
ISLAAM KA NOOR💖इस्लाम का नूर💓
February 22, 2025 at 07:24 AM
राफ़ज़ी, वहाबी और क़ादियानी वग़ैरह के पीछे नमाज़ पढ़ना महज़ बात़िल है: 👇
*जिसकी बदमज़हबी ह़द्दे कुफ़्र तक पहुँच चुकी हो, जैसे आजकल के अ़ाम राफ़ज़ी, वहाबी, नेचरी, क़ादियानी, ग़ैर मुक़ल्लिद – तो ऐसे के पीछे नमाज़ महज़ बातिल है, जैसे किसी हिंदू या पादरी के पीछे।*
वल'इ़याज़ु बिल्लाहि तअ़ाला।
📖 फ़तावा रज़विय्या शरीफ़, जिल्द 6, सफ़्हा 535
🔗 Sunni Razavi Library👇
https://t.me/Sunni_Razavi_Library/5953
👍
✔️
❤️
4