे।*
*ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।*
*उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥*
               *समय पूरा होने पर यमदूत उन्हें लेने आए, यमदूतों ने देखा कि बालक महाकाल की आराधना कर रहा है तो उन्होंने थोड़ी देर प्रतीक्षा की। मार्केण्डेय ने अखंड जप का संकल्प लिया था।*
               *यमदूतों का मार्केण्डेय को छूने का साहस न हुआ और लौट गए। उन्होंने यमराज को बताया कि वे बालक तक पहुंचने का साहस नहीं कर पाए।*
               *इस पर यमराज ने कहा कि मृकण्ड के पुत्र को मैं स्वयं लेकर आऊंगा. यमराज मार्कण्डेय के पास पहुंच गए।*
              *बालक मार्कण्डेय ने यमराज को देखा तो जोर-जोर से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग से लिपट गया।*
             
                *यमराज ने बालक को शिवलिंग से खींचकर ले जाने की चेष्टा की तभी जोरदार हुंकार से मंदिर कांपने लगा। एक प्रचण्ड प्रकाश से यमराज की आंखें चौधियां गईं।*
             *शिवलिंग से स्वयं महाकाल प्रकट हो गए। उन्होंने हाथों में त्रिशूल लेकर यमराज को सावधान किया और पूछा तुमने मेरी साधना में लीन भक्त को खींचने का साहस कैसे किया?*
               *यमराज महाकाल के प्रचंड रूप से कांपने लगे। उन्होंने कहा- प्रभु मैं आप का सेवक हूं. आपने ही जीवों से प्राण हरने का निष्ठुर कार्य मुझे सौंपा है।*
              *भगवान चंद्रशेखर का क्रोध कुछ शांत हुआ तो बोले- मैं अपने भक्त की स्तुति से प्रसन्न हूं और मैंने इसे दीर्घायु होने का वरदान दिया है। तुम इसे नहीं ले जा सकते।*
               *यम ने कहा- प्रभु आपकी आज्ञा सर्वोपरि है. मैं आपके भक्त मार्कण्डेय द्वारा रचित महामृत्युंजय का पाठ करने वाले को त्रास नहीं दूंगा*।
               *महाकाल की कृपा से मार्केण्डेय दीर्घायु हो गए। उनके द्वारा रचित महामृत्युंजय मंत्र काल को भी परास्त करता है।*
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!! जय श्री महाकाल !!
एक्स के सौजन्य से।
अयोध्या दर्शन का साभार 
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         *🔱🚩मृत्युंजय-जप का मूल मन्त्र 🚩🔱*
*#ॐ_त्र्यम्बकं_यजामहे_सुगन्धिं_पुष्टिवर्धनम्।*
*#उर्वारुकमिव_बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय_मामृतात्।*
 
   *🔱🚩मृत्युंजय-मन्त्र का अर्थ 🚩🔱*
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                  *मैं परमब्रह्म परमात्मा त्रिनेत्रधारी शंकर की वन्दना करता हूँ, जिनका यश तीनों लोकों में फैला हुआ है और जो विश्व के बीज हैं एवं उपासकों के धन-धान्य आदि पुष्टि को बढ़ाने वाले हैं। जैसे पके हुए ककड़ीफल (फूट) की उसके वृक्ष से मुक्ति हो जाती है; वैसे ही काल के आने पर इस मन्त्र के प्रभाव से हम कर्मजन्य पाशबंधन से और मृत्युबंधन से मुक्त हो जाएं और भगवान त्र्यम्बक हमें अमृतत्व (मोक्ष) प्रदान करें।’*
                *ॐकार रूप शिवलिंग पर दृष्टि स्थिर रखकर,* *महामृत्युंजय-मन्त्र का जप करते हुए यदि अनवरत जलधारा प्रवाहित की जाए तो एक विलक्षण आनन्द की अनुभूति होती है। ऐसा प्रतीत होता है कि साधक अपने-आप को श्रीत्र्यम्बकेश्वर के प्रति समर्पित कर रहा है। श्रीत्र्यम्बकेश्वर की कृपा की सुगन्ध फैल रही है और उपासक के रोम-रोम में स्फूर्ति होने लगती है।*
*,,,,,,,,,,🔱 #ऊँ_रूद्राय्_नमः🔱,,,,,,,,,,*
 *#मृत्युंजायाय_रुद्राय_नीलकंठाय_शंभवे*
*,,,,,,,🔱 #ॐ_महाकालाय_नमः 🔱,,,,,,*
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*#त्रिलोकेशं_नीलकण्ठं_गंगाधरं_सदाशिवम्*
  *#मृत्युञ्जयं_महोदेवं_नमामि_तं_शंकरम्*
*🙏🚩🔱#हर_हर_महादेव🔱🚩🙏* 
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*,,,,,,,,,,🔱 #ऊँ_रूद्राय्_नमः🔱,,,,,,,,,,*   *#मृत्युंजायाय_रुद्राय_नीलकंठाय_शंभवे*
*,,,,,,,🔱 #ॐ_महाकालाय_नमः 🔱,,,,,,*
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*#न_जानामि_योगं_जपं_नैव_पूजां,*
          *#नतोऽहं_सदा_सर्वदा_शंभु_तुभ्यं।*
*#जरा_जन्म_दुःखौघ_तातप्यमानं,*
        *#प्रभो_पाहि_आपन्नमामीश_शंभो॥*
              हे प्रभो! हे शम्भो! हे ईश! मैं योग जप और पूजा कुछ भी नहीं जानता, हे शम्भो! मैं सदा सर्वदा आपको नमस्कार करता हूँ। जरा जन्म और दुःख समूह से सन्तप्त होते हुए मुझ दुःखी को दुःख से आप रक्षा कीजिए। 
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*#तव_तत्त्वं_न_जानामि*
                           *#कीदृशोऽसि_महेश्वर।*
*#यादृशोऽसि_महादेव*
                          *#तादृशाय_नमो_नमः॥*
            हे महेश्वर! मैं आपका तत्त्व (वास्तविक रूप) नहीं जानता, आप कैसे हैं--इसका ज्ञान मुझे नहीं है। आप चाहे जैसे हों, वैसे ही आपको बार-बार प्रणाम है।
        🙏🔱🙏🙏🐉🙏🙏🔱🙏
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*#मंगलमय_प्रभात_सप्रेम_अभिवादन।*