ISLAAM KA NOOR💖इस्लाम का नूर💓
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February 22, 2025 at 04:32 AM
✅🔴 नबी करीम ﷺ के बा इख़्तियार और बाकमाल होने पर ह़दीसे अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु तअ़ाला अ़न्हु से रौशन दलील: 👇 https://whatsapp.com/channel/0029Va6A5Kn5K3zaa8nAIE0q/3125 अल्ह़म्दुलिल्लाह! अहले सुन्नत व जमाअत, यानी टनाटन सुन्नी बरैलवी मुसलमान जो कि ह़क़ीक़त में "मुहिब्बाने रसूल ﷺ" हैं, इस अ़कीदे पर ईमान रखते हैं कि हमारे आक़ा व मौला, नबीए अकरम ﷺ अल्लाह तअ़ाला के दिए हुए इख़्तियार व कमाल के मालिक हैं।✅ वो महज़ एक "पैग़ाम पहुँचाने वाले" नहीं बल्कि अल्लाह तअ़ाला के फ़ज़्ल व अ़ता से कामिल तसर्रुफ़, मोज़िज़ात और ख़ुदाई अता से नवाज़े गए इख़्तियारात के ह़ामिल हैं। हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु तअ़ाला अन्हु और नबीए रहमत, क़ासिमे नेअ़मत ﷺ की अताएँ: सहीह बुख़ारी व मुस्लिम में ह़ज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु तअ़ाला अ़न्हु रिवायत करते हैं:👇 *"मैं एक मिस्कीन आदमी था पेट भर जाने पर रसूलुल्लाह ﷺ की ख़िदमते अक्दस में हाज़िर रहता था। सहाबए किराम में से मुहाजिरीन बाज़ारों में तिजारत में मशग़ूल होते, और अंसार को उनकी जाएदाद (खेत और बाग़ात वग़ैरह) मशग़ूल रखा करती थी, मैं एक मिस्कीन आदमी था, जब ये ह़ज़रात अंसार भूलते तो मैं इसे याद रखता। एक मरतबा रसूले करीम ﷺ ने एक हदीस बयान करते हुए फ़रमाया था कि:👇 "जो कोई अपना कपड़ा फैलाए और उस वक़्त तक फैलाए रखे जब तक अपनी यह गुफ़्तगू न पूरी कर लूँ, फिर (जब मेरी गुफ़्तगू पूरी हो जाए तो) इस कपड़े को समेट ले तो वह मेरी बातों को (अपने दिल व दिमाग़ में हमेशा) याद रखेगा। चुनांचे मैंने अपना कम्बल अपने सामने फैला दिया, फिर जब रसूल करीम ﷺ ने अपना मक़ाला मुबारक ख़त्म फ़रमाया, तो मैंने इसे समेट कर अपने सीने से लगा लिया, और इसके बाद फिर कभी मैं आपकी कोई हदीस नहीं भूला।"* 📖 सह़ीह़ बुख़ारी: 2047, 📖 सह़ीह़ मुस्लिम: 6397 📖 मिश्कातुल मसाबीह़: 5896 इस हदीसे पाक से साबित होने वाले अहले सुन्नत के अ़क़ाएद: 👇 ये हदीस पाक वाज़ेह़ तौर पर वहाबियों, देवबंदियों, और दीगर गुस्ताख़ाने रसूल ﷺ के बात़िल अ़क़ाएद का ज़बरदस्त रद्द करती है और अहले सुन्नत व जमाअ़त के कई बुनियादी अ़क़ाएद को साबित करती है:👇 1️⃣ नबीए करीम ﷺ को अल्लाह तअ़ाला ने कामिल इख़्तियार अ़ता फ़रमाया है: ✅ नबी करीम ﷺ ने हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु तअ़ाला अ़न्हु को यह ने़मत अ़ता फ़रमाई कि वह कभी कुछ न भूलें। ✅ अगर नऊज़ु बिल्लाह नबी ﷺ बेइख़्तियार होते तो क्या ऐसी नेअ़मत अता फ़रमाते? 