ISLAAM KA NOOR💖इस्लाम का नूर💓
ISLAAM KA NOOR💖इस्लाम का नूर💓
February 23, 2025 at 04:52 AM
‼️ग़ौर से पढ़ें: 👇तीन बातें 👇 ❶. जो रसूल की शान में गुस्ताख़ी करे वह काफ़िर हो जाता है, अगरचे कैसा ही कलिमा पढ़ता और ईमान का दावा रखता हो, कलिमा गुई उसे हरगिज़ कुफ़्र से न बचाएगी। ❷. यह जो बाज़ जाहिल कहने लगते हैं कि कुफ़्र का तो दिल से तअ़ल्लुक़ है, न कि ज़ुबान से, जब वो कलिमा पढ़ता है और उसके दिल में कुफ़्र होना मालूम नहीं तो हम किसी बात के सबब उसे क्यूँकर काफ़िर कहें, महज़ ख़ब्त और निरी झूटी बात है। जिस तरह कुफ़्र दिल से मुतअ़ल्लिक़ है, यूँही ईमान भी। ✅ ज़ुबान से कलिमा पढ़ने पर मुसलमान कैसे कहा, यूँही ज़ुबान से गुस्ताख़ी करने पर काफ़िर कहा जाएगा। ✅ और जब बग़ैर इकराहे शरई़ के है तो अल्लाह के नज़दीक भी काफ़िर हो जाएगा, अगरचे दिल में इस गुस्ताख़ी का मुअतक़िद न हो, कि बेएतेक़ाद कहना हज़ल व सुख़रियह है। और इसी पर रब्बुल इज़्ज़त फ़रमा चुका कि तुम काफ़िर हो गए अपने ईमान के बाद। ❸. खुले हुए लफ़्ज़ों में उ़ज़्र तावील मस्मूअ़ नहीं, आयत फ़रमा चुकी कि हिला न गढ़ो, तुम काफ़िर हो गए। तंबीह: यहाँ अल्लाह अ़ज़्ज़वजल ने इन्हीं कलिमाते गुस्ताख़ी को वजहे कुफ़्र बताया और उनके मुक़ाबिल कलिमा गोई व उ़ज़्र जुई को मरदूद ठहराया। यहाँ उनके कुफ़्रे साबिक़ मख़्फ़ी की बहस नहीं कि: 👇 '' قد كفرتم بعد إيمانكم، '' फ़रमाया है, तुम मुसलमान होकर काफ़िर हो गए। न कि: '' قد كنتم كافرين '' तुम पहले से काफ़िर थे। यह फ़वाइद ख़ूब याद रखने के हैं, वबिल्लाह तौफ़ीक़। 📖 फतावा रज़विया शरीफ़, जिल्द 15, सफ़ा 173 ✍ मुह़म्मद अ़म्मार रज़ा क़ादरी रज़वी पलामवी 24 शअ़बान 1446 हिजरी, एतवार 📢 चैनल को फ़ॉलो करें: ✅👇 https://whatsapp.com/channel/0029Va6A5Kn5K3zaa8nAIE0q 🌟🔵🌟🔵🌟🔵⭐️ https://t.me/Urdu_Tahrir_Telegram/479 ✅🔴✅🔴✅🔴✅
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