आँजणा चौधरी समाज (@anjana_Choudhary_Samaj)
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February 28, 2025 at 05:50 AM
*मां* को बच्चों की प्रथम गुरु अथवा *शिक्षीका* भी कहा जाता हैं, तथा परिवार को प्रथम पाठशाला की संज्ञा दी जाती है , बच्चों के व्यक्तित्व की नींव परिवार से ही पड़ती है , जहां से इसकी औपचारिक *शिक्षा* की शुरुआत हो जाती है आज के भौतिकवादी युग मे घटते संयुक्त परिवार और बढ़ते एकल परिवार में माता-पिता की भूमिका बढ़ जाती है उनके ऊपर *शिक्षा एवं संस्कार* दोनों पर ध्यान देने का दायित्व आ जाता है। जय श्री राजेश्वर भगवान जय गुरुदेव💐🙏
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