2️⃣ इल्मे ग़ैब बअ़ताए इलाही नबी के तसर्रुफ़ में है: ✅ हुज़ूरे अकरम ﷺ जानते थे कि ये चादर बिछाने वाला शख़्स (हज़रत अबू हुरैरह) कभी कुछ नहीं भूलेगा। ✅ ये नबीए करीम ﷺ का तसर्रुफ़ व इख़्तियार था कि ह़ज़रत अबू हुरैरह को "हाफ़िज़ा" अ़ता फ़रमा दिया गया। 3️⃣ बरकत और अ़ता नबी करीम ﷺ के दस्ते अक़्दस में है: ✅ नबीए करीम ﷺ के मुबारक हाथों की तासीर और बरकत देखें कि न कोई दवा, न कोई ख़ास तालीम, बस एक चादर, और हाफ़िज़ा ऐसा कि फिर कभी कुछ नहीं भूले! ✅ इससे वाज़े होता है कि बरकत, अता, और फैज़ नबी करीम ﷺ की ज़ात-ए-मुबारका से जारी होता है। सुबह़ानल्लाह! और यही तो हम सुन्नी बरैलवी मुसलमान का अ़क़ीदा है। 4️⃣ इल्मे नाफ़ेअ़ और तसर्रुफ़े नबी ﷺ का सुबूत: ✅ हुज़ूर ﷺ ने इ़ल्म और याददाश्त अ़ता फ़रमाई, जिससे साबित होता है कि नेमतें देना हुज़ूर ﷺ के इख़्तियार में है। ✅ हुज़ूरे अक़्दस ﷺ खुद फ़रमाते हैं: "أَنَا نَائِمٌ أُتِيتُ بِمَفَاتِيحِ خَزَائِنِ الْأَرْضِ فَوُضِعَتْ فِي يَدِي ''. "मैं सोया हुआ था कि ज़मीन के ख़ज़ानों की कुंजियाँ मेरे पास लाई गईं और मेरे हाथ पर रख दी गईं।" 📖 बुख़ारी शरीफ़,2977 5️⃣ नबीए करीम ﷺ की अ़ता की हुई चीज़ कभी ज़ाएल (ख़त्म) नहीं होती, उसकी बरकतें हमेशा रहती हैं: ✅ नबी करीम ﷺ के दिए हुए फैज़ को न शैतान मिटा सकता है, न वक़्त ज़ाए (बर्बाद) कर सकता है। ✅ हज़रत अबू हुरैरह रज़ियल्लाहु तअ़ाला अ़न्हु का हाफ़िज़ा ऐसा मज़बूत हो गया था कि अगर क़ियामत तक ज़ाहिरी ह़यात के साथ ज़िंदा रहते तो क़ियामत तक अह़ादीस सुनाते रहते, क्योंकि ये हुज़ूर ﷺ का दिया हुआ था। ❤️❤️ 📌 ये हदीसे पाक और दीगर शवाहिद वाज़े करते हैं कि नबी करीम ﷺ अल्लाह के अ़ता फ़रमाए हुए इख़्तियारात के मालिक हैं। 📌 वहाबियों और देवबंदियों का अ़कीदा, कि:👇 "नबी कुछ नहीं दे सकते" सरासर बातिल, खिलाफ़े क़ुरआन व ह़दीस, और गुस्ताख़ीए रसूल ﷺ है। 📌 हम सुन्नी मुसलमान अल्ह़म्दुलिल्लाह इश्क़े रसूल ﷺ में ज़िंदा हैं और इन गुस्ताखों का इल्मी व तह़क़ीक़ी रद्द करते रहेंगे इंशाअल्लाह अ़ज़्ज़वजल 💚 या अल्लाह! हमें हमेशा अपनी और अपने प्यारे ह़बीब ﷺ की मह़ब्बत पर क़ाएम रख! 💚 सरकार आला हज़रत अलैहिर्रहमा के इश्क़े रसूल ﷺ की कुछ रमक़ अ़ता फ़रमा! आमीन 🤲🤲 https://t.me/Urdu_Tahrir_Telegram/8947 ✅⌛✅⌛✅⌛✅ ✅🔴✍ इश्क़-ए-रसूल ﷺ में लिखा गया मज़मून है, ❤️ जो इससे ख़ुश हो वो दुरूद शरीफ़ पढ़कर अपनी अ़कीदत का सुबूत दे! ❤️❤️❤️ ✍ मुह़म्मद अ़म्मार रज़ा क़ादरी रज़वी पलामवी 23 शअ़बान 1446 हिजरी, सनीचर 📢 चैनल को फ़ॉलो करें: ✅✅✅👇 https://whatsapp.com/channel/0029Va6A5Kn5K3zaa8nAIE0q 🌟🔵🌟🔵🌟🔵🌟 ✅🔴✅🔴✅🔴✅ https://t.me/Urdu_Tahrir_Telegram/479 ✅🔴✅🔴✅🔴✅
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