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February 28, 2025 at 10:37 AM
बिना लाइसेंस 8 साल SMS-हॉस्पिटल में इलाज करता रहा डॉक्टर:अब राजस्थान मेडिकल काउंसिल में रजिस्ट्रार, दूसरे डॉक्टर्स की जांच की जिम्मेदारी जयपुर डॉ गिरधर गोयल की नियुक्ति से सरकार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। राजस्थान में डॉक्टरों के रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस रिन्यू का जिम्मा ऐसे शख्स के पास है जो खुद करीब 8 साल से जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल में अवैध तरीके से प्रैक्टिस कर रहा था। ये शख्स है राजस्थान मेडिकल कौंसिल (RMC) में कार्यवाहक रजिस्ट्रार डॉ. गिरधर गोयल। गोयल का खुद का RMC में करवाया रजिस्ट्रेशन 27 अप्रैल 2016 को एक्सपायर हो गया था। जिसे उन्होंने 6 फरवरी 2024 को रिन्यू कराया। करीब 8 साल ट्रोमा सेंटर में काम किया साल 2016 से 2024 के बीच डॉ. गोयल ने जयपुर के सवाई मानसिंह हॉस्पिटल के ट्रोमा सेंटर समेत अन्य विभागों में काम किया। इस दौरान कई मरीजों का इलाज भी किया। एक्सपट्‌र्स के मुताबिक बिना वैध लाइसेंस के कोई भी डॉक्टर प्रैक्टिस करता है तो वह नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) के नियमों के मुताबिक झोलाछाप डॉक्टर्स की कैटेगिरी में आता है। डॉक्टर्स का लाइसेंस रिन्यू नहीं होता है और इसको चेक करने और मॉनिटरिंग की व्यवस्थाओं को लेकर भी स्वास्थ्य विभाग पर अंगुली उठ रही है। आखिर कैसे एक डॉक्टर बिना लाइसेंस रिन्यू हुए एसएमएस में मरीजों का इलाज करता रहा? डॉक्टर्स का लाइसेंस रिन्यू नहीं होता है और इसको चेक करने और मॉनिटरिंग की व्यवस्थाओं को लेकर भी स्वास्थ्य विभाग पर अंगुली उठ रही है। आखिर कैसे एक डॉक्टर बिना लाइसेंस रिन्यू हुए एसएमएस में मरीजों का इलाज करता रहा? नियुक्ति के लिए चली फाइल तो रिन्यू कराया लाइसेंस सूत्रों के मुताबिक जनवरी 2024 में भजनलाल सरकार की कैबिनेट के एक्टिव होने के बाद RMC में कार्यवाहक रजिस्ट्रार की नियुक्ति को लेकर फाइल चली थी। फाइल में पहले नंबर पर डॉ. गिरधर गोयल का नाम था। आखिरी मौके पर जब मंत्री स्तर पर रिपोर्ट पहुंची तो पता चला कि डॉक्टर गोयल का करीब 8 साल से लाइसेंस ही रिन्यू नहीं है। ऐसे में आखिरी वक्त में गोयल के नाम का फैसला निरस्त करते हुए डॉ. राजेश शर्मा को कार्यवाहक रजिस्ट्रार नियुक्त किया गया। मामला सामने आने के बाद आनन-फानन में गोयल ने लाइसेंस रिन्यू के लिए आवेदन किया। नॉर्म्स के मुताबिक आरएमसी ने डॉ. गोयल पर एक हजार रुपए की पेनल्टी लगाई। इसके बाद उनका लाइसेंस 27 अप्रैल 2026 तक के लिए रिन्यू किया है। डॉ. शर्मा को सस्पेंड करने के बाद गोयल को बनाया रजिस्ट्रार करीब पांच महीने पहले दैनिक भास्कर ने आरएमसी में फर्जी तरीके से डॉक्टर के लिए रजिस्ट्रेशन करने के मामले का खुलासा किया था। इसमें कार्यवाहक रजिस्ट्रार की भूमिका संदिग्ध मानी थी। रिपोर्ट में 98 फर्जी डॉक्टर के रजिस्ट्रेशन करने की बात सामने आई थी। रजिस्ट्रेशन के लिए सर्टिफिकेट, एनओसी, वैरिफिकेशन तक फर्जी तरीके से किया गया। 12वीं पास का डॉक्टर के तौर पर रजिस्ट्रेशन करने के मामले में कार्यवाहक रजिस्ट्रार डॉ. राजेश शर्मा को सस्पेंड कर दिया। डॉ. राजेश शर्मा को सस्पेंड करने के बाद डॉ. गिरधर गोयल को राजस्थान मेडिकल कौंसिल (RMC) में रजिस्ट्रार बना दिया गया। बिना रजिस्ट्रेशन झोलाछाप मानते हैं : एक्सपर्ट RMC के पूर्व चेयरमैन और स्वास्थ्य विभाग के निदेशक रहे डॉ. के.के. शर्मा का कहना है राजस्थान में कोई भी डॉक्टर तभी प्रैक्टिस कर सकता है, जब उसका रजिस्ट्रेशन RMC में हो। चाहे वह MBBS का हो, PG का हो या कोई सुपर स्पेशियलिटी। अगर बिना रजिस्ट्रेशन करवाए या रजिस्ट्रेशन एक्सपायर होने के बाद कोई डॉक्टर रेगुलर प्रैक्टिस करता है तो वह अपराध है। उसे झोलाछाप डॉक्टर की श्रेणी में माना जाता है। वहीं, स्वास्थ्य निदेशालय निदेशक (जनस्वास्थ्य) डॉक्टर रवि प्रकाश शर्मा का कहना है कि मुझे अभी सरकार ने RMC चेयरमैन का कार्यभार नहीं दिया है। डॉक्टर को प्रैक्टिस करने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है। अगर किसी डॉक्टर का रजिस्ट्रेशन एक्सपायर होता है और वह उसे देरी से रिन्यू करवाता है तो उसमें पेनल्टी का प्रावधान है। पहले डॉ. धनंजय अग्रवाल को लेकर विवाद राजस्थान का मेडिकल डिपार्टमेंट लगातार विवादों के घेरे में है। पिछले साल आरयूएचएस में कार्यवाहक वीसी के पद पर नियुक्त किए डॉ. धनंजय अग्रवाल का मामला (उन्हें वीसी के इंटरव्यू के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था) चर्चा में था। राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ एंड साइंसेज (RUHS) के कार्यवाहक वाइस चांसलर (वीसी) के तौर पर डॉ. धनंजय अग्रवाल को नियुक्त कर दिया। लेकिन जब राज्यपाल की ओर से गठित सलेक्शन कमेटी ने वीसी के इंटरव्यू के आवेदन मांगे, तो उसमें डॉ. धनंजय अग्रवाल ने भी आवेदन किया। डॉ. अग्रवाल को कमेटी ने इंटरव्यू के लिए भी योग्य नहीं माना। ऐसे में सवाल उठता है कि सरकार ने पिछले 8 माह डॉ. अग्रवाल को क्यों वीसी बना रखा है, जबकि नियम के मुताबिक किसी भी विश्वविद्यालय में कार्यवाहक वीसी व्यवस्था के लिए अधिकतम 5 से 6 माह के लिए ही बनाया जा सकता है। .... राजस्थान में फर्जी डॉक्टर्स के विवाद से जुड़ी यह खबर भी पढ़िए... राजस्थान मेडिकल काउंसिल ने 12वीं पास को बनाया डॉक्टर:न डिग्री देखी न सर्टिफिकेट, 98 फर्जी में से कई गाइनी-सर्जन भी बन चुके हैं आपने पेपर लीक, डमी कैंडिडेट व फर्जी मार्कशीट से नौकरी लगने के मामले तो खूब देखे होंगे, लेकिन कभी यह सुना है कि 12वीं पास बिना एमबीबीएस डिग्री लिए डॉक्टर बन गया।

